Shabana Azmi_ एक लीजेंड अभिनेत्री जिसकी जिंदगी है अभिनय व सफलता की मिसाल

Shabana Azmi: मशहूर शायर कैफी आजमी की संतान शबाना को यदि अपने पिता की सर्वश्रेष्ठ कृति कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shweta
Update: 2021-09-18 10:11 GMT

शबाना आजमी (फोटोः सोशल मीडिया)

Shabana Azmi:  आज की पीढ़ी के जवान या अधेड़ हो रहे लोग जब पैदा हुए होंगे वह बॉलीवुड में शबाना आजमी (Shabana Azmi)का स्वर्णिम दौर ज़रूर देखें होंगे। अभिनय के लिए पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली 18 सितंबर, 1950 को जन्मी शबाना आजमी का आज 72वां जन्मदिवस (shabana azmi birthday) है। शबाना आजमी अभिनय में क्रांतिकारी रहीं । अपनी अलग पहचान बनायी ।

लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनकी पहचान इतनी व्यापक है कि उनकी फिल्मी चकाचौंध की पहचान फीकी पड़ती नजर आती है। मशहूर शायर कैफी आजमी की संतान शबाना को यदि अपने पिता की सर्वश्रेष्ठ कृति कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आइए जानते हैं शबाना की जिंदगी से जुड़े तमाम अनसुलझे राज।

कौन हैं शबाना आजमी

शबाना आजमी (फोटो सोशल मीडिया) 

शबाना आजमी के पिता मशहूर शायर कैफी आजमी (Kaifi Azmi) का जन्म आजमगढ़ (Azamgarh) के छोटे से गांव मिजवां में हुआ था और 11 साल की उम्र में उन्होंने पहली गजल लिखकर अपनी प्रतिभा की पहचान करा दी थी। तरुणाई छोड़ युवावस्था में कदम रखते इस नौजवान को धार्मिक कट्टरता की जंजीरें रास नहीं आईं । साम्यवादी विचारधारा में खुलेपन का अहसास हुआ। इस बीच 1943 में साम्यवादी पार्टी ने मुंबई में कार्यालय खोला और इसकी जिम्मेदारी कैफी को सौंपी गई। लेकिन साहित्य से जुड़ाव के चलते कैफी ने यहां मजदूर मोहल्ला उर्दू अखबार का संपादन शुरू कर दिया। इसी दौरान उनकी मुलाकात मशहूर एक्ट्रेस और रंगमंच कलाकार शौकत से हुई और दोनों विवाह बंधन में बंध गए। शबाना आजमी का जब जन्म हुआ उस समय कैफी और शौकत हैदराबाद में रह रहे थे। दोनों कम्युनिस्ट पार्टी के मेंबर थे। जबकि शबाना के भाई बाबी आजमी का जन्म आजमगढ़ में हुआ। आपको यह जानकारी शायद न हो कि शबाना आजमी के माता पिता उन्हें घर में मुन्नी नाम से बुलाते थे। माता पिता दोनों की सक्रिय सामाजिक भागीदारी के बीच दोनों भाई बहन की परवरिश हुई। लेकिन शबाना को माता पिता से एक खास सीख मिली वह थी धैर्य और बौद्धिक विकास के साथ सतत प्रगति। इसके साथ ही शबाना में सामाजिक और मानवीय मूल्यों का विकास भी हुआ।

फिल्म इंस्ट्यूट की टॉपर हैं शबाना

शबाना आजमी (फोटो सोशल मीडिया) 

बचपन से निकलकर तरूणाई पार करते हुए शबाना ने मुंबई के क्वीन मेरी स्कूल में प्रवेश लिया। इसके बाद सेंट जेवियर कालेज मुंबई से मनोविज्ञान में ग्रेजुएशन किया। लेकिन उनका रुझान अभिनय में था इसलिए पुणे में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में प्रवेश लेकर 1972 में यहां से स्नातक किया और उस साल की टॉपर रहीं।

अभिनय मे किससे प्रेरित हैं शबाना आजमी

शबाना आजमी (फोटो सोशल मीडिया) 

अभिनय में उनकी आदर्श जया भादुड़ी रहीं। इस बात का खुलासा उन्होंने एक मौके पर खुद किया कि मुझे (डिप्लोमा) फिल्म सुमन में जया भादुड़ी को देखने का सौभाग्य मिला था और मैं उनके प्रदर्शन से पूरी तरह से मंत्रमुग्ध थी। क्योंकि यह मेरे द्वारा तब तक देखे गए अन्य प्रदर्शनों से बिल्कुल अलग था। मै उनके अभिनय से इतना चकित थी कि मैने कहा, " हे भगवान, अगर फिल्म संस्थान में जाकर मैं यह हासिल कर सकती हूं, तो मैं यही करना चाहंगी।" शबाना ने अंततः 1972 के सफल उम्मीदवारों की सूची में टॉप किया।

कौन थी पहली फिल्म

शबाना आजमी (फोटो सोशल मीडिया) 

पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से निकलकर शबाना (shabana azmi ki pehli film) ने ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म फासला को साइन किया और कांतिलाल राठौर की फिल्म परिणय में काम शुरू किया । लेकिन उनकी पहली फिल्म श्याम बेनेगल की अंकुर थी। यह कला फिल्म श्रेणी की गैर व्यावसायिक या समानांतर सिनेमा की फिल्म थी। यह फिल्म हैदराबाद में हुई सत्य घटना पर आधारित थी। इस फिल्म की चुनौतीपूर्ण भूमिका को करने से तमाम अभिनेत्रियों ने मना कर दिया। फिल्म रिलीज होने के बाद आलोचना की भी शिकार हुई । लेकिन शबाना की इससे धमाकेदार एंट्री हुई उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड मिला।

अवार्ड का सिलसिला

शबाना आजमी (फोटोः सोशल मीडिया) 

शबाना आजमी (shabana azmi ko mile award) की शुरुआत बहुत ही जोरदार रही। इसके बाद 1983 से 1985 तक लगातार तीन साल उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड मिला। इसमें अर्थ, भावना और स्वामी उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा अंकुर, थोड़ी सी बेवफाई, मासूम, अवतार, मंडी और स्पर्श में उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामांकित किया गया। 2003 से 2006 के बीच वह मकड़ी और तहजीब क लिए नामांकित हुई। 2006 और 2017 मे एक बार फिर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का अवार्ड मिला। इसके अलावा 1993 में लिबास के लिए, 1994 में पतंग और 1996 में फायर के लिए दो अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिले। अगर अन्य अवार्डों की बात करें तो एक लंबी लिस्ट है जिसमें फिल्म अंकुर, पार, इक पल, मृत्युदंड, गॉडमदर, तेहजीब, मार्निंग रागा को भी अन्य अवार्ड मिले हैं।

शबाना आजमी को उत्तर प्रदेश सरकार का यशभारती और राजीव गांधी एक्सीलेंस ऑफ सेक्युलरिज्म अवार्ड मिल चुका है। वह अमर अकबर एंथनी, परवरिश और मै आजाद हूं जैसी व्यावसायिक फिल्मों में भी अपनी छाप छोड़ चुकी हैं। खास बात एक समय वह अभिनेताओं से ज्यादा पैसा लेने वाली अभिनेत्री भी रही हैं। इतनी प्रतिभाशाली अभिनेत्री शबाना आजमी अपनी जिंदगी में दोबार आत्महत्या की कोशिश भी कर चुकी हैं । एक बार जहर खाकर स्टूडेंट लाइफ में और एक बार ट्रेन से कटकर। हम उनके दीर्घ जीवन की कामना करते हैं। वर्तमान में वह जावेद अख्तर की पत्नी हैं। दोनों की जोड़ी आदर्श कही जाती है।

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