Gujarat Riots 2002 : क्या है नरोदा गाम केस? जिसमें माया कोडननी, बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपी हुए बरी
Gujarat Riots 2002: गुजरात के बहुचर्चित नरोदा गाम केस में अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने 20 अप्रैल को अपना फैसला सुनाया। स्पेशल कोर्ट ने माया कोडनानी, बाबू बजरंगी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
Gujarat Riots 2002 News: गुजरात के बहुचर्चित नरोदा गाम केस (Naroda Gam massacre case) में अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने गुरुवार (20 अप्रैल) को अपना फैसला सुना दिया। स्पेशल कोर्ट ने माया कोडनानी (Maya Kodnani), बाबू बजरंगी (Babu Bajrangi) सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। 21 वर्ष पहले हुए इन दंगों में 11 लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में पूर्व बीजेपी विधायक तथा गुजरात सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 86 लोग आरोपी थे। सभी को कोर्ट ने बरी कर दिया।
नरोडागाम हिंसा में पूर्व मंत्री माया कोडनानी, बाबू बजरंगी, जयदीप पटेल समेत 69 आरोपियों को स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया है। दरअसल, 27 फरवरी 2002 को यूपी के अयोध्या से लौट रही साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) के डिब्बे में पेट्रोल डालकर गुजरात के गोधरा में 58 कारसेवकों को जिंदा जला दिया गया था।
11 लोगों को जिंदा जला दिया गया था
इसी के प्रतिक्रिया स्वरूप 28 फरवरी 2002 को गुजरात बंद की घोषणा हुई थी। देखते ही देखते अहमदाबाद शहर सहित पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे (Communal Riots in Gujarat) भड़क उठे। इन दंगों में 28 फरवरी को नरोडागाम के अंदर और बाहर कथित तौर पर 11 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। इसी मामले में तत्कालीन गुजरात सरकार में मंत्री माया कोडनानी का भी आया था। लेकिन, आज के फैसले से उन्हें सहित अन्य आरोपियों को राहत मिली होगी।
सुनवाई के दौरान 18 आरोपियों की मौत
आपको बता दें, इस मामले के आरोपियों में बीजेपी की पूर्व एमएलए माया कोडनानी (Maya Kodnani Naroda Gam massacre case) और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी (Bajrang Dal leader Babu Bajrangi) समेत कुल 86 आरोपी थे। लेकिन, 21 साल पुराने इस मामले में सुनवाई के दौरान 18 लोगों की मौत हो गई। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी की घटना बेहद भयावह थी। उस घटना ने गुजरात ही नहीं पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। तब राज्य में कई जगह दंगे हुए थे। जिसे कारसेवकों की मौत पर प्रतिक्रिया बताया गया था।
नरोदा गाम के बाद पूरे गुजरात में भड़की हिंसा
अहमदाबाद के नरोदा गाम में सांप्रदायिक हिंसा इसलिए चर्चित रही, क्योंकि यहां के बाद ही पूरे गुजरात में जहां-तहां हिंसा फैली थी। इस मामले में SIT जांच बैठी। एसआईटी ने अपनी जांच में माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था। माया कोडनानी राज्य सरकार में पूर्व मंत्री रही हैं। नरोदा मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा- 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा किया गया था।
उल्लेखनीय है कि, नरोदा गाम मामले की सुनवाई 2009 से शुरू हुई थी। मामले में 187 लोगों से पूछताछ की गई। जबकि 57 चश्मदीद के बयान भी दर्ज हुए। इस मामले में 13 साल से सुनवाई जारी थी। जिस पर 20 अप्रैल को फैसला आया।