सलमान खान के घर पर फायरिंग मामले में मुंबई पुलिस ने लगाया ‘मकोका’, शूटर्स की जमानत मुश्किल

Salman Khan House Firing Case: मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस ने सलमान खान के घर के बाहर हुई फायरिंग मामले में मकोका लगा दिया है। अब इस मामले में गिरफ्तार हुए शूटरों की जमानत मुश्किल लग रही है। आईए, जानते हैं क्या है मकोका कानून?

Report :  Aniket Gupta
Update:2024-04-27 20:06 IST

Salman Khan House Firing Case: सलमान खान के घर के बाहर हुई फायरिंग मामले में बड़ी अपडेट है। मुंबई पुलिस ने इस मामले में 'मकोका कानून' लगा दिया है। अब इसके साथ ही मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों को जमानत मिलना मुश्‍क‍िल हो गया है। वहीं क्राइम पुलिस अनमोल बिश्‍नोई पर भी श‍िकंजा कसने वाली है। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच पहले ही इस मामले में लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई के ख‍िलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर चुकी है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि ‘मकोका’ कानून क्या है और इसके लगने से अब यह मामला किस तरह बदल गया है।

क्या है मकोका?

बता दें, महाराष्ट्र सरकार ने साल 1999 में अंडरवर्ल्ड पर लगाम लगाने के लिए मकोका कानून लेकर आई थी। मकोका का फुल फॉर्म 'महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट' होता है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य ऐसे क्राइम के खिलाफ एक्शन लेना है, जिसे पूरी प्लानिंग के साथ ग्रुप बनाकर अंजाम दिया गया हो। मकोका की सबसे खास बात यही है कि अगर किसी आरोपी के खिलाफ इस कानून के तहत कार्रवाई होती है, तो जब तक उस मामले में जांच पूरी नहीं हो जाती आरोपी को जमानत नहीं मिल सकती। जांच पूरी होने तक आरोपी को जेल में ही रहना पड़ता है। वर्तमान में महाराष्ट्र और दिल्ली में मकोका कानून लागू है।

90 दिन के बजाय 180 दिनों में दाखिल हो सकेगी चार्जशीट

14 अप्रैल 2024 की सुबह सलमान खान के गैलेक्‍सी अपार्टमेंट वाले घर के बाहर कुछ लोगों ने अचानक फायरिंग की। इसके बाद इस फायरिंग की जिम्मेदारी कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने ली। मामले की जांच करते हुए मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गोलीबारी के आरोपी शूटर्स सागर पाल और विक्‍की गुप्‍ता को गिरफ्तार किया जो 29 अप्रैल तक पुलिस रिमांड में है। अदालत ने पहले पुलिस को इनकी 10 दिनों की रिमांड सौंपी थी, लेकिन बाद में चार दिन बढ़ा दिया गया। अब इस मामले में मकोका लगने से मुंबई क्राइम ब्रांच चाहे, तो आरोपियों की 14 दिन की बजाय 30 दिन तक कस्टडी ले सकती है। इतना ही नहीं, अदालत की इजाजत के बाद मामले में 90 दिन की बजाय 180 दिनों में चार्जशीट दाखिल कर सकती है।

कोर्ट में सबूत के तौर पर मान्‍य होगा पूछताछ का बयान

मकोका के तहत पुलिस पूछताछ में डीसीपी रैंक के अधिकारी के सामने गिरफ्तार आरोपियों का दिया गया बयान, अब मजिस्ट्रेट के सामने दिये बयान के समान माना जाएगा। कोर्ट में यह सबूत के तौर पर पेश भी किया जा सकेगा। आरोपियों को अब कम से कम 6 महीने तक आसानी से जमानत नहीं मिलेगी। बता दें, मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस अब तक इस मामले में 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। जबकि जेल में बंद लॉरेंस ब‍िश्‍नोई और यूएई में रह रहे उसके भाई अनमोल बिश्नोई को वांटेड करार दिया है। अनमोल के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी है।

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