Gujarat Election 2022: गोधरा सीट पर ओवैसी ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें, मुस्लिम मतों का बंटवारा BJP के लिए फायदेमंद
Gujarat Assembly Election 2022: गोधरा सीट पर भाजपा प्रत्याशी सीके राउलजी के खिलाफ कांग्रेस और आप दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। मगर ओवैसी की ओर से भी प्रत्याशी उतारे जाने के कारण भाजपा को फायदा होता दिख रहा है।
Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार चरम पर पहुंच चुका है। 1995 से राज्य की सत्ता पर काबिज भाजपा ने इस बार भी जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। दूसरी ओर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की ओर से भाजपा की तगड़ी घेरेबंदी की गई है। राज्य में हो रहे त्रिकोणीय मुकाबले के बीच सबकी निगाहें गोधरा सीट पर भी लगी हुई हैं। पिछले चुनाव में इस सीट पर भाजपा को 258 मतों से जीत मिली थी और इस बार भी सीट पर कड़ा मुकाबला हो रहा है। गोधरा सीट पर भाजपा प्रत्याशी सीके राउलजी के खिलाफ कांग्रेस और आप दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं मगर असदुद्दीन ओवैसी की ओर से भी इस सीट पर प्रत्याशी उतारे जाने के कारण भाजपा को फायदा होता दिख रहा है।
गुजरात की सियासत में गोधरा की चर्चा हाल के वर्षों में हमेशा होती रही है। 27 फरवरी 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी एस-6 फूंके जाने के कारण 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गुजरात के विभिन्न इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे जिनमें एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
2002 के बाद हमेशा चर्चा में रहा है गोधरा
2002 के बाद गुजरात में गोधरा हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है। खास तौर पर चुनाव के मौके पर गोधरा और उसके बाद गुजरात में हुए दंगों की चर्चा जरूर होती है। गोधरा स्टेशन पर ट्रेन फूंके जाने की घटना के 59 मृतकों में 25 महिलाएं 25 बच्चे और 9 पुरुष शामिल थे। इस घटना के कुछ ही घंटों बाद गुजरात के कई हिस्सों में हिंसा भड़क उठी थी। गुजरात के विभिन्न हिस्सों में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 1044 लोगों की मौत हुई थी।
गुजरात के दंगा पीड़ितों पीड़ितों में बिलकिस बानो भी शामिल थीं जिनकी हाल के दिनों में काफी चर्चा होती रही है। दंगाइयों ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया था और उनकी तीन साल की बच्ची समेत 15 लोगों को मार डाला था। गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत इस घटना के 11 दोषियों को गत 15 अगस्त को रिहा किया गया था जिसे लेकर पूरे देश में सियासी भूचाल आ गया था। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी कई इलाकों में बिलकिस बानो का मामला गूंज रहा है।
गुजरात चुनाव में दंगों की एंट्री
गुजरात चुनाव के दौरान हो रही सियासी तकरार में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के भी एंट्री हो गई है। शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने नाडियाड खेड़ा की चुनावी सभा में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कांग्रेस पर सांप्रदायिक और जातीय दंगे भड़काने का बड़ा आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दूसरे समुदायों और विभिन्न जातियों के लोगों को उकसाने का काम किया।
उन्होंने गोधरा कांड के बाद गुजरात के विभिन्न इलाकों में भड़की हिंसा की घटनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2002 में हुई इन घटनाओं के बाद दंगाइयों को ऐसा सबक सिखाया गया कि उन्होंने अपराध का रास्ता छोड़ दिया। उनके सबक सिखाने के बयान पर एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी आपत्ति जताई है।
भाजपा प्रत्याशी की मजबूत पकड़
गोधरा सीट पर इस बार भाजपा ने सीके राउलजी को चुनाव मैदान में उतारा है जो पिछले तीन चुनाव से लगातार जीत हासिल कर रहे हैं। 2007 और 2012 का चुनाव उन्होंने कांग्रेस टिकट पर जीता था मगर 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वे भाजपा में शामिल हो गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र सिंह परमार को महज 258 मतों से हराया था। राउलजी का कहना है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में हमारे लोग ही निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हो गए थे जिसकी वजह से मुझे काफी मतों का नुकसान उठाना पड़ा।
2012 के चुनाव में राउलजी को 2888 मतों से जीत हासिल हुई थी। वैसे राउलजी की गोधरा विधानसभा क्षेत्र पर मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे इस सीट से 6 बार चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। भाजपा ने राउलजी पर इस बार फिर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है।
भाजपा को कैसे मिल सकता है फायदा
कांग्रेस ने इस इस बार गोधरा सीट पर स्मिता बेन चौहान को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि आम आदमी पार्टी ने राजेंद्र पटेल राजू पर भरोसा जताया है। असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार मुफ्ती हसन को चुनाव मैदान में उतारकर कांग्रेस और आप के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। क्षेत्र के जानकार लोगों का मानना है कि ओवैसी की ओर से उम्मीदवार उतारे जाने के कारण इस सीट पर मुस्लिम मतों का बंटवारा होना तय है।
गोधरा के म्युनिसिपल कारपोरेशन के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने आठ उम्मीदवार उतारकर सात सीटों पर जीत हासिल की थी। ऐसे में ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार को खारिज नहीं किया जा सकता। मुस्लिम मतों में बंटवारा होने का सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। ऐसी स्थिति में भाजपा उम्मीदवार राउलजी का समीकरण मजबूत होता दिख रहा है।
कांग्रेस को मुस्लिम मतदाताओं पर भरोसा
गोधरा विधानसभा सीट पर करीब दो लाख 83 हजार मतदाता है। इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 65 हजार है। जिला कांग्रेस के अध्यक्ष अजीत सिंह भाटी का मानना है कि बिलकिस बानो के साथ हुई घटना के दोषियों को रिहा करने का चुनाव पर खासा असर पड़ेगा। उनका कहना है कि सरकार के इस कदम से मुस्लिम मतदाताओं में नाराजगी है और मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर कांग्रेस को वोट करेंगे।
उन्होंने एंटी इनकंबेंसी और महंगाई के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि दलित और आदिवासी मतदाताओं में भी भाजपा के प्रति गुस्सा है जिसका फायदा कांग्रेसी प्रत्याशी को मिलेगा। यदि उनका दावा सच निकला और मुस्लिम मतों में बंटवारा नहीं हुआ तो भाजपा प्रत्याशी राउलजी को यहां कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ेगा। वैसे कई चुनावों से क्षेत्र के मुस्लिम मतदाता कांग्रेस का समर्थन करते रहे हैं।
चुनाव मैदान में हैं पांच मुस्लिम प्रत्याशी
वैसे क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि गोधरा सीट पर मुस्लिम समाज के पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं। इनमें ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार मुफ्ती हसन भी शामिल हैं। ऐसे में मुस्लिम मतों का निश्चित तौर पर बंटवारा होगा। क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राजेश पटेल राजू मजबूती से चुनाव लड़ते नहीं दिख रहे हैं।
दूसरी ओर भाजपा, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी ने पूरी ताकत लगा रखी है। क्षेत्र के कुछ लोगों का कहना है कि बिलकिस बानो मामले का असर क्षेत्र में नहीं दिख रहा है। हालांकि ओवेसी इस मामले को गरमाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में मुस्लिम मतों का बंटवारा होने पर भाजपा को फायदा होगा।
गोधरा के नतीजे पर सबकी निगाहें
कई सियासी जानकारों का कहना है कि मुस्लिम मतदाताओं के एकजुट होकर वोट देने की प्रतिक्रिया भी दिख सकती है। हिंदू मतदाताओं में भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण दिख सकता है और इसका भी फायदा भाजपा प्रत्याशी को ही मिलेगा। गुजरात के पंचमहल जिले के अंतर्गत आने वाले गोधरा में दूसरे चरण में 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। गोधरा देश की सियासत में हमेशा चर्चा का विषय रहा है और यही कारण है कि इस बार भी इस सीट पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई हैं।