Teesta Setalvad: जानिए जानी मानी कानूनी हस्तियों के सीतलवाड़ परिवार के बारे में
Teesta Setalvad: तीस्ता भारत के पहले अटॉर्नी जनरल एम सी सीतलवाड़ की पोती हैं। उनके परदादा चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड़ हंटर कमीशन में तीन भारतीय सदस्यों में से एक थे।
Teesta Setalvad: तीस्ता सीतलवाड़ इन दिनों काफी चर्चा में हैं। गुजरात दंगों पर एसआईटी रिपोर्ट और उसपर सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल तो तीस्ता पुलिस हिरासत में हैं। उनपर कथित तौर पर दंगों के संबंध में एसआईटी को गलत सूचना देने का आरोप है।
बहरहाल, तीस्ता सीतलवाड़ के बारे में जानना जरूरी है क्योंकि वह खुद नामचीन परिवार से ताल्लुक रखती हैं। भले ही तीस्ता एक एक्टिविस्ट हैं लेकिन उनका परिवार देश के नामचीन विधिवेत्ताओं का रहा है। गुजरात के सीतलवाड़ खानदान की कई पीढ़ियों से कानून के क्षेत्र में विशेषज्ञता और विशिष्टता रही है।
तीस्ता, भारत के पहले अटॉर्नी जनरल एम सी सीतलवाड़ की पोती हैं। उनके परदादा चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड़ हंटर कमीशन में तीन भारतीय सदस्यों में से एक थे जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच की थी। तीस्ता के पिता अतुल सीतलवाड़ एक जानेमाने वकील हैं।
मोतीलाल चिमनलाल सीतलवाड़
मोतीलाल सीतलवाड़ (1884 - 1974) एक प्रख्यात भलविधिवेत्ता थे। वे भारत के पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले अटॉर्नी जनरल (1950-1963) रहे। वह भारत के पहले विधि आयोग (1955-1958) के अध्यक्ष भी रहे, जिसे भारत सरकार द्वारा देश में कानूनी सुधार के लिए बनाया गया था। 1961 में वे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पहले अध्यक्ष बने। उन्हें 1957 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
वे बॉम्बे के एडवोकेट जनरल भी रहे थे
एम सी सीतलवाड़, कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद मामलों में सरकार के लिए पेश हुए। वह भारत-पाकिस्तान सीमा के सीमांकन और कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की कई कार्यवाहियों में भारत की ओर से पेश हुये थे। उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले विधि आयोग की अध्यक्षता की, जिसमें उन्होंने न केवल महत्वपूर्ण सुधारों और कानूनों पर सरकार को सलाह दी, बल्कि आयोगों के भविष्य के कामकाज के लिए एक रूपरेखा भी तैयार की।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया की वेबसाइट के अनुसार, मोतीलाल सीतलवाड़ एक सच्चे दिग्गज थे, जिनकी उपलब्धियों को देश भर के बार रूम और लॉ कॉलेजों में बहुत उत्साह के साथ सुनाया जाता है।
प्रसिद्ध अधिवक्ता सर चिमनलाल सीतलवाड़ के सबसे बड़े बेटे, एमसी सीतलवाड़ ने बार में खुद को स्थापित किया था। उन्होंने अपने पेशे में नैतिकता पर बहुत जोर दिया लेकिन किसी व्यक्ति के कद की परवाह नहीं कि। उन्होंने सटीक मानकों का सख्ती से पालन किया।
चिमनलाल सीतलवाड़
तीस्ता सीतलवाड़ के परदादा, सर चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड़ ब्रिटिश भारत के जमाने के एक प्रख्यात बैरिस्टर और न्यायविद थे। उन्होंने 20वीं सदी की शुरुआत में बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत की थी। चिमनलाल का जन्म जुलाई 1864 में भरूच (गुजरात) में हुआ था, उनका जन्म एक कुलीन ब्रह्मक्षत्रिय परिवार में हुआ था, जिसने पिछली दो पीढ़ियों से कानून में विशिष्टता हासिल की थी।
चिमनलाल ने 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद हंटर जांच आयोग के सदस्यों में से एक के रूप में कार्य किया था। उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय के कुलपति और बॉम्बे के राज्यपाल की एग्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। वह 1924 में बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा स्थापित "बहिष्कृत हितकारिणी सभा" के संस्थापक अध्यक्ष भी थे।
चिमनलाल को गांधी ने "महान सत्यनिष्ठा के निष्पक्ष अधिवक्ता" के रूप में मान्यता दी थी। चिमनलाल भारत के विभाजन के सख्त विरोधी थे। फिल्म गांधी (1982) में, चिमनलाल सीतलवाड़ को हबीब तनवीर द्वारा हंटर कमीशन के सदस्य के रूप में चित्रित किया गया। फ़िल्म में उन्हें जनरल डायर से जिरह करते दिखाया गया है।