Morbi Bridge Collapse: ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल ने कोर्ट में सरेंडर किया

Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी जिले के पुल हादसे के मुख्य आरोपी और ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल ने मंगलवार (31 जनवरी) को कोर्ट में सरेंडर किया।

Written By :  aman
Update:2023-01-31 16:37 IST

ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल (Social Media)

Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी जिले के पुल हादसे के मुख्य आरोपी और ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल ने मंगलवार (31 जनवरी) को कोर्ट में सरेंडर किया। पुलिस की तरफ से मुख्य आरोपी बनाए गए जयसुख पटेल ने घटना के बाद देश छोड़ दिया था। इस मामले में पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद से ही ओरेवा ग्रुप के प्रमोटर जयसुख पटेल के सरेंडर की संभावना जताई जा रही थी। 

आपको बता दें, मोरबी ब्रिज हादसे में पुलिस ने जयसुख पटेल सहित 10 आरोपियों के खिलाफ 1262 पेज की चार्जशीट तैयार की थी। जिसे कोर्ट में पेश किया गया। चार्जशीट में जयसुख पटेल के नाम को मुख्य आरोपी के तौर लाल स्याही से लिखा गया। ज्ञात हो कि, 30 अक्टूबर 2022 की शाम को अचानक पुल टूटने से 135 लोगों की मौत हो गई थी। 

अमेरिका चले गए थे जयसुख पटेल 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोरबी हादसे के बाद मुख्य आरोपी जयसुख पटेल अमेरिका चले गए थे। हालांकि, बाद में वो भारत लौटे। गुजरात पुलिस (Gujarat Police) पिछले 3 महीने से जयसुख पटेल की तलाश कर रही थी। इस बीच, जयसुख पटेल के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया गया था। गुजरात पुलिस के एक अधिकारी ने टीओआई को बताया था कि, जयसुख पटेल की गिरफ्तारी पर कोई स्टे नहीं है। ऐसे अगले कुछ दिनों में जयसुख पटेल अगर सरेंडर नहीं करते हैं तो पुलिस को गिरफ्तार करने में कोई बाधा नहीं है। जयसुख पटेल ने मोरबी की जिला एवं सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत की अर्जी भी लगाई थी। मगर, आज खुद ही उन्हों सरेंडर कर दिया।  

ओरेवा समूह के पास था रखरखाव का जिम्मा

मोरबी जिले की मच्छु नदी (Machhu River) पर स्थित ऐतिहासिक सस्पेंशन ब्रिज के रखरखाव की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप (Oreva Group) के पास थी। ओरेवा समूह ने इस पुल की मरम्मत की थी। आरोप है कि ओरेवा समूह ने बिना किसी फिटनेस टेस्ट के इस पुल को खोल दिया था। जिसके बाद 30 अक्टूबर 2022 को छुट्‌टी की वजह से ज्यादा संख्या में लोग इस झूलते पुल पर पहुंचे। भीड़ नियंत्रण की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण पुल पर ज्यादा भीड़ इकठ्ठा हो गई। क्षमता से ज्यादा टिकट बेचे गए थे। पुल अधिक भर नहीं संभाल पाया और हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में 135 लोग मारे गए। हादसे के बाद पुलिस ने ओरेवा ग्रुप के खिलाफ केस दर्ज किया था।

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