महाभारत : हिंदी गीता और अभी तक का सबसे बड़ा लाखों का करार
देश और दुनिया में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे महाभारत के बारे में पता नहीं होगा। संस्कृत में रचा ये पौराणिक ग्रंथ कई भाषाओं में आसानी से देखा जा सकता है। महाभारत के अंश श्रीमद्भगवद्गीता को रमाकांत शर्मा ‘उद्भ्रांत’ द्वारा हिंदी में पुनर्सृजन किया गया है। ‘प्रज्ञावेणु’ नाम से। इसी के साथ उद्भ्रांत की मिथकीय छंद कविता ‘रुद्रावतार’ भी काफी चर्चा में रही है।
लखनऊ : देश और दुनिया में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे महाभारत के बारे में पता नहीं होगा। संस्कृत में रचा ये पौराणिक ग्रंथ कई भाषाओं में आसानी से देखा जा सकता है। महाभारत के अंश श्रीमद्भगवद्गीता को रमाकांत शर्मा ‘उद्भ्रांत’ द्वारा हिंदी में पुनर्सृजन किया गया है। ‘प्रज्ञावेणु’ नाम से। इसी के साथ उद्भ्रांत की मिथकीय छंद कविता ‘रुद्रावतार’ भी काफी चर्चा में रही है। अब इन दोनों रचनाओं को निर्माता-निर्देशक योगेश कुमार ऑडियो और वीडियो में आपके सामने लाने की तैयारी में हैं। उन्होंने शर्मा के साथ अनुबंध कर लिया है इसके तहत कॉपीराइट के लिए नौ लाख और सात फीसद रॉयल्टी भी शर्मा को दी जाएगी।
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साइनिंग एमाउंट के तौर पर दो लाख रुपए रमाकांत को दिए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि खड़ी बोली की किसी काव्य रचना के लिए ये अभीतक का सबसे बड़ा अनुबंध है।
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क्या कहते हैं योगेश
निर्माता-निर्देशक योगेश कुमार कहते हैं, प्रज्ञावेणु को मैं पिछले बीस वर्षों से पढ़ रहा हूं। इसमें भगवान के जरिए भारतीय विज्ञान का संदेश है। आज आम जन संस्कृत से दूर है। उद्भ्रांत ने गीता को साधारण तरीके से आम जनों के बीच पहुंचाया है। इससे पहले भी श्रीमद्भगवद्गीता के अंग्रेजी सहित विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद हुए, लेकिन वे उतने लोकप्रिय नहीं हुए।
योगेश कुमार कहते हैं गीता में विज्ञान भी है। यह ग्रंथ अंधविश्वास के खिलाफ एक सार्वजनिक संदेश है। यह आमजनों को संदेश देता है कि वे अंधविश्वास से दूर होकर अपना कर्म करें।
उन्होंने कहा, उद्भ्रांत ने गीता के पद्मानुवाद को मुक्त छंद में रखा। गीता पूरे देश के लोगों के दिल में है तो यह उनकी जुबान पर भी होनी चाहिए थी।
योगेश कहते हैं, मैंने उद्भ्रांत के साथ ‘रुद्रावतार’ को लेकर भी करार किया है। वे कहते हैं, मेरा मानना है कि लोगों को हनुमान चालीसा के पहले रुद्रावतार पढ़ना चाहिए। कुमार रुद्रावतार में शब्दों के चयन की सराहना करते हुए कहते हैं कि ये शब्द, इनकी गेयता पढ़ने वाले को ऊर्जा से भर देते हैं।
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