फ्रेंडशिप डे स्पेशल : बॉलीवुड स्क्रीन ने भी खूब निभाई है दोस्ती

Update:2016-08-06 16:26 IST

 

लखनऊ: दोस्ती हर इंसान की ज़िन्दगी का एक खूबसूरत और अहम रिश्ता है,जिसमें एक साथ ढेर सारे इमोशंस जुडे हुए हैं। प्यार,नाराजगी,आलोचना और सब मिलाकर बिना किसी शर्त के हर मोड़ पर आपका साथ देने वाला आपका अपना दोस्त। सच्चा दोस्त वही है जो अपने दोस्त को सच का आईना दिखाता रहे।

आपस में दिखावा और झूठी चापलूसी, दोस्ती की नींव को दीमक की तरह खोखला कर देती है। अच्छा दोस्त सिर्फ गपशप करने,घूमने फिरने का ही साथी नहीं होता,बल्कि सुख-दुख बांटने वाला, सही सलाह देने वाला भी होता है। इसलिए कहा जाता है की सच्चा दोस्त किस्मत वालों को ही मिलता है। ज़िन्दगी के हर पड़ाव पर एक दोस्त की अहमियत कुछ अलग ही होती है।

इस अनोखे नटखट रिश्ते की अहमियत तो टिनसेल टाउन यानी फिल्म जगत ने भी बखूबी दिखाई है। तो हमने सोचा क्यों ना इस फ्रेंडशिप डे पर हम बॉलीवुड के सफ़र में दोस्ती को तरजीह देने वाली फिल्मों से आपको रूबरू करवाएं।

दोस्ती पर सब कुछ कुर्बान

साल 1949 में महबूब खान की फिल्म 'अंदाज़' में पहली बार दोस्ती और प्रेम को दिखाया गया था। नायक दिलीप कुमार नायिका नर्गिस को घोड़े से गिरने से बचाते हैं और फिर इसके बाद दोनों में दोस्ती की शुरुवात होती हैI इसी तरह राज कपूर की फिल्म 'संगम' में दोस्ती को बेहद रूमानी अंदाज़ में पेश किया गया। फिल्म में राजेंद्र कुमार,राज कपूर और वैजयंतीमाला बचपन के दोस्त होते है,लेकिन इस फिल्म में भी प्यार को दोस्ती पर कुर्बान कर प्रेम को मंजिल दी जाती है। फिल्म का मशहूर गाना 'दोस्त..दोस्त न रहा, प्यार.. प्यार रहा' आज भी लोगो की जुबां पर हैI वहीं 60 के दशक में दोस्ती पर आधारित एक बहुत उम्दा फिल्म राजश्री प्रोडक्शन ने बनायी।

सत्येन बोस निर्देशित इस फिल्म का नाम था 'दोस्ती'। फिल्म ने अपनी कहानी और अभिनय से लोगों को सराबोर कर दिया और पुरस्कारों की झड़ी लग गयी। फिल्म के नायक दो युवा कलाकार थेI फिल्म में एक आंखों से और एक पैरों से मजबूर की अनूठी दोस्ती को दिखाया गया थाI जिसने लोगो को अन्दर तक झकझोर दिया और दोस्ती की अनूठी मिसाल का पैगाम भी दिया। साथ ही अगर बात की जाय 70 के दशक की, तो निर्माताओं ने दोस्ती को बड़े पैमाने पर फिल्मों में उतारा और शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना, धर्मेन्द्र और अमिताभ बच्चन जैसे नामचीन सितारों ने दोस्ती पर बनी फिल्मों में अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीत लिया।

महानायक ने खूब निभाई दोस्ती

रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' ने तो जय और वीरू की दोस्ती को ऐसे असरदार तरीके से पेश किया, कि ये फिल्म दोस्तों के लिए मील का पत्थर साबित हुई। फिल्म के आखिर में जय अपने दोस्त वीरू को बचाने के लिए अपनी जान देता है। यह बात अपने आप में दोस्ती की अनूठी मिसाल बन गयी। महानायक अमिताभ बच्चन को लेकर तो दोस्ती पर कई फिल्में बनीं, जिनमें हेराफेरी, खून पसीना, सिलसिला, दोस्ताना, याराना, आनन्द और नमक हराम का किरदार तो लोगों के दिलों में घर कर गया। सन 1981 में 'याराना' फिल्म के गाने ओ भोले मेरे यार को मना ले.. के ज़रिये अमिताभ बच्चन ने अमजद खान को मनाया। जिसे देखकर असल ज़िन्दगी में लोगों ने अपने दोस्तों को मनाने का तरीका ढूंढ लिया। फिल्म में एक अमीर दोस्त ने अपने गरीब दोस्त को एक अच्छा कलाकार बनाने के लिए अपना परिवार छोड़ दिया इसी तरह प्रकाश मेहरा की फिल्म ज़ंजीर में प्राण पर फिल्माया गया गीत यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िन्दगी ...पूरी फिल्म का सबसे खूबसूरत सीन-गीत है।

गानों ने भरी दोस्ती के रिश्ते में मिठास

यश चोपड़ा की फिल्म 'सिलसिला' भी दो दोस्तों की कहानी है। जिसमें दिखाया गया कि एक दोस्त की मौत की खबर सुनकर दूसरा दोस्त किस तरह अपने प्यार को कुर्बान कर देता है और दोस्त की मंगेतर के जीवन को खुशियों से भरने का फैसला लेता है। फ़िरोज़ खान निर्देशित फिल्म 'कुर्बानी' में दोस्ती के रिश्ते को बहुत ही खूबसूरत तरीके से दिखाया गया है। दोस्ती के ताने-बाने में बुनी इस फिल्म की अदाकारा जीनत अमान,विनोद खन्ना और फ़िरोज़ खान ने दर्शकों को ना सिर्फ फिल्म से बांधे रखा, बल्कि गाने भी खूब लोकप्रिय हुए।

यारो दोस्ती बड़ी ही हसीन है

इसी तरह फिल्मकारों ने मेरे हमदम मेरे दोस्त, तीन दोस्त, मुंबई से आया मेरा दोस्त.. जैसी कई फिल्में बनायीं। बॉलीवुड में दोस्ती का यह सफ़र 60 के दशक से आज तक चला आ रहा है। जिसमें फरहान अख्तर की दिल चाहता है, थ्री इडियट्स और ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा, काय पो छे, जैसी और भी कई फिल्मों ने दोस्ती के नए नजरिये को पेश किया। दोस्ती की इस रंगबिरंगी डोर को टिनसेल टाउन ने अपनी फिल्मों के ज़रिये इस तरह दिखाया कि लोग कहने को मजबूर हो गए यारो दोस्ती बड़ी ही हसीन है

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