#RDBurman: अख़बार की खबर को भी बना देते थे धुन, ऐसे थे RD BURMAN

Update:2016-06-27 12:37 IST

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आरडी अरमान - फाइल फोटो

लखनऊ: उस आवाज में न जाने कौन की कशिश थी, उस शख्स में जाने क्या बात थी, अगर कोई एक बार उन्हें सुन लेता था। तो उनका मुरीद हो जाता था। उनके गानों को लोग हर वक़्त गुनगुनाया करते थे। बताया जाता था कि उनकी आवाज के लोग इतने बड़े फैन हुआ करते थे कि दूर से ही रेडियो पर सुनकर लोग बता देते थे कि ये आरडी बर्मन की आवाज है।

जी हां, हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड सिनेमा के लीजेंडरी म्यूजिक डायरेक्टर आरडी बर्मन जी की। कहने को तो आरडी बर्मन जी को दुनिया से विदा हुए 22 साल हो गए हैं। पर उनके चाहने वालों के दिलों से शायद ही कभी वो विदा हो पाएंगे। 70 के दशक में जब आरडी बर्मन जी ने सिंगिंग की दुनिया में कदम रखा, तो मानो संगीत की दुनिया और भी रंग-बिरंगी हो गई।

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आरडी बर्मन साहब को उस दशक से लेकर अब तक के सबसे महान संगीतकारों में से एक माना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने संगीत की कोई स्पेशल ट्रेनिंग नहीं ली थी फिर भी जब वो गाते थे, तो उनके गाने लोगों की जुबान पर रट जाते थे।

फिल्म महबूबा में उनका गाना ‘मेरे नैना सावन भादों’ आज भी लोगों की जुबान पर जिंदा है। पंचम दा के एक बड़े फैन संजय भटनागर का कहना है कि आज के सांग्स में वो बात कहां है, जो आरडी बर्मन जैसे सिंगर्स के गानों में होती है। आजकल भले ही म्यूजिक इंडस्ट्री में सिंगर्स की बाढ़ आ गई हो। लेकिन पंचम दा जैसे लोगों को दोबारा दोहराना मुश्किल है। ऐसे महान सिंगर संगीत की दुनिया में हमेशा अमर रहेंगे।

कठिन से कठिन गाने को भी वे ऐसे सुरों में पिरो देते थे कि हर कोई उनके संगीत का दीवाना हो जाता था। आज आरडी बर्मन का 77वां जन्मदिन है। उनके जन्मदिन के इस मौके पर बताते हैं आपको उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातें-

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आरडी बर्मन का पूरा नाम राहुल देव बर्मन है। इन्हें आज भी बॉलीवुड की दुनिया में पंचम दा के नाम से जाना जाता है। पंचम नाम के पीछे मजेदार किस्सा है। आरडी बचपन में जब भी गुनगुनाते थे, प शब्द का ही यूज करते थे। यह बात एक्टर अशोक कुमार के ध्यान में आई। सा रे गा मा पा में ‘प’ का स्थान पांचवा है। इसलिए उन्होंने राहुल देव को पंचम नाम से पुकारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनका यही नाम फेमस हो गया।

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बताया जाता है कि अपनी पहली फिल्म में ‘घर आजा घिर आए बदरा’ गीत आरडी, लता मंगेशकर से गवाना चाहते थे और लता इसके लिए राजी हो गईं। आरडी चाहते थे कि लता उनके घर आकर रिहर्सल करें। लता कंफ्यूज थी क्योंकि उस समय उनका कुछ कारणों से आरडी के पिता एसडी बर्मन से विवाद चल रहा था। लता उनके घर नहीं जाना चाहती थीं। लता ने आरडी के सामने शर्त रखी कि वे आएंगी तो लेकिन घर के अंदर पैर नहीं रखेंगी। मजबूरन आरडी अपने घर के आगे की सीढि़यों पर हारमोनियम बजाते थे और लता गीत गाती थीं। पूरी रिहर्सल उन्होंने ऐसे ही की।

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राहुल देव बर्मन ने गीतकार गुलजार के साथ अपने करियर के बेहतरीन गीत दिए। गुलजार के लिखे कठिन गीतों को उन्होंने अपनी धुनों से इतना सुरीला बना दिया कि खुद गुलजार हैरान रह जाते थे। बचपन से ही आरडी को संगीत का शौक था। जब नौ वर्ष के थे तब उन्होंने पहला गाना कम्पोज कर लिया था इस गाने 'ऐ मेरी टोपी पलट के आ' को उनके पिता ने 'फंटूश' (1956) में उपयोग किया था। गुरुदत्त की 'प्यासा' (1957) के गाने 'सर जो तेरा चकराए' की धुन भी आरडी ने बनाई थी।

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फिल्म 'इजाजत' के लिए गुलजार ने 'मेरा कुछ सामान' लिखा। आरडी के सामने जब यह गीत लाया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि अखबार की खबर मेरे सामने रख दी हो और इस पर धुन बनाने को कहा जा रहा हो। लेकिन आरडी ने ऐसी बेहतरीन धुन बनाई कि गायिका आशा भोसले को कई पुरस्कार इस गीत के लिए मिले।

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आरडी बर्मन को पहला बड़ा मौका विजय आनंद के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'तीसरी मंजिल' से मिला। कहा जाता है कि फिल्म के हीरो शम्मी कपूर और निर्माता नासिर हुसैन नहीं चाहते थे कि आरडी संगीत दें। निर्देशक के जोर देने पर उन्होंने तीन-चार धुनें सुनीं और सहमति दे दी। फिल्म का संगीत सुपरहिट रहा और आरडी के पैर बॉलीवुड में जम गए। आरडी बर्मन ने उस्ताद अली अकबर खान (सरोद) और सामता प्रसाद (तबला) से प्रशिक्षण लिया। वे संगीतकार सलिल चौधरी को भी अपना गुरु मानते थे। पिता के सहायक के रूप में भी उन्होंने काम किया है।

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'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू' से राजेश खन्ना और किशोर कुमार सफलता की सीढ़ी चढ़ गए। 'आराधना' फिल्म के इस गीत की धुन बनाते समय सचिन देव बर्मन बीमार थे। कहा जाता है कि इसकी धुन राहुल देव बर्मन ने ही बनाई थी।

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1970 में आरडी ने देवआनंद की फिल्म 'हरे रामा हरे कृष्णा' के लिए 'दम मारो दम' गीत बनाया था कहते हैं उस टाइम पर इस गाने ने म्यूजिक इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया था आज भी ये गाना उसी इन्ट्रेस्ट से सुना जाता है और उतना ही पसंद भी किया जाता है। ध्यान दिया जाए तो ऐसा रॉक नम्बर हिंदी फिल्मों में शायद ही पहले आया होगा।

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बतौर संगीतकार राहुल देव बर्मन फिल्मफेअर अवॉर्ड्स के लिए 17 बार नॉमिनेट हुए, लेकिन उन्हें तीन बार, सनम तेरी कसम (1983), मासूम (1984) और 1942 : ए लव स्टोरी (1995), ही यह अवॉर्ड मिला। आरडी बर्मन ने 331 फिल्मों में संगीत दिया, जिनमें से 292 हिंदी में हैं।

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आरडी बर्मन के बारे में कहा जाता है कि वे समय से आगे के संगीतकार थे। अपने अंतिम समय में उन्होंने ‘1942 ए लव स्टोरी’ में यादगार संगीत देकर यह साबित किया था कि उनकी प्रतिभा का सही दोहन फिल्म जगत नहीं कर पाया। 4 जनवरी 1994 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन दुनिया को गुनगुनाने लायक ढेर सारे गीत वे दे गए।

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आरडी बर्मन और आशा भोंसले - फाइल फोटो

आरडी बर्मन की पहली पत्नी का नाम रीता पटेल था। राहुल की रीता फैन थी। रीता ने अपने दोस्त से शर्त लगाई थी कि वह राहुल के साथ मूवी डेट पर जाएगी और ऐसा उसने कर दिखाया। 1966 में दोनों की शादी हुई और 1971 में तलाक हुआ। 1980 में आरडी ने आशा भोसले से शादी की। आशा ने अपने करियर के बेहतरीन गाने आरडी के साथ ही गाए और दोनों में अच्छी ट्यूनिंग हो गई थी।

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