Morbi Bridge Collapse: पुल संचालन वाली कंपनी की सच्चाई आई सामने, DM को चिट्ठी में लिखा- परमानेंट कॉन्ट्रैक्ट नहीं, तो..
Morbi Bridge Collapse: मोरबी पुल का संचालन देखने वाली Oreva Company की एक चिट्ठी ने तहलका मचा रखा है। कंपनी ने चिट्ठी में जिलाधिकारी को कॉन्ट्रेक्ट सहित मरम्मत और मेंटेनेंस से जुड़ी बातें लिखी है।
Morbi Bridge Collapse : गुजरात के (Gujarat) के मोरबी जिले में मच्छु नदी पर रविवार को ब्रिज (Morbi Bridge Collapse) गिरने से 135 लोगों की मौत हो गई। हादसे के बाद पुल का मेंटेनेंस करने वाली कंपनी की कार्यप्रणाली में कई तरह की खामियां सामने आईं। इस बीच मोरबी पुल का संचालन देखने वाली कंपनी ओरेवा (Oreva Company) की एक चिट्ठी सामने आई है। कंपनी ने चिट्ठी में जिलाधिकारी को साफ-साफ लिखा है कि अगर, उसे स्थाई तौर पर कॉन्ट्रेक्ट नहीं दिया जाता है तो काम अधूरा होगा। चिट्ठी में रेनोवेशन और मरम्मत से संबंधित कई अन्य बातें भी लिखी हैं।
चिट्ठी में क्या लिखा है?
बताया जा रहा है कि मोरबी जिला कंपनी का जनवरी 2020 में लिखी एक चिट्ठी (Oreva group letter) सामने आई है। इस चिट्ठी में कंपनी ने मोरबी के जिला कलेक्टर को लिखा था कि, अगर कंपनी को स्थायी कॉन्ट्रेक्ट नहीं दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में रिनोवेशन का काम पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसी स्थिति में कंपनी केवल अस्थायी मरम्मत का काम ही करेगी। मोरबी डीएम को लिखी इस चिट्ठी में ये भी लिखा है कि, अगर पुल का अस्थाई काम ही होना है तो कंपनी कोई भी सामान मरम्मत के लिए ऑर्डर नहीं करेगी। यहां आपको ये भी बता दें, कि ओरेवा कंपनी की ओर से ये शर्त रखी गई थी कि जब तक काम का स्थायी ठेका उसे नहीं दिया जाएगा, तब तक काम नहीं होगा।
'अस्थाई रिपेयर के बाद ही ब्रिज खोल देंगे'
इतना हैं नहीं जिला कलेक्टर को लिखे पत्र में ये भी कहा गया है कि यदि सिर्फ रिपेयरिंग का ही काम होने वाला है, तो ऐसी स्थिति में कंपनी कोई सामान मरम्मत के लिए ऑर्डर नहीं करेगी। कंपनी का मकसद परमानेंट कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना था। ओरेवा कंपनी ने चिट्ठी में साफ-साफ लिखा है कि वो सिर्फ अस्थाई रिपेयर कर ही इस पुल को खोल देंगे।
चिट्ठी में DM पर नाराजगी जाहिर
बताया जा रहा है कि, ब्रिज का संचालन करने वाली कंपनी ओरेवा ने मोरबी के डीएम से मुलाकात की थी। उस भेंट में भी ब्रिज वाली डील पर मंथन हुआ था। उसके बाद ही कलेक्टर को ये चिट्ठी लिखी गई थी। चिट्ठी में इस बात पर नाराजगी जाहिर की जा रही है कि कलेक्टर कंपनी को परमानेंट कॉन्ट्रैक्ट नहीं दे रहे।