सुरैया: वो पास रहें या दूर रहें, नजरों में समाए रहते हैं...

सुरैया मात्र सात की उम्र में फिल्मों में आ गईं। वो 1940 और 1950 के दशक में सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री थीं और उन्होंने तमाम पुरस्कार जीते।

Update: 2021-01-30 08:29 GMT
सुरैया: वो पास रहें या दूर रहें, नजरों में समाए रहते हैं...

रामकृष्ण वाजपेयी

सुरैया जमाल शेख नाम सुनकर आप लोग चौंक गए न। कौन है ये। और इनका जिक्र करने की वजह। तो जनाब वजह भी है और मौका भी क्योंकि 31 जनवरी को इस शख्सियत की पुण्यतिथि है। वजह यह है कि यह भारतीय सिनेमा की एक हस्ती रही हैं जो 1936 से 1963 तक हिंदी फिल्मों की लोकप्रिय अभिनेत्री रहीं और पार्श्व गायिका के रूप में भी खूब शोहरत बटोरी। 31 जनवरी 2004 को उन्होंने महाराष्ट्र के मुंबई में इस दुनिया से विदा ली और मरीन लाइन्स के बड़ा कब्रिस्तान में उन्हें सुलाया गया।

सात साल की उम्र में की करियर की शुरुआत

15 जून 1929 को जन्मीं सुरैया मात्र सात की उम्र में फिल्मों में आ गईं और 1936 से 1963 तक के करियर में, सुरैया ने 67 फिल्मों में अभिनय किया और 338 गाने गाए। वह हिंदी सिनेमा की सबसे महान अभिनेत्रियों में से एक थीं और 1940 और 1950 के दशक में उनके नाम का बोलबाला था। गाने गाना उन्होंने 12 साल की उम्र में शुरू किया। वह एक प्रसिद्ध पार्श्व गायिका रहीं।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री

सुरैया को मलिका-ए-हुस्न (सुंदरता की रानी), मलिका-ए-तरन्नुम (माधुर्य की रानी) और मलिका-ए-अदकारी (अभिनय की रानी) के रूप में जाना जाता रहा है। सुरैया 1940 और 1950 के दशक में सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री थीं और उन्होंने तमाम पुरस्कार जीते।

ये हैं उनकी कुछ मशहूर फिल्में

अभिनेत्री सुरैया ने जद्दन बाई द्वारा निर्देशित फिल्म मैडम फैशन (1936) के साथ एक बाल कलाकार के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अपने अभिनय की शुरुआत फिल्म ताजमहल से की, जिसमें उन्होंने मुमताज महल की भूमिका निभाई। उनकी मशहूर फिल्मों में शमा (1961), मिर्ज़ा ग़ालिब (1954), दो सितारे (1951), खिलाड़ी (1950), सनम (1951), कमल के फूल (1950), शायर (1949), जीत (1949), विद्या (1948), अनमोल घड़ी (1946) और हमारी बात (1943) रहीं।

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कई यादगार गीत को दी अपनी आवाज

गायिका के रूप में सुरैया ने कई यादगार गीत गाए, जो अब भी काफ़ी लोकप्रिय है। इन गीतों में, सोचा था क्या मैं दिल में दर्द बसा लाई, तेरे नैनों ने चोरी किया, ओ दूर जाने वाले, वो पास रहे या दूर रहे, तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी, मुरली वाले मुरली बजा आदि शामिल हैं।

1963 में सुरैया ने अपने फिल्मी सफर से संन्यास ले लिया जिसके पीछे दो कारण बताए जाते हैं एक तो उनके पिता का निधन और दूसरे उनकी खुद की स्वास्थ्य समस्याएं।

(फोटो- सोशल मीडिया)

सुरैया के दीवाने थे देव आनंद

एक वक़्त था, जब रोमांटिक हीरो देव आनंद सुरैया के दीवाने हुआ करते थे। लेकिन यह जोड़ी वास्तविक जीवन में एक नहीं हो पाई। इसमें बाधा बनीं सुरैया की दादी, जिन्हें देवानंद पसंद नहीं थे। मगर सुरैया ने अपने जीवन में देवानंद की जगह किसी और को नहीं दी और ताउम्र कुंवारी रहीं। मुंबई के मरीनलाइन में स्थित अपने फ्लैट में अकेले ही ज़िंदगी काट दी।

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