UP Election 2022: भाजपा कभी नहीं जीत पाई यह सीट, समाजवादी पार्टी का लहराता रहा है परचम
UP Election 2022: यूपी विधानसभा के छठे चरण की 57 सीटों पर हो रहे चुनाव में पूर्वाचंल की एक सीट बांसडीह ऐसी सीट है जहां हमेशा समाजवाद का परचम लहराता रहा है। भाजपा के लिए यह सीट हमेशा से ड्राई सीट ही कही गई है।
UP Election 2022: यूपी विधानसभा (UP Election 2022) के छठे चरण की 57 सीटों पर हो रहे चुनाव में पूर्वाचंल की एक सीट बांसडीह (bansdih Seat) ऐसी सीट है जहां हमेशा समाजवाद का परचम लहराता रहा है। भाजपा के लिए यह सीट हमेशा से ड्राई सीट ही कही गई है। इस सीट पर एक बार फिर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चौधरी (Leader of Opposition Ramgobind Chowdhury) को फिर से मैदान में उतारा है। इस सीट पर कांग्रेस के पुनीत पाठक (Puneet Pathak of Congress) और वीआईपी से अजय शंकर की मौजूदगी लड़ाई को दिलचस्प बना रही है। पर भाजपा की तरफ से पहली बार कड़ी चुनौती मिल रही है।
बांसडीह विधानसभा से 13 प्रत्याषी लड़ेंगे चुनाव
बांसडीह विधानसभा (bansdih assembly) में इस दफे रामगोविंद चौधरी (Leader of Opposition Ramgobind Chowdhury) के सामने, केतकी सिंह, पुनीत पाठक, मांती राजभर, लक्ष्मण, सुशांत, अजय शंकर, दयाशंकर वर्मा, समेत 13 प्रत्याषी चुनाव मैदान में है। पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी रहीं केतकी सिंह इस बार भाजपा एवं निषाद पार्टी की संयुक्त प्रत्याशी के रूप में चुनावी अखाड़े में हैं। केतकी ने 2017 के चुनाव में भाजपा से बगावत करने के बाद 49,276 से अधिक मत प्राप्त कर बडी चुनौती दी थी।
इस सीट पर आज तक भाजपा का नहीं खुला खाता
आजादी के बाद हुए कई चुनावों में कांग्रेस का कब्जा बना रहा। पूर्व मंत्री रह बच्चा पाठक ने आपातकाल विरोधी लहर में भी ये सीट कांग्रेस की झोली में डालने का काम किया। पर 1989 के चुनाव में भी जनता दल से विजयलक्ष्मी इस सीट पर विधायक रहीं। इस सीट से आज तक भाजपा (BJP) का खाता नहीं खुला है। 2002 में सजपा से रामगोविन्द चौधरी, 2007 में बसपा से शिवशंकर चौहान विधायक बने। 2012 और 2017 में रामगोविन्द चौधरी फिर सपा से विधायक चुने गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा नेता राम गोविंद चौधरी आठवीं बार विधायक चुने गए। उन्होंने इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी केतकी सिंह को हराया। हांलाकि जीत का अंतर काफी कम रहा है। इस बार 13 दावेदार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ॉ
बांसडीह में कुल 4.03 लाख मतदाता
बांसडीह विधानसभा (bansdih assembly) में मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 4.03 लाख है। इनमें यादव मतदाताओं की संख्या लगभग 40 हजार, राजभर 35 हजार, ब्राह्मण 58 हजार, क्षत्रिय 60 हजार, चौहान 34000, अनुसूचित जाति 32 हजार, वैश्य 24हजार, कोइरी 25हजार, बिन्द/मल्लाह 24 हजार, मुस्लिम 10 हजार, अनुसूचित जनजाति 9 हजार के आसपास है।
आठ बार चुनाव जीत चुके हैं नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चौधरी
विधानसभा में अपने अपनी अलग पहचान बनाने वाले पुराने समाजवादी एवं नेता प्रतिपक्ष रामगोबिन्द चौधरी 1977 में पहली बार विधायक बनने के बाद फिर वह लगातार आठ बार चुनाव जीत चुके हैं। इसके बाद 1980 के चुनाव में कांग्रेस के जितेन्द्र बहादुर को फिर हराया। 1985 में वह जनता दल के टिकट पर विधायक बने फिर 1991 के चुनाव में वह जनता दल के टिकट पर चुनावा जीतेे। अगला चुनाव 1993 के चुनाव में वह जनता दल के टिकट पर चिलकहर सीट से फिर चुनाव लड़े़ पर सपा व बसपा गठबंधन के प्रत्याशी से चुनाव हार गये।
इसके बाद 1996 में वह चन्द्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) से चिलकहर सीट से चुनाव लड़े़ पर जीत नहीं सके। 2002 के चुनाव में रामगोविंद चौधरी फिर चुनाव जीत कर विधायक बने और बाद में बांसड़ीह़ से 2007 व 2017 का चुनाव जीते। वर्ष 2017 में उन्होंने निर्दलीय केतकी सिंह को 1967 वोट के अंतर से हराया था।
रामगोविंद चौधरी दिसंबर 1990 से 1991 तक मुलायम सिंह यादव की सरकार में उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भी रहे। 1993 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी जनता दल के टिकट पर एक बार फिर चिलकहर विधानसभा सीट से लड़े, लेकिन वह सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी से चुनाव हार गए। 1996 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) से चिलकहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और वह चौथे नंबर पर रहे। 2012 के विधानसभा चुनाव में रामगोविंद चौधरी एक बार फिर से बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। इस बार उन्होंने भाजपा प्रत्याशी केतकी सिंह को हराया।
2012 में प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज हुई सपा
2012 में सपा प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई थी। इस जीत के बाद अखिलेश यादव पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और रामगोविंद चौधरी को बेसिक शिक्षा मंत्री, समाज कल्याण मंत्री बनाया गया। 2017 में समाजवादी पार्टी ने उन्हे पार्टी विधानमंडल दल का नेता बनाया। विपक्ष में सबसे बड़ा दल होने के नाते रामगोबिन्द चौधरी ने नेता प्रतिपक्ष का पद भी हासिल किया।
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