Begum Akhtar: उस्ताद की डांट के बाद गायिकी छोड़ना चाहती थीं बेगम अख्तर, फिर यूं बन गयीं ‘मल्लिका-ए-गजल’

Begum Akhtar: बेगम अख्तर का जन्म सात अक्टूबर 1914 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जनपद में एक कुलीन परिवार में हुआ था। उनके पिता असगर हुसैन पेशे से वकील थे। वहीं गायिका का निधन 30 अक्टूबर 1974 को हुआ था।

Update:2024-10-30 11:44 IST

उस्ताद के डांट के बाद गायिकी छोड़ना चाहती थीं बेगम अख्तर (सोशल मीडिया)

Begum Akhtar Death Anniversary: प्रसिद्ध गायिका बेगम अख्तर को गायन के इतिहास में ‘मल्लिका-ए-गजल’ कहा जाता है। वह ठुमरी, दादरा और गजल के कारण जाना जाता है। उनका असली नाम अख्तरी बाई फैजाबादी था। गायन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के चलते गायिका बेगम अख्तर साल 1972 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही उन्हें पद्मश्री और मरणोपरांत पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया था। बेगम अख्तर का जन्म सात अक्टूबर 1914 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जनपद में एक कुलीन परिवार में हुआ था। उनके पिता असगर हुसैन पेशे से वकील थे। वहीं गायिका का निधन 30 अक्टूबर 1974 को हुआ था।

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बचपन से ही गायिका बनना चाहती थीं बेगम अख्तर

मशहूर गायिका बेगम अख्तर बचपन से ही गायिका बनना चाहती थीं। उन्होंने सात साल की उम्र में थिएटर में अभिनेत्री चंदा बाई को जब गाते हुए सुना। तभी से संगीत उनका पहला प्यार बन गया। लेकिन परिवार वाले उनके संगीत से लगाव के खिलाफ थे। बेगम अख्तर के चाचा ने उनकी काफी मदद की।

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बेगम अख्तर ने संगीत की शिक्षा दीक्षा उस्ताद मोहम्मद खान से ली थी। शुरूआत में जब उनके सुर सही नहीं लगते थे तब उनके उस्ताद ने कड़ी फटकार लगाते थे। जिसके बाद वह रोने लगती थी। उन्होंने संगीत को छोड़ने का भी मन बना लिया था। तब उनके उस्ताद ने उन्हें काफी समझाया कि ऐसे ही किसी भी बात से डर कर हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।

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बेगम अख्तर की गायिकी से प्रभावित थी सरोजिनी नायडू

15 साल की उम्र में गायिका बेगम अख्रत ने पहला स्टेज परफॉर्मेंस दिया। साल 1930 में यह कार्यक्रम नेपाल-बिहार भूकंप पीड़ितों के लिए आर्थिक मदद जुटाने के लिए किया गया था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची कवयित्री सरोजिनी नायडू बेगम अक्खर की गायिकी से काफी प्रभावित हुई थीं। उन्होंने बेगम अख्तर को तोहफे में साड़ी दी थी। साल 1945 में अख्तरी बाई ने लखनऊ के एक बैरिस्टर इश्तियाक अहमद अब्बासी से निकाह किया और बेगम अख्तर के रूप में मशहूर हो गयीं। 

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मंच पर बिगड़ी थी तबीयत

1974 में तिरुवनंतपुरम के पास बलरामपुरम में प्रसिद्ध गायिका बेगम अख्तर अहमदाबाद के मंच पर प्रस्तुति दे रही थीं। संगीत कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपनी आवाज़ की पिच बढ़ा दी। जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गयी। कार्यक्रम के दौरान वह ’वो तेग मिल गई, जिससे हुआ था कत्ल मेरा, किसी के हाथ का लेकिन वहां निशां नहीं मिलता’ गाना गा रही थी। तभी उनकी तबीयत बिगड़ी थी। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा, जहां उनका निधन हो गया। गायिका बेगम अख्तर को लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में उनके घर ’पसंद बाग’ के भीतर आम का बाग़ में दफनाया गया था। बेगम अख्तर को उनकी माँ मुश्तरी साहिबा के साथ दफनाया गया था।

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