PM Modi Rajkot Connection: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजकोट से है खास कनेक्शन

PM Modi Rajkot Connection: नरेंद्र मोदी वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे। वह 1990 में BJP के राज्य संगठन के महासचिव भी थे।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Ragini Sinha
Update:2021-09-17 14:48 IST

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजकोट से है खास कनेक्शन (social media)

PM Modi Rajkot Connection: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन में उनके पहले चुनाव का एक दिलचस्प वाकया है, जो राजकोट से जुड़ा हुआ है। दरअसल, पीएम मोदी ने 2002 में राजकोट विधानसभा सीट से अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा। वे इस सीट से जीतकर गुजरात के 15वें मुख्यमंत्री बने। राजकोट विधानसभा सीट-2 को अब राजकोट पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। राजकोट की यह सीट जादुई मानी जाती है। जब नरेंद्र मोदी ने राजकोट से पहला चुनाव लड़ा, तब उन्होंने रिक्शा में प्रचार किया था।

वजुभाई ने छोड़ी मोदी के लिए सीट

कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल वजुभाई वाला राजकोट की इस सीट से लगातार जीतते रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां से खड़ा होने वाला उम्मीदवार सीएम तक पहुंच सकता है और यह सच भी साबित हुआ है। नरेंद्र मोदी वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे। वह 1990 के दशक में भाजपा के राज्य संगठन के महासचिव भी थे। अक्टूबर 2001 में उन्हें मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। उस समय वे विधायक दल के सदस्य नहीं थे। मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने के लिए 6 महीने के भीतर विधानसभा के लिए निर्वाचित होना आवश्यक होता है। उस समय वजुभाई वाला ने उनके लिए राजकोट-2 सीट खाली कर दी थी। इसके बाद इस सीट पर फरवरी 2002 में उपचुनाव हुआ, जिसमें मोदी भाजपा प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए। यह उनके जीवन का पहला चुनाव था, जिसमें वे 14,000 से अधिक मतों से विजयी हुए। वजुभाई ने 2014 में राज्यपाल बनने के लिए इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। इस बार भाजपा ने विजय रूपाणी को मैदान में उतारा। विजयभाई जीत गए और एक साल के अंदर ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया और बाद में वे मुख्यमंत्री बने।

वजुभाई रहे हैं प्रभारी सीएम

राजकोट पश्चिमी सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा नेताओं की अब मजबूत उपस्थिति है। हालांकि वजुभाई वाला की यहाँ से जीत जारी रही लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बने। मोदी की अनुपस्थिति में उन्होंने प्रभारी सीएम तक का पद अवश्य संभाला है। बाद में राज्यपाल रहे । अब राजकोट लौट आए हैं।

राजकोट राजनीति में सबसे आगे

राजकोट को गुजरात से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में बड़ा माना जा सकता है। राजकोट से कई बड़े नेताओं के संबंध हैं। अगर प्रधानमंत्री राजकोट से पहला चुनाव लड़ चुके हैं तो गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी राजकोट के रहने वाले हैं। वजुभाई राज्यपाल रह चुके हैं, जबकि जयेश राडाडिया और कुंवरजी बावलिया भाजपा के मंत्री रह चुके हैं। गोविंद पटेल विधायक के रूप में भी सक्रिय हैं और राजकोट के रामभाई मोकरिया भी राज्यसभा सांसद हैं। राजकोट कभी सौराष्ट्र की राजधानी था। महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी सौराष्ट्र के दीवान थे। यहीं गांधी जी ने अपना बचपन संवारा और अपनी जिन्दगी के प्रारंभिक दिन राजकोट की गलियों में ही बिताया करते थे। गांधी जी ने यहीं से हिन्दुस्तानियों व अंग्रेज़ों के रहन-सहन के अंतर को क़रीब से देखा। उन्होंने तत्कालीन अलफ्रंट हाई स्कूल में अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। गांधी जी की इस नगरी में पर्यटकों के लिए काबा गाँधीना देलो (गाँधी जी का निवास स्थान) जिसमें आज बाल मन्दिर स्कूल चल रहा है, राजकुमारी उद्यान, जबूली उद्यान, वारसन संग्रहालय, रामकृष्ण आश्रम, लालपरी झील, अजी डेम, रंजीत विलास पैलेस, सरकारी दुग्ध डेरी आदि दर्शनीय स्थल हैं। राजकोट में मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय पतंग मेला बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है।

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