Gujarat Assembly Election 2022: इन सीटों पर कभी नहीं जीत पायी भाजपा, ये है कारण
Gujarat Assembly Election 2022: भाजपा लगातार सातवीं बार सरकार बनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन गुजरात की कुछ ऐसी विधानसभा सीटें है जिन पर गुजरात निर्माण के बाद में भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत पायी है।
Gujarat Assembly Election 2022:गुजरात में भारतीय जनता पार्टी पिछले 27 सालों से सत्ता में है। भाजपा गुजरात की सत्ता में आने के लिए लगातार सातवीं बार सरकार बनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन गुजरात की कुछ ऐसी विधानसभा सीटें है जिन पर गुजरात निर्माण के बाद में भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत पायी है। गुजरात की 8 विधानसभा सीटों पर बीजेपी कभी जीत नहीं दर्ज कर पायी है। इसके अलावा चार और ऐसी सीटें हैं जिन पर बीजेपी कभी उपचुनाव में जीत दर्ज नहीं कर पायी है। ये दर्जन भर सीटें अनुसूचित जन जाति वाले बाहुल्य इलाके की हैं, जहां पर बीजेपी पैठ बनाने में नाकामयाब रही है।
गुजरात में पहली बार 1962 में विधानसभा चुनाव करवाये गये थे। 1962 से 1985 तक कांग्रेस लगातार राज्य में सत्ता में थी। लेकिन साल 1990 से भाजपा सत्ता में आती रही है। राज्य में कांग्रेस का प्रदर्शन साल 1985 तक बहुत ही अच्छा रहा था। 1985 में कांग्रेस ने 56 फीसदी मत पाकर रिकार्ड जीत दर्ज की थी। राज्य में भाजपा भले 27 सालों से लगातार है लेकिन कांग्रेस का रिकार्ड अभी तक नहीं तोड़ पायी है।
इन सीटों पर नहीं जीती भाजपा
बोरसाद (आणंद जिला), झगड़िया (भरूच), व्यारा (तापी), भिलोडा (अरावली), महुधा (खेड़ा), अंकलाव (आनंद), दानिलिमडा (अहमदाबाद), गरबडा (दाहोद जिला) इन 8 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी कभी चुनाव नहीं जीत पायी है। बोरसाद से कांग्रेस लगातार कांग्रेस चुनाव जीतती रही है। झगड़िया (भरूच) से कांग्रेस 1985 तक लगातार कांग्रेस चुनाव जीतती रही उसके बाद में छोटूभाई वसावा झगड़िया से लगातार 7 बार सांसद रहे हैं। छोटू भाई वसावा 6 बार जनता दल के टिकट से और साल 2017 में भारतीय ट्राइबल पार्टी से चुनाव जीते थे। यही हाल व्यारा विधानसभा का है जहां पर दो 1990 और 1995 में कांग्रेस के बागी चुनाव जीते हैं। लेकिन 1995 के बाद कांग्रेस लगातार चुनाव जीतती रही है। इतना ही नहीं भिलोडा, महुधा, आंकलव, दानिलिमडा और गरबडा में बीजेपी एक बार भी जीत नहीं दर्ज कर पायी है।
बता दें कि गुजरात की 27 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित हैं लेकिन बीजेपी इन जन जातियों और मुसलमानों के बीच पकड़ बनाने में कामयाब नहीं हो पायी है। साल 2017 में इन आरक्षित सीटों पर बीजेपी 8 और कांग्रेस 15 सीटों पर जीत दर्ज कर पायी है।