Gujarat Assembly Elections: नरेश पटेल हैं हार्दिक की नाराजगी का कारण, कांग्रेस नेता को सता रहा है इस बात का डर

कांग्रेस हाईकमान विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात में बदलाव के बड़े बदलाव के पक्ष में दिख रहा है मगर पार्टी के स्थानीय नेता इस बदलाव के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2022-04-23 12:02 GMT

New Delhi: गुजरात में विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) से पहले पाटीदार समुदाय (Patidar community) को लुभाने की कांग्रेस (Congress) की कोशिशें महंगी साबित होती दिख रही हैं। खोडलधाम ट्रस्ट (Khodaldham Trust) के मुखिया और पाटीदार समुदाय के बड़े चेहरे नरेश पटेल (Naresh Patel) कि कांग्रेस में एंट्री की सियासी चर्चाएं काफी दिनों से सुनी जा रही हैं मगर अभी तक अंतिम फैसला नहीं हो सका है।

अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress President Sonia Gandhi) से नरेश पटेल से मुलाकात के बाद आखरी फैसला होने की उम्मीद है। इस बीच पाटीदार समुदाय के एक और बड़े चेहरे हार्दिक पटेल ने कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर सवाल खड़ा करके पार्टी की मुसीबतें और बढ़ा दी है। कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि हार्दिक अपने से बड़े किसी पाटीदार नेता को पार्टी में शामिल किए जाने के खिलाफ हैं और यही उनकी नाराजगी की असली वजह है।

हालांकि हार्दिक की ओर से लगातार उनकी बातों को महत्व न दिए जाने और पार्टी की ओर से अनदेखी किए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं मगर असली वजह नरेश पटेल को लेकर उनकी नाराजगी जताई जा रही है। इसी कारण पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी संकटपूर्ण स्थिति में फंस गया है और इसका पार्टी को चुनाव में सियासी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

पार्टी में बड़े बदलाव का फैसला अटका

कांग्रेस हाईकमान विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात में बदलाव के बड़े बदलाव के पक्ष में दिख रहा है मगर पार्टी के स्थानीय नेता इस बदलाव के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि आने वाले दिनों में अन्य नेताओं की अपेक्षा उनकी राजनीतिक पूछ घट सकती है और राजनीतिक असुरक्षा की इसी भावना के कारण पार्टी में बड़े बदलाव का फैसला अटका हुआ है।

कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल (Congress leader Hardik Patel) समय-समय पर पार्टी में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते रहे हैं और अब उन्होंने भाजपा की तारीफ करते नेतृत्व को और मुंह चिढ़ाने का काम किया है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व गुजरात में बड़े बदलाव के पक्ष में है मगर विरोध की आशंका से छोटे बदलाव की दिशा में भी अभी तक कोई कदम नहीं उठाया जा सका है।

दूसरे मुद्दे उठाकर कांग्रेस को फंसा रहे हैं हार्दिक

प्रदेश में काफी दिनों से पाटीदार समुदाय के बड़े नेता नरेश पटेल की कांग्रेस में एंट्री की चर्चाएं हवा में तैर रही हैं मगर अभी तक आखिरी फैसला नहीं हो सका है। खोडलधाम ट्रस्ट के मुखिया नरेश पटेल की पाटीदार समुदाय में मजबूत पकड़ मानी जाती है मगर इसके बावजूद उनकी पार्टी में एंट्री को लेकर अभी तक तस्वीर नहीं साफ हो सकी है।

जानकारों तक का तो यहां तक कहना है कि पार्टी की प्रदेश इकाई और नरेश पटेल के बीच सभी मुद्दों पर बातचीत हो चुकी है मगर फिर भी अभी तक उनकी कांग्रेस में एंट्री का रास्ता नहीं खुल सका है। नरेश पटेल के कांग्रेस में शामिल होने पर हार्दिक को अपना महत्व कम हो जाने की आशंका सता रही है। इसीलिए वे इशारों में दूसरे मुद्दे उठाकर कांग्रेस को असहज स्थिति में डालने की कोशिश कर रहे हैं।

नरेश पटेल को लेकर फंसा हुआ है पेंच

गुजरात में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पाटीदार समुदाय के लोग आरक्षण को लेकर भाजपा से नाराज थे मगर इसके बावजूद कांग्रेस पाटीदारों का एकमुश्त समर्थन पाने में नाकामयाब रही। नरेश पटेल ने गुजरात में अगला मुख्यमंत्री पाटीदार समुदाय का होने की बात कही है मगर कांग्रेस ओबीसी वोट बैंक को लेकर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोल पाई है। जानकारों का मानना है कि गुजरात में कांग्रेस को पाटीदार बनाम ओबीसी की राजनीति ने उलझन में डाल रखा है।

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी (Former Chief Minister Madhav Singh Solanki) के बेटे भरत सिंह सोलंकी के हाथों में था। इस समय गुजरात प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व जगदीश ठकोर के हाथों में है। ये दोनों ही नेता ओबीसी वर्ग से आते हैं। इस तरह कांग्रेस पाटीदार वर्सेस ओबीसी (Patidar Vs OBC) के समीकरण में उलझी हुई है और किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है। कांग्रेस की इसी सोच ने नरेश पटेल की पार्टी में एंट्री पर अंकुश लगा रखा है।

हार्दिक 28 को दिखाएंगे ताकत

हार्दिक पटेल 28 अप्रैल को अपने पिता की बरसी के मौके पर बड़ा आयोजन करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। पिछले साल 28 अप्रैल को कोरोना के कारण उनके पिता भरत भाई पटेल का निधन हो गया था। हार्दिक को इस बात का भी मलाल रहा है कि उनके पिता की मौत के बाद पार्टी का कोई बड़ा नेता उनके पास नहीं पहुंचा। दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उन्होंने फोन पर हार्दिक पटेल को से शोक संवेदना जता दी थी। कोरोना की दूसरी लहर के काफी जानलेवा होने के कारण पार्टी नेताओं के हार्दिक के आवास पर न पहुंचने की बात कही जा रही है।

अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि हार्दिक की ओर से इस साल किए जाने वाले आयोजन में कांग्रेस के कौन-कौन से चेहरे पहुंचते हैं। राज्य के सियासी जानकारों का मानना है कि प्रदेश कांग्रेस में चल रही यह खींचतान पार्टी के लिए आने वाले चुनाव में भारी पड़ सकती है। इस विवाद को जल्द से जल्द सुलझाए जाने की जरूरत है मगर पार्टी नेतृत्व इस बाबत कोई आखिरी फैसला नहीं ले सका है। टालमटोल की नीति पर चलकर आग के ठंडा होने का इंतजार किया जा रहा है।

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