Gujarat Election 2022: BJP समीकरण साधने में जुटी, आदिवासी बेल्ट में कांग्रेस को झटका देने की तैयारी
Gujarat Election 2022: भाजपा ने आदिवासी बेल्ट में विशेष अभियान चला रखा है। गुजरात विधानसभा के चुनाव में आदिवासी समुदाय की बड़ी भूमिका होती है
Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा का चुनाव (Gujarat Assembly Election)नजदीक आने के साथ भाजपा (BJP) लगातार अपनी ताकत बढ़ाने और कांग्रेस (Congress) को झटका देने की कोशिश में जुटी हुई है। वैसे तो भाजपा की चुनावी मशीनरी पूरे प्रदेश को ध्यान में रखते हुए सक्रिय हो चुकी है मगर इस बार आदिवासी बेल्ट (tribal belt) में भाजपा ने विशेष अभियान चला रखा है। दरअसल गुजरात विधानसभा के चुनाव में आदिवासी समुदाय (tribal belt) की बड़ी भूमिका होती है क्योंकि विधानसभा की 27 सीटें इस समुदाय के लिए आरक्षित हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इनमें से 15 सीटें जीतकर भाजपा को बड़ा झटका दिया था। इस कारण इस बार भाजपा ने आदिवासी बेल्ट (tribal belt) पर खास फोकस कर रखा है।
अश्विन कोतवाल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का थाम लिया था दामन
आदिवासी नेता और तीन बार चुनाव जीत चुके अश्विन कोतवाल ने पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। कोतवाल के इस कदम से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है और आदिवासी बेल्ट में भाजपा की पकड़ और मजबूत हुई है। कोतवाल के बाद भाजपा कांग्रेस के और नेताओं को भी तोड़ने की कोशिश में जुटी हुई है। भाजपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस के कई और बड़े चेहरे कांग्रेस को झटका देकर भाजपा में शामिल हो जाएंगे।
आदिवासी बेल्ट की सीटों पर जबर्दस्त खींचतान
दरअसल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से गुजरात की सत्ता में लंबे समय से काबिज भाजपा को इस बार घेरने का जोरदार अभियान चलाया जा रहा है। भाजपा इन दोनों दलों को माकूल जवाब देने की कोशिश में जुट गई है। इस बार आदिवासी बेल्ट की 27 सीटों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच जबर्दस्त खींचतान चल रही है। अश्विन कोतवाल का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कांग्रेस ने आदिवासी नेता सुखराम राठवा को आगे करके भाजपा को जवाब देने की कोशिश की है। कांग्रेस ने कोतवाल के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है।
कोतवाल की ओर से उठाया गया कदम अवसरवाद और विश्वासघात की राजनीति: प्रवक्ता
गुजरात कांग्रेस कमेटी (Gujarat Congress Committee) के प्रवक्ता मनीष दोषी (Spokesperson Manish Doshi) ने कहा कि कोतवाल की ओर से उठाया गया कदम अवसरवाद और विश्वासघात की राजनीति है। एक ओर तो वे आदिवासी समुदाय की वकालत का दावा करते हैं मगर उन्होंने ऐसे दल का दामन थामा है जिसने आदिवासी समुदाय के विकास के लिए अभी तक कुछ काम ही नहीं किया। दूसरी और कोतवाल का कहना है कि वे आदिवासी इलाके में कांग्रेस के काम करने के ढंग से निराश थे और इस कारण उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देना ही बेहतर समझा।
इस बार कांग्रेस को जवाब देने की तैयारी
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी इस बार आदिवासी समुदाय को साधने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। गुजरात विधानसभा में 27 सीटें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित हैं और ऐसे में आदिवासी समुदाय चुनावी नतीजे में बड़ी भूमिका निभाएगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इनमें से 15 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी जबकि भाजपा को सिर्फ 9 सीटों पर ही कामयाबी मिल सकी थी। कांग्रेस की सहयोगी भारतीय ट्राइबल पार्टी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की थी।
वैसे पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के कई विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इन विधायकों में आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विधायक भी शामिल हैं। विधायकों के पाला बदल के बाद अब दोनों पार्टियों के पास आदिवासी इलाकों से जुड़े 12-12 विधायक हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल (BJP state president CR Patil) पिछले विधानसभा चुनाव में सूरत के प्रभारी थे और उन्होंने सूरत की सभी 12 सीटों पर भाजपा को जीत दिलाने में कामयाबी हासिल की थी। इस बार प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्होंने आदिवासी इलाकों के लिए विशेष रणनीति बना रखी है और माना जा रहा है कि इसके सकारात्मक नतीजे दिखाई देंगे।
कांग्रेस के बड़े चेहरों को तोड़ने की कोशिश
आदिवासी इलाकों पर फोकस करने के साथ ही भाजपा कांग्रेस के बड़े चेहरों को तोड़ने की कोशिश में भी जुटी हुई है। पाटीदार समुदाय पर मजबूत पकड़ रखने वाले प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल इन दिनों पार्टी के प्रदेश नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं और वे अपने सोशल मीडिया बायो से कांग्रेस का नाम तक हटा चुके हैं। ऐसे में उनके कांग्रेस छोड़ने की अटकलें लगातार तेज होती जा रही हैं।
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नितिन पटेल के मंत्री पद से हटने के बाद भाजपा को एक मजबूत पाटीदार चेहरे की जरूरत है और हार्दिक पटेल इस खांचे में पूरी तरह फिट बैठते हैं। उनके पार्टी में शामिल होने से निश्चित रूप से भाजपा की सियासी स्थिति और मजबूत हो जाएगी। कांग्रेस के एक और विधायक शैलेश परमार को लेकर भी पाला बदल की सियासी चर्चाएं तेज हो चुकी हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने परमार को अपने साथ गाड़ी में बिठा लिया था और उसके बाद ही उनके पाला बदल की सियासी अटकलें भी तेज हो गई हैं।
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