Ganesh Chaturthi Special: कोई मिथक नहीं...तो ऐसे कटा था भगवान गणेश का सिर
Ganesh Chaturthi Special: ब्रह्माजी ने भी जब लोक निर्माण के काम शुरू किए थे तो उससे पहले उन्होंने भगवान गणेश (वक्रतुंड) की आराधना की थी।
Ganesh Chaturthi Special: ब्रह्माजी ने भी जब लोक निर्माण के काम शुरू किए थे तो उससे पहले उन्होंने भगवान गणेश (वक्रतुंड) की आराधना की थी। अर्थात इस सृष्टि को बनाने वाले ही जब गजानन की पूजा कर रहे हों, तो उनके महत्त्व को स्वयं ही समझा जा सकता है। हिन्दू धर्म में हर देवता से जुड़ी कोई ना कोई पुराण आदि अवश्य है जिसमें उनके विभिन्न रूप, चमत्कार आदि का वर्णन होता है। ऐसा ही गणेश जी से जुडी दो पुराण हैं। पहला गणेश पुराण और दूसरा मुद्गल पुराण। इसके अलावा कई और साहित्य है जिसमें गणेश जी से जुडी कथाएं आपको मिल जाएंगी
(Ganesh Chaturthi vrat katha)।
पिता महादेव ने क्रोध में काटा था सिर
ऐसी ही एक रोचक कथा है गणेश जी के सिर कटने के संबंध में। पहली कहानी के अनुसार, एक दिन माता पार्वती ने नहाते वक़्त मेल और उबटन से एक प्रतिमा बनाई और उसमें प्राण डाल दिए। ऐसे गणेश जी की उत्पत्ति हुई। उस समय गणेश जी का मुख सामान्य था। एक दिन स्नान के लिए जाते वक्त माता पार्वती ने घर के पहरेदारी का आदेश छोटे गणेश को दिया। उन्होंने पुत्र गणेश से कहा कि जब तक वो स्नान कर रही हैं किसी को भी घर में प्रवेश ना करने दें। माता के जाते ही गणेश आज्ञा पालन में जुट गए। तभी दरवाजे पर स्वयं भगवान शंकर आए। उन्होंने पुत्र गणेश से कहा, यह मेरा घर है इसलिए मुझे घर में प्रवेश करने दे। लेकिन गणेश जी अड़ गए। गणेश के रोकने से गुस्साए महादेव ने गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। छोटे गणेश को निष्प्राण देख माता पार्वती विलाप करने लगीं। माता के चित्कार को सुन महादेव को उनकी गलती का एहसास हुआ। माता पार्वती के क्रोध की अग्नि से सृष्टि को बचाने के लिए महादेव ने गणेश के धड़ पर गज का सिर लगा दिया। साथ ही छोटे गणेश को प्रथम पूज्य का वरदान भी दिया।
शापित शनिदेव की वजह से कटा सिर
अब दूसरी कथा ब्रह्मवैवर्त पुराण से। इस पुराण के अनुसार छोटे गणेश के जन्म के उपरांत सभी देवी-देवता उनके दर्शन को कैलाश पर्वत पहुंचे थे। इन्हीं में शनिदेव भी थे। अन्य देवी-देवताओं ने छोटे गणेश का दर्शन किया लेकिन शनिदेव कैलाश पहुंचकर भी नन्हें गणेश की तरफ नहीं देख रहे थे। यह बात माता पार्वती को खटकी। उन्होंने शनिदेव से इसका कारण पूछा। तब शनिदेव ने बताया कि वो पत्नी के श्राप से शापित हैं। शनिदेव ने बताया कि वो जिस पर भी दृष्टि डालेंगे उसका अनिष्ट हो जाएगा। इसी कारण वो नन्हें गणेश की तरफ नहीं देख रहे हैं। शनिदेव की ये बातें सुनकर माता पार्वती बोलीं यह सृष्टि ईश्वर के अनुसार चलती है।
अतः वो भयमुक्त होकर छोटे गणेश को देखें। कथानुसार, माता पार्वती के कहने पर जैसे ही शनिदेव ने नन्हें गणेश को देखा उनका सिर धड़ से अलग हो गया। अपने बच्चे की यह हालत देख माता पार्वती ने महाविलाप शुरू दिया।तत्पश्चात भगवान विष्णु ने एक हाथी के बच्चे का सिर छोटे गणेश के धड़ से जोड़ दिया। इसके बाद बालक गणेश फिर से जीवित हो गए। इन दो कहानियों को बताने का यह मकसद बिलकुल भी नहीं है कि पाठक के मन में कोई भ्रम या मिथक रहे। बल्कि यह है कि वजह जो भी हो हिन्दू मान्यताओं में उसे स्वीकार किया जाता रहा है। भगवान गणेश से जुड़ी ऐसी ही कई कहानियां और मान्यताएं हैं, जिसका उद्धरण विभिन्न पुराणों में अलग-अलग तरीके से किया गया है।