UP Election 2022: इस विधानसभा सीट पर कहीं समाजवादी पार्टी को न हो जाए भाजपा से नाराजगी का नुकसान

UP Election 2022: फूलपुर पवई विधानसभा और लोकसभा सीट पर हमेशा रमाकांत यादव का ही असर रहा है। इस विधानसभा सीट पर साल 2012 में अरुण यादव चुनाव जीतकर विधायक बने थे, लेकिन 2017 में वह भाजपा में आ गए और यहां से विधायक बने।;

Written By :  Shreedhar Agnihotri
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Published By :  aman
Update:2022-03-05 14:21 IST

UP Election 2022 Ramakant Yadav phoolpur pawai assembly constituency

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में किसी राजनीतिक दल से नाराजगी का नुकसान उसी दल को होता है, पर आजमगढ़ की एक विधानसभा ऐसी है जहां पर भाजपा से नाराजगी का नुकसान समाजवादी पार्टी को हो सकता है। दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ की फूलपुर पवई विधानसभा सीट से भाजपा विधायक अरुण यादव को इस बार टिकट नहीं मिला है। इस बार उनके पिता और पूर्व सांसद रमाकांत यादव समाजवादी पार्टी प्रत्याशी हैं। मगर, क्षेत्र में उनके उपेक्षापूर्ण रवैये से इस पूरी विधानसभा के लोग नाराज हैं जिसकी सजा भाजपा को मिल सकती है।

फूलपुर पवई विधानसभा और लोकसभा सीट पर हमेशा रमाकांत यादव का ही असर रहा है। इस विधानसभा सीट पर साल 2012 में अरुण यादव चुनाव जीतकर विधायक बने थे, लेकिन 2017 में वह भाजपा में आ गए और यहां से विधायक बने। इस दौरान अरुण यादव पर पूरे क्षेत्र की उपेक्षा और अनदेखी के आरोप लगते रहे। इसके बाद जब 2022 के विधानसभा चुनाव घोषित हुए तो रमाकांत यादव सपा में शामिल हो गए, जिस कारण अरुण यादव का टिकट काट दिया गया। अबकी बार पार्टी ने इस सीट से रमाकांत यादव को ही प्रत्याशी बना दिया है।

रमाकांत यादव ने सभी दलों से लड़ा चुनाव

याद करें, 80 के दौर में इस सीट से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव भी चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन इसके बाद रमाकांत यादव यहां से कभी सपा तो कभी बसपा से चुनाव लड़ते आए हैं। उन्होंने 1985 में कांग्रेस, 1989 बसपा, 1991 जनता दल, 1993 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। अपने राजनीतिक जीवन में रमाकांत यादव को कभी हार तो कभी जीत मिलती रही। वह पूर्व में भाजपा से भी विधायक और सांसद बन चुके हैं।

कभी कद्द्वार रहे, फिलहाल हाशिए पर

बाहुबली रमाकांत यादव फूलपुर विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक और आजमगढ़ संसदीय सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2019 में भाजपा से टिकट न मिलने पर रमाकांत यादव ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद वह भदोही से लोकसभा चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें मात्र 26 हजार वोट मिला था। तब से रमाकांत यादव राजनीति के क्षेत्र में लगातार हाशिए पर दिख रहे हैं।

पुत्र अरुण यादव ने राजनीति में रखा कदम

साल 2007 के विधानसभा चुनाव में रमाकांत यादव के पुत्र अरुण यादव पहली बार विधायक बने। उन्होंने रामनरेश यादव को हराने का काम किया। यह संयोग ही है, कि 2012 के चुनाव में रामनरेश यादव के पुत्र अजय नरेश कांग्रेस के टिकट पर और रमाकांत यादव के भतीजे वीरेंद्र यादव की लड़ाई में सपा के श्याम बहादुर यादव ने बाजी मारी और विधायक बने। इसके बाद फिर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में रमाकांत यादव के पुत्र अरुण कांत यादव भाजपा के टिकट पर सपा के श्याम बहादुर यादव को हराकर विधायक बने। इस समय भी यह सीट रमाकांत यादव के परिवार में ही है।

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