Gujarat Assembly Election: कांग्रेस ने बढ़ाई हार्दिक की परेशानी, तलाश रहे दूसरा घर, नरेश होंगे स्टार प्रचारक
Gujarat Assembly Election: सूत्रों की मानें तो हार्दिक पटेल के हाव भाव देख कर गुजरात के प्रभारी रहे अशोक गहलोत को इससे निपटने की कमान दी गयी। अशोक गहलोत ने ही नरेश पटेल से संपर्क साधा।
Gujarat Assembly Election: लंबे समय से मीडिया में पार्टी विरोधी बयान देते आ रहे गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल की परेशानी कांग्रेस ने बढ़ा दी है। ऐन चुनाव के समय हार्दिक के सामने सिर्फ़ यह विकल्प रह गया है कि भारतीय जनता पार्टी की राह पकड़े या फिर कांग्रेस में हाईकमान की शर्तों पर बने रहें। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल पाटीदार समाज से हैं। हार्दिक व भूपेन्द्र पटेल दोनों कड़वा पाटीदार समाज से आते हैं। कांग्रेस ने हार्दिक पटेल को ठीक करने के लिए नरेश पटेल को पार्टी में लाने की सभी औपचारिकताएँ पूरी कर ली हैं।
इसी साल दिसंबर में होने वाले चुनावों की तैयारियाँ भाजपा व कांग्रेस दोनों ने तेज कर दी हैं, तभी तो उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे आने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात जा धमके। यही नहीं, संघ प्रमुख मोहन भागवत व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी गुजरात दौरे का अपना अभियान शुरू कर दिया।
वैसे तो नरेंद्र मोदी व अमित शाह की भाजपा 24 गुणा 7 चुनावी मूड व मोड़ में रहती है। पर गुजरात को लेकर भाजपा की सक्रियता को समय से पहले चुनाव कराने की संभावना के तहत कांग्रेस देख रही है। यही वजह है कि कांग्रेस ने भी अपनी बिसातें बिछाना शुरू कर दिया है।
सूत्रों की मानें तो हार्दिक पटेल के हाव भाव देख कर गुजरात के प्रभारी रहे अशोक गहलोत को इससे निपटने की कमान दी गयी। अशोक गहलोत ने ही नरेश पटेल से संपर्क साधा। नरेश पटेल को कांग्रेस लाने की भूमिका तैयार की। सोनिया गांधी से नरेश पटेल को मिलवाया। पटेल लेउवा पाटीदार समाज से आते हैं, जबकि हार्दिक कडवा पाटीदार समाज से आते हैं।
इसी के साथ अपने समाज में नरेश पटेल की धार्मिक हैसियत भी है। वह खोडलधाम ट्रस्ट के मुखिया और पाटीदार समुदाय के बड़े चेहरे हैं। कांग्रेस ने हार्दिक के पर तेज़ी से कतरने तब शुरू कर दिये जब उन्होंने अपने डीपी से कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पंजे को हटाकर भगवा मफ़लर लगा दिया।
हार्दिक को दो साल पहले गुजरात में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। मगर हार्दिक को इस बात की नाराजगी है कि पार्टी से जुड़े मसलों पर उनकी कोई राय नहीं ली जाती। वे पार्टी के प्रदेश नेतृत्व पर खुद को परेशान करने का आरोप भी लगा चुके हैं। उनकी अभी पीड़ा है कि सब कुछ जानने के बावजूद राहुल गांधी की ओर से इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
दूसरी ओर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठकोर का कहना है कि हार्दिक मीडिया में तो पार्टी विरोधी बयान देते रहते हैं । मगर वे पार्टी फोरम पर शिकायतों के संबंध में चर्चा करने के इच्छुक नहीं हैं। ठकोर का यह भी कहना है कि मतभेदों को सुलझाने के लिए हार्दिक को आमंत्रित किया गया । मगर वे चर्चा करने से हमेशा बचते रहे हैं।
सियासी जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक सियासी मोलभाव की कोशिश में जुटे हुए हैं। इसीलिए कभी बागी तेवर दिखाते हैं । तो कभी सारे मतभेद खत्म हो जाने की बात करते हैं। कभी भाजपा की प्रशंसा करने लगते हैं तो कभी गुजरात में आम आदमीं पार्टी को बढ़ती हुई ताकत बताते हैं।
हार्दिक का कहना है कि पार्टी में मेरी स्थिति उस नवविवाहित दूल्हे की तरह हो गई है जिसकी नसबंदी कर दी गई हो। उनका आरोप है कि उन्हें पीसीसी की बैठकों में नहीं बुलाया जाता। पार्टी की नियुक्तियों के संबंध में भी उनसे कोई सलाह नहीं ली जाती। जबकि गुजरात में कांग्रेस की कामयाबी के पीछे पाटीदार आंदोलन की बड़ी भूमिका है।
दूसरी ओर हार्दिक का कहना है कि मैं नरेश भाई को पार्टी में शामिल किए जाने के खिलाफ नहीं हूं । मगर कहीं उनका भी मेरे जैसा ही हश्र न हो जाए। वह यह भी कहते हैं कि कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनाव में मेरा उपयोग किया, 2022 में नरेश पटेल का उपयोग करेगी तो क्या हाल कि 2027 के चुनाव में कोई नया पटेल नेता ढूंढ कर सामने लाया जाएगा?
उनका कहना है कि कांग्रेस में मजबूती से काम करने वालों की कोई पूछ नहीं होती। इसी का नतीजा है कि भाजपा राज्य में लगातार मजबूत होती जा रही है। उन्होंने दोनों पार्टियों की तुलना करते हुए भाजपा के काम करने के ढंग की प्रशंसा भी की है। हार्दिक की ओर से भाजपा के प्रशंसा भरे बयान को उनकी सियासी चाल का ही हिस्सा माना जा रहा है।
अल्पेश ठाकोर के कांग्रेस छोड़कर चले जाने का जिक्र करते हुए हार्दिक का कहना है कि उसने भी स्वार्थ की वजह से नहीं बल्कि परेशान किए जाने के कारण ही पार्टी से अलग राह चुन ली। कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व में तनिक भी दम नहीं है फिर भी गुटबाजी को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।
गुजरात में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी आम आदमी पार्टी भी हार्दिक पटेल पर डोरा डालने में जुटी हुई है। आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल इटालिया ने हार्दिक के संघर्षों की याद दिलाते हुए कहा है कि वे अपने दम पर मजबूत नेता बनकर उभरे हैं।
कांग्रेस नेतृत्व के प्रति हार्दिक की नाराजगी का जिक्र करते हुए इटालिया ने कहा कि गुजरात की आप इकाई में हार्दिक पटेल जैसे संघर्ष करने वाले नेता की जरूरत है। आप की ओर से दिए गए इस आमंत्रण पर अभी हार्दिक पटेल ने अपनी प्रतिक्रिया नहीं जताई है । मगर उनकी ओर से हाल में दिए गए बयानों से साफ हो गया है कि वे कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।
आप नेता का यह भी कहना है कि हार्दिक की ओर से पार्टी फोरम में उठाए जाने वाले मुद्दों का कोई नतीजा नहीं निकलने वाला है। ऐसी स्थिति में हार्दिक को कांग्रेस में अपना समय नहीं बर्बाद करना चाहिए । बल्कि आप से जुड़कर भाजपा की चुनौती का सामना करने में हमारा साथ देना चाहिए। पंजाब में मिली प्रचंड जीत के बाद आप की निगाहें भी गुजरात पर लगी हुई हैं। आप भाजपा व कांग्रेस के सामने खुद को तीसरी बड़ी ताकत बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।
पाटीदार बनाम ओबीसी के समीकरण में उलझी कांग्रेस
गुजरात में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पाटीदार समुदाय के लोग आरक्षण को लेकर भाजपा से नाराज थे । मगर इसके बावजूद कांग्रेस पाटीदारों का एकमुश्त समर्थन पाने में नाकामयाब रही। नरेश पटेल ने गुजरात में अगला मुख्यमंत्री पाटीदार समुदाय का होने की बात कही है ।मगर कांग्रेस ओबीसी वोट बैंक को लेकर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोल पाई है। जानकारों का मानना है कि गुजरात में कांग्रेस को पाटीदार बनाम ओबीसी की राजनीति ने उलझन में डाल रखा है।
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के बेटे भरत सिंह सोलंकी के हाथों में था। इस समय गुजरात प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व जगदीश ठकोर के हाथों में है। ये दोनों ही नेता ओबीसी वर्ग से आते हैं। इस तरह कांग्रेस पाटीदार बनाम ओबीसी के समीकरण में उलझी हुई है। वह किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है।
हार्दिक ने बीते गुरुवार को अपने पिता की पुण्यतिथि के मौके पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था।इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए गुजरात कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा भी पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने 2022 के चुनावों में हार्दिक की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि हमने इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने का लक्ष्य रखा है। कांग्रेस को विजय दिलाने में हार्दिक की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी।
हालाँकि पिता की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान हार्दिक के तेवर बदले हुए नजर आए। इसके पीछे प्रशांत किशोर का चैप्टर क्लोज होने को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। कांग्रेस के जानकारों का कहना है कि नरेश पटेल प्रशांत किशोर की पसंद रहे हैं। अब पीके की कांग्रेस में एंट्री की संभावनाएं खत्म होने के बाद नरेश पटेल के पार्टी में शामिल होने की संभावना भी खत्म हो गई है।
बीते गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान हार्दिक पटेल ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मतभेद की बात से पूरी तरह इनकार कर दिया। उनका कहना था कि अगर पार्टी नेताओं के साथ कोई दूरी पैदा भी हुई तो मुझे इस दूरी को खत्म हो जाने का पूरा विश्वास था। उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह पार्टी के साथ खड़ा हूं।गुजरात के साढ़े छह करोड़ लोगों की भलाई के लिए काम करना चाहता हूं।