गुजरात चुनाव: पाटीदारों को साधने में जुटी भाजपा, सौराष्ट्र में पूरी ताकत लगाने की तैयारी
Gujarat Election: चुनाव में भाजपा की नजर खास तौर पर पाटीदार समुदाय के वोट पर टिकी हुई है। पिछले चुनाव में पाटीदार बेल्ट कहे जाने वाले सौराष्ट्र के इलाके में भाजपा कांग्रेस से पिछड़ गई थी।
Gujarat Election: गुजरात में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव ( Vidhan Sabha Election) को जीतने के लिए भाजपा ने बड़े स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का गृह राज्य होने के कारण भाजपा (BJP) गुजरात में बड़ी जीत हासिल करके बड़ा सियासी संदेश देना चाहती है। पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह के हाल के गुजरात दौरों को इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है।
इस बार के चुनाव में भाजपा की नजर खास तौर पर पाटीदार समुदाय के वोट पर टिकी हुई है। पिछले चुनाव में पाटीदार बेल्ट कहे जाने वाले सौराष्ट्र के इलाके में भाजपा कांग्रेस से पिछड़ गई थी। यही कारण है कि पार्टी इस बार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। पाटीदार समुदाय के मजबूत चेहरे हार्दिक पटेल के एक-दो दिनों के भीतर ही भाजपा का दामन थामने की उम्मीद है। इससे पार्टी की ताकत में और इजाफा होना तय है।
सौराष्ट्र में कांग्रेस से पिछड़ गई थी भाजपा
गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस को पिछाड़ने में जरूर कामयाब हुई थी मगर पार्टी 100 सीटों के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई थी। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सौराष्ट्र में पार्टी का कमजोर प्रदर्शन माना गया था। सौराष्ट्र में विधानसभा की 54 सीटें हैं और इन सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा को पछाड़ दिया था। सौराष्ट्र में भाजपा 23 और कांग्रेस 30 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। यदि सूरत में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा होता तो पार्टी 23 सीटें जीतने में भी कामयाब नहीं हो पाती।
यही कारण है कि पार्टी इस बार कोई भी जोखिम नहीं मोल लेना चाहती। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का गृह राज्य होने के कारण गुजरात के चुनाव पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। भाजपा भी इस राज्य के चुनावी नतीजे के सियासी महत्व को समझ रही है। यदि भाजपा गुजरात का चुनाव जीतने में कामयाब नहीं रही तो इसे बड़ा सियासी संदेश माना जाएगा और पार्टी की ताकत को लेकर सवाल खड़े हो जाएंगे।
पाटीदार समुदाय को साधने की रणनीति
अगले विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा लड़ाई पाटीदार समुदाय को साधने की है। पाटीदार आंदोलन का सबसे ज्यादा असर सौराष्ट्र पर में ही दिखा था और इसका भाजपा को खासा खामियाजा उठाना पड़ा था। हालांकि अब सौराष्ट्र के सियासी हालात बदलते हुए नजर आ रहे हैं। पाटीदार समुदाय पर मजबूत पकड़ रखने वाले हार्दिक पटेल ने पिछले दिनों कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वे लगातार भाजपा की नीतियों की प्रशंसा करने में जुटे हुए हैं और माना जा रहा है कि वे एक-दो दिनों के भीतर ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
दूसरी और कांग्रेस खोडलधाम ट्रस्ट के मुखिया नरेश पटेल के जरिए पाटीदार समुदाय में बड़ी सेंध लगाने की तैयारी में जुटी हुई है। यद्यपि नरेश पटेल ने अभी तक कांग्रेस का दामन नहीं थामा है मगर उनका रुख कांग्रेस की ओर ही झुका हुआ माना जा रहा है। नरेश पटेल के इस रुख को देखते हुए भाजपा ने एक और पाटीदार नेता परेश गजेरा पर डोरे डालने शुरू कर दिया है।
पीएम मोदी और शाह का गुजरात पर फोकस
हाल के दिनों में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह ने गुजरात के कई दौरे किए हैं। पीएम मोदी ने शनिवार को राजकोट में एक बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और इस दौरान उन्होंने अपने आठ साल के प्रधानमंत्रित्व काल और इस दौरान देशवासियों के कल्याण के लिए शुरू की गई योजनाओं का विस्तार से जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने आठ साल में ऐसा कुछ भी नहीं किया है जिससे देश के लोगों को सिर झुकाना पड़े। उन्होंने अपनी सरकार की आठ साल की उपलब्धियां भी गिनाईं।
दूसरी और कांग्रेस चुनावी तैयारियों में पिछड़ती हुई दिख रही है। हार्दिक पटेल के इस्तीफे से भी पार्टी को करारा झटका लगा है। पार्टी के नेताओं के बीच जबर्दस्त गुटबाजी दिख रही है। पिछले दिनों राहुल गांधी ने गुजरात का दौरा किया था मगर इस दौरान पार्टी के नेता गुटों में बंटे हुए दिखाई पड़े। भाजपा कांग्रेस की इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए चुनाव में अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है।