UP Election 2022: मिर्जापुर सदर विधानसभा सीट पर भाजपा का रहा है दबदबा, क्या फिर हो पाएगी वापसी?
UP Election 2022: मिर्जापुर की सदर विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में रहा बीजेपी का कब्जा, बीजेपी फिर क्या करेगी इस सीट पर वापसी।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election) को लेकर यूपी में सियासी पारा चढ़ने लगा है. राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह तैयारियों में जुट गई है. यूपी के मिर्जापुर की सदर विधानसभा सीट-396 पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है. जानिए आगामी विधानसभा चुनाव में यहां का चुनावी समीकरण क्या होगा?
मिर्जापुर नगर विधानसभा सीट-396 शहर और ग्रामीण इलाकों को मिलाकर बनाई गई है. शहर में वैश्य मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. मिर्जापुर जनपद में पांच विधानसभाओं में सदर विधानसभा एक ऐसा विधानसभा है, जहां आज तक बहुजन समाज पार्टी का खाता नहीं खुल पाया है. इस विधानसभा सीट पर जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी का शुरू से ही दबदबा रहा है. 1962 में जनसंघ से भगवानदास पहली बार इस सीट से विधायक चुने गए थे.
वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी 26 साल के उम्र में 1977 में यहां से विधायक चुने गए थे. 1980 में राजनाथ सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी अजहर इमाम से हार गए थे. 1989 से भारतीय जनता पार्टी से 4 बार से बन रहे विधायक सरजीत सिंह डंग को समाजवादी पार्टी के कैलाश नाथ चौरसिया 2002 में पटकनी देकर तीन बार लगातार विधायक बने. 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने कैलाश नाथ चौरसिया को हराकर रत्नाकर मिश्रा विधायक है. इस विधानसभा में वैश्य मतदाता सबसे अधिक है, इसीलिए कहा जाता है वैश्य जिसे चाहता है वही यहां से विधायक बनता है।
मिर्जापुर जनपद में कुल पांच विधानसभा सीट है, जिसमें सदर विधानसभा शहर और ग्रामीण इलाका मिलाकर बना हुआ है. ग्रामीण इलाके में कोन ब्लॉक और छानबे ब्लॉक के हिस्से आते हैं. दिग्गजों के लिए यह सीट हमेशा से चुनौती भरी मानी जाती है. पांचों विधानसभाओं का इसे बिंदु केंद्र भी कहा जाता है. हॉट सीट होने के चलते जिले के सभी की नजर इस विधानसभा सीट पर रहती है.
चुनावी इतिहासविधानसभा के राजनीति इतिहास की बात किया जाए तो यहां पर शुरू से ही जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व रहा है. यहां पर जनसंघ से पहली बार 1962 में भगवान दास विधायक चुने गए थे. 1977 में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी. वह भी 26 वर्ष के आयु में.
1980 में कांग्रेस से अजहर इमाम तो 1985 में कांग्रेस पार्टी से अशर्फी मान विधायक चुने गए थे. 1989 में भारतीय जनता पार्टी से सरजीत सिंह डंग चुनाव जीते और लगातार चार बार विधायक बने. 2002 में समाजवादी पार्टी से कैलाश चौरसिया सरजीत सिंह डंग को हराकर विधायक बने और तीन बार लगातार विधायक रहे. 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से रत्नाकर मिश्रा विजई हुए और कैलाश चौरसिया हार गए.वर्षपार्टीविधायक1962जनसंघभगवानदास1974जनसंघआशाराम1977जनता पार्टीराजनाथ सिंह1980कांग्रेसअजहर इमाम1985कांग्रेसअशर्फी इमाम1989भाजपासरजीत सिंह डंग1991भाजपासरजीत सिंह डंग1993 भाजपा सरजीत सिंह डंग 1996 भाजपासरजीत सिंह डंग2002कैलाश चौरसियासपा2007कैलाश चौरसियासपा2012कैलाश चौरसिया सपा 2017भारतीय जनता पार्टी रत्नाकर मिश्रा
कुल वोटर
मिर्जापुर शहर यानी विंध्यवासिनी की नगरी सदर विधानसभा सीट शहर और ग्रामीण इलाकों को मिलाकर बनाई गई है. यहां पर कुल मतदाता की बात किया जाए तो 397011 है. जिसमें 210113 पुरुष मतदाता है, तो वही 186867 महिला मतदाता हैं.
कुल वोटर
जातिगत आंकड़ा
जातिगत आंकड़ा की बात किया जाए तो यहां पर वैश्य 140000, मुस्लिम 40000, दलित 40000, ब्राह्मण 30,000, यादव 25000, क्षत्रिय 15000, मल्लाह बिंद 15000, कायस्थ 10000, मौर्या 10000 और पटेल 10000 लगभग वोटर है, शेष अन्य जातियां हैं.
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क्या रहेगा इस बार यहां का मुद्दा
हर विधानसभा में यहां का चुनावी मुद्दा पीतल उद्योग और कालीन उद्योग रहता है, जो समाप्ति के कगार पर है. हालांकि पीतल उद्योग को एक जनपद एक उत्पाद में शामिल इस वर्ष कर लिया गया है. इस चुनाव में खराब सड़कें भी यहां के मुद्दे हो सकते हैं. मां विंध्यवासिनी धाम से लेकर शहर तक अमृत जल योजना के तहत कराए जा रहे कार्यों के चलते सभी सड़कें लगभग दो वर्ष से ध्वस्त हो चुकी है. यही नहीं हाल ही में मिर्जापुर प्रयागराज को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग भी कुछ दिन पहले बनी वह भी पूरी तरह से जगह जगह टूट चुकी है.
4 जनपदों को जोड़ने वाला गंगा नदी पर बना शास्त्री सेतु की आयु पूरी हो जाने के बाद अभी तक नया पुल कोई नहीं बनना शुरू हुआ है. जिसके चलते पुल पर भारी वाहन का आवागमन बाधित है. कुछ दिन पहले पुल की रिपेयरिंग करोड़ों रुपए से करा कर चालू करा दिया गया था, मगर फिर से दरार आने पर वही समस्या आ गई है. लगभग दो साल से ज्यादा पुल पर आवागमन रोके जाने से गाड़ियों को प्रयागराज या वाराणसी होकर जाना पड़ रहा है.
विधायक रत्नाकर मिश्रा
शहर में चल रहे सैकड़ों साल से चल रहा पीतल उद्योग कभी प्रमुख कारोबार हुआ करता था. छोटे-छोटे कारखाने लगे थे, जिसमें पीतल बर्तन बनाने का काम किया जाता था. हजारों मजदूर काम करते थे. मगर सरकारी मदद के अभाव से कारोबार पूरी तरह से अब बंद होने के कगार पर है. कालीन उद्योग का भी सदर विधानसभा में बड़ी संख्या में काम होता था मगर मिर्जापुर से भदोही के अलग होने के बाद इस व्यवसाय पर असर पड़ गया है. यहां कालीन अब धीरे-धीरे बंद होने के कगार पर पहुंच गया है.
आने वाले विधानसभा चुनाव में यह सब मुद्दा बन सकता है. सदर विधानसभा सीट के कुछ गांव गंगा के तराई इलाके में आते हैं. जहां पर गंगा में बाढ़ आ जाने से हर तीसरे दूसरे साल में लोगों को परेशानियां उठानी पड़ती है. यह भी एक मुद्दा यहां पर बन सकता है.
इस सीट पर कांग्रेस और बसपा की सबसे ज्यादा हुई है जीत, यहां के जीते विधायक बना करते थे मंत्री
विधानसभा 2017 का चुनाव
विधान सभा चुनाव 2017 में सदर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था. भारतीय जनता पार्टी से रत्नाकर मिश्रा समाजवादी पार्टी से कैलाश नाथ चौरसिया और बहुजन समाज पार्टी से परवेज खान चुनाव मैदान में थे. चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से रत्नाकर मिश्रा की जीत हुई उन्हें 1,09,196 वोट मिले, वही दूसरे स्थान पर सपा के कैलाश नाथ चौरसिया रहे, उन्हें 51,784 वोट मिले, जबकि बहुजन पार्टी के प्रवेज खान को 49,955 मत पाकर संतोष करना पड़ा. संभावना जताया जा रहा है 2022 के विधानसभा चुनाव में भी तीनों पार्टियां इन्हीं तीनों प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतार सकती है.