Birthday Special: जानिए राज कपूर को क्यों पड़ा था थप्पड़, वजह जानकर दंग रह जाएंगे आप

हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता एवं निर्देशक और कपूर खानदान के सदस्य राज कपूर की आज जयंती है। इनका जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावार में हुआ था।

Update: 2019-12-14 04:37 GMT

मुंबई: हिन्दी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता एवं निर्देशक और कपूर खानदान के सदस्य राज कपूर की आज जयंती है। इनका जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावार में हुआ था। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के टाइम उनके पिता पृथ्वीराज कपूर भारत आए। उनकी रुचि थ‌िएटर में थी। उन्होंने एक्टिंग जगत में कई ऊंचाइयां हासिल की। अपने पिता को देखते हुए बेटे राज कपूर ने भी हिंदी सिनेमा में एक नया अध्याय लिख दिया। लेकिन इसकी शुरुआत के बारे में कम ही लोग जानते होंगे।

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जब राज कपूर को थप्पड़ मारा था इस शख्स

फिल्म निर्देशक केदार शर्मा और राज कपूर का गहरा रिश्ता रहा है। वो अपने करियर के शुरआती दिनों में असिस्टेंट के तौर पर केदार शर्मा के साथ थे। एक बार क्लैप देने में गलती करने पर केदार ने राज कपूर को करारा थप्पड़ सबके सामने मारा था लेकिन राज ने रिएक्ट नहीं किया। तब राज की आंखें देखकर केदार को गलती का एहसास हुआ और उन्होंने अपनी अगली फिल्म नीलकमल में मधुबाला के साथ राज को बतौर हीरो साइन किया।

राज कपूर और केदार शर्मा के संयोग गहरे रहे। महाराष्ट्र सरकार ने केदार शर्मा को राज कपूर अवॉर्ड से सम्मानित करने की घोषणा की थी। जिस दिन उन्हें अपने शिष्य के नाम का अवॉर्ड लेना था, उससे एक दिन पहले ही केदार शर्मा का देहांत हो गया। जबकि राज कपूर उनसे करीब दस साल पहले ही गुज़र चुके थे।

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केदार शर्मा शायद इकलौते या उन गिने चुने डायरेक्टरों में से एक हैं जिन्होंने अपनी ही फिल्म का रीमेक बनाया था। 1941 में मेहताब स्टारर 'चित्रलेखा' उन्होंने पहली बार बनाई थी लेकिन उनका कहना था कि वह इस फिल्म से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने इसे 1964 में मीना कुमारी, अशोक कुमार और प्रदीप कुमार के साथ 'दोबारा' बनाया। केदार शर्मा की हॉलीवुड यात्रा बेहद दिलचस्प और चर्चित रही थी। अपनी जीवनी 'द वन एंड लोनली केदार शर्मा' ने उस यात्रा का विस्तार में जिक्र किया और बताया कि उन दिनों हवाई यात्रा बेहद परेशानी भरी थी। एक बेंच पर 16 यात्री बैठे थे जैसे प्लेन नहीं किसी ट्रेन में सफर कर रहे हों। प्लेन को बार-बार रुकना पड़ता था और उस वक्त मुंबई में कोई ठीक एयर टर्मिनल तक नहीं था।

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