Bandaa Singh Chaudhary Review: वास्तविक घटना पर आधारित बंदा सिंह चौधरी भावनाओं से भरपूर

Bandaa Singh Chaudhary Review In Hindi: पंजाब के बंदा सिंह चौधरी की कहानी को बड़े पर्दे पर सफल बनने में कितने सही हुए अरशद वारसी , जाने कैसी है फिल्म

Report :  Shikha Tiwari
Update:2024-10-25 08:48 IST

Banda Singh Chaudhary Review 

Banda Singh Chaudhary Review: अरशद वारसी और मेहर विज की फिल्म बंदा सिंह चौधरी आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। Banda Singh Chaudhary की कहानी 80दशक की वास्तविक घटना पर आधारित है। जब फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया था। उसी समय से दर्शकों को फिल्म के रिलीज का बेसब्री से इंतजार था। क्योंकि फिल्म का ट्रेलर काफी ज्यादा इमोशनल कर देने वाला था। चलिए जानते हैं कैसी हैं अरशद वारसी की फिल्म बंदा सिंह चौधरी 

बंदा सिंह चौधरी की कहानी क्या है (Banda Singh Chaudhary Story In Hindi)-

बंदा सिंह चौधरी (Arshad Warsi) जो कि पंजाब के एक गांव में रहते हैं। जिसको लल्ली (Mehar Vij) नाम की एक लड़की से प्यार हो जाता है। जिसके बाद उसकी शादी हो जाती है और उसकी एक बेटी होती है। जिसका नाम नेमत रखा जाता है। इनकी जिंदगी सही चल ही रही होती है कि एक संगठन द्वारा इन लोगों को गांव छोड़ने का आदेश दिया जाता है। यदि गांव नहीं छोड़ेगे तो जान गवानी पड़ेगी। बहुत लोगों की जाने भी चली जाती है और बहुत गांव छोड़कर चले जाते हैं। लेकिन Banda Singh Chaudhary हार नहीं मानता हैं और उस संगठन के खिलाफ युद्ध छेड़ देता है। फिल्म की आगे की जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी। 

बंदा सिंह चौधरी रिव्यू (Banda Singh Chaudhary Review In Hindi)-

अरशद वारसी की फिल्म बंदा सिंह चौधरी जोकि 1980 के दशक के उस हीरों की कहानी को दुनिया को सामने पेश करता है। जिसके बारे में शायद ही किसी को पता होगा। इस फिल्म के माध्यम से लोग बंदा सिंह चौधरी के बारे में जान पाए हैं। लेकिन यदि हम फिल्म (Banda Singh Chaudhary Movie) के किरदारों की बात करें तो अरशद वारसी इस किरदार में उतना नहीं जच रहे हैं। जिस तरह से मठरी खाते हुए बंदूक लिए आतंकवादियों का इंतजार करते हैं। उसे देखकर उनकी सरकिट वाली छवि याद आती है। तो वहीं बंदा सिंह चौधरी को गांव वालों से एकदम अलग दिखाया जाता है। 

इसके अलावा फिल्म में आतंकवादियों का किरदार प्ले कर रहे अभिनेता को देखकर वो डर महशूस नहीं होता है या यू कहें कि उनको देखकर आतंकवादियों वाला फिल नहीं आता है। फिल्म का फर्स्ट हाल्फ धीमा है। तो वहीं दूसरे सेकेंड हाल्फ से कुछ उम्मीद जगती है लेकिन वो भी निराश ही करता है। फिल्म में बस एक चीज ही अच्छी लगी है, वो हैं इस फिल्म के माध्यम से बंदा सिंह चौधरी की वास्तविक कहानी दुनिया को पता चल पाई है। 

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