जगजीत सिंह को श्रद्धांजलि: चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गए?
लखनऊ: गाने तो आज हजार बनते हैं, गजलें भी लिखी जाती हैं, लेकिन गजलों के सम्राट कहे जाने वाले जगजीत सिंह की आवाज जैसी मिश्री कहां से आएगी? कहां से आएगा वो दर्द, जो लोगों की आंखों में जगजीत सिंह की गजल सुनने के बाद छलक जाता है। उनकी आवाज में जो कशिश थी, वह कहीं और मिलना कठिन है। आज जगजीत सिंह की पुण्यतिथि है।
इस महान गजल सम्राट की पुण्यतिथि पर बताते हैं आपको जगजीत सिंह से जुड़ी कुछ खास बातें।
आगे की स्लाइड में जानिए जगजीत सिंह से जुड़ी इंट्रेस्टिंग बातें
सुरों के सम्राट जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को बीकानेर के श्रीगंगानगर में हुआ था। इन्हें बचपन से ही गाने का शौक था, जगजीत सिंह ने संगीत की शिक्षा उस्ताद जमाल खान और पंडित छगनलाल शर्मा से ग्रहण की। इनकी शुरूआती पढ़ाई जालंधर में हुई डीएवी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और इसके बाद कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। लेकिन कहते हैं कि जिसके मन में गायकी का कीड़ा बसा हो, वो ज्यादा समय संगीत से दूर कैसे रह सकता है?
आगे की स्लाइड में जानिए किन फिल्मों से शुरू हुआ इनकी आवाज का जादू
सिंगिंग की दुनिया में चमकने के लिए जगजीत सिंह नाम के इस सितारे ने 1965 में मुंबई में कदम रखा। जगजीत सिंह ने 1969 में मशहूर सिंगर चित्रा से लव मैरिज की। बता दें की जगजीत सिंह की आवाज ने फिल्म अर्थ, प्रेमगीत, लीला, सरफरोश, तुम बिन, वीर जारा के संगीत को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। कहा जाता है कि जब जगजीत सिंह पहली बार मुंबई में आए थे, तो उनके पास रहने और खाने के भी पैसे नहीं थे।
आगे की स्लाइड में जानिए किस दर्द से नहीं उबर पाए थे जगजीत सिंह
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि चेहरे पर मुस्कान रखकर संगीत को अपनी महरूम आवाज को लोगों तक पहुंचाने वाले सिंगर जगजीत सिंह 1990 में उस वक्त बुरी तरह टूट गए थे, जब उनके इकलौते बेटे की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। वह जगजीत सिंह की लाइफ का सबसे बुरा दौर था और वह 6 महीने तक सदमे में रहे जिससे उबरने में इन्हें 6 महीने का समय लगा।
आगे की स्लाइड में जानिए किन पुरूस्कारों से नवाजे गए जगजीत सिंह
कहा जाता है कि एक ऐसा समय भी आया था, जब उन्हें घर चलाने के लिए शादियों में गाना पड़ा। संगीत की दुनिया के जगजीत सिंह एकमात्र ऐसे फनकार हैं, जिनकी किसी से तुलना बेकार है। उनकी गई गजलों में दिल, मोहब्बत, जज्बात, जुदाई सभी का समागम रहा। इन्हें पद्मश्री और पद्मविभूषण से नवाजा जा चुका है।
आगे की स्लाइड में जानिए क्या है कब बंद हुई जगजीत सिंह की रूहानी आवाज
कुछ समय के बाद मुंबई के सन्मुखानंद प्रेक्षागार में जगजीत सिंह का गुलाम अली के साथ कार्यक्रम था, लेकिन कार्यक्रम से पहले ही उन्हें ब्रेन हैमरेज की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इसके बाद उनकी तबियत बिगडती गई और 10 अक्टूबर 2011 को संगीत की दुनिया के अनोखे सितारे दुनिया को अलविदा कह गए।
आगे की स्लाइड में सुनिए जगजीत सिंह की खास गजलें
आगे की स्लाइड में सुनिए जगजीत सिंह की गजल होठों से छू लो तुम