Solar Powered Village: सूर्य मंदिर, मोढेश्वरी देवी और राम से जुड़ा मोढेरा, जिसे मोदी ने घोषित किया सौर ऊर्जा वाला पहला गाँव

Surya Mandir Modhera: उड़ीसा में कोणार्क के सूर्य मंदिर को तो सभी लोग जानते हैं । लेकिन गुजरात के प्राचीन सूर्य मंदिर से ज्यादातर लोग अनभिज्ञ होंगे।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-10-10 07:49 IST

Surya Mandir Modhera (photo: social media ) 

Surya Mandir Modhera: प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के मोढेरा गांव को भारत का पहला पूर्ण रूप से सोलर ऊर्जा से युक्त गांव घोषित किया है। इस उपलब्धि के लिए मोढेरा ही क्यों चुना गया? क्या है यहां खास? यह सवाल बहुतों के मन में है। इसका जवाब इस गांव की खासियत में निहित है। दरअसल, यह गांव प्राचीन काल से बेहद महत्वपूर्ण रहा है।

सूर्य मंदिर

उड़ीसा में कोणार्क के सूर्य मंदिर को तो सभी लोग जानते हैं । लेकिन गुजरात के प्राचीन सूर्य मंदिर से ज्यादातर लोग अनभिज्ञ होंगे। अहमदाबाद से 100 किलोमीटर दूर मेहसाणा जिले के मोढेरा गांव में शानदार और विशाल सूर्य मंदिर है , जो पुष्पावती नदी के किनारे स्थित है। इसे सोलंकी अथवा चालुक्य वंश के राजा भीम प्रथम ने 1026-27 में बनवाया था।

मंदिर परिसर को 3 प्रमुख घटकों में विभाजित किया गया है : गुडमंडप (तीर्थ हॉल), सभामंडप (असेंबली हॉल), और कुंड (जलाशय)। कुंड की सीढ़ियों पर 108 लघु मंदिर बने हुए हैं। कुंड सभामंडप की ओर जाता है जिसका उपयोग धार्मिक सभाओं के आयोजन के लिए किया जाता था। ये अपने 52 उत्कृष्ट स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है, जिस पर छत टिकी हुई है। 52 स्तंभ एक वर्ष के 52 सप्ताह के प्रतीक हैं। स्तंभों में रामायण, महाभारत और कृष्ण लीला के दृश्य हैं।

मंदिर की वास्तुकला बहुत जटिल और विस्तृत है और मारू-गुजरा चालुक्य वास्तुकला की शैली को दर्शाती है।वर्तमान में मंदिर में सभी भक्ति गतिविधियों को बंद कर दिया गया है, क्योंकि यह अब राष्ट्रीय महत्व का एक संरक्षित स्मारक है। सूर्य मंदिर स्वर्ण युग की उत्कृष्ट शिल्प कौशल का एक अनुकरणीय स्थल है।

मोधेश्वरी माता मंदिर

इस गांव में मोढेश्वरी माता मंदिर भी है जो देवी मोढेश्वरी माता को समर्पित है, जिन्हें देवी पार्वती का अवतार कहा जाता है। वह मोध समुदाय की कुलदेवी हैं। मंदिर की किंवदंती है कि एक राक्षस इस क्षेत्र में सब कुछ नष्ट कर रहा था। उससे भयभीत संत देवी पार्वती के पास गए, जो अन्याय के बारे में सुनकर क्रोधित हो गईं और उनके मुंह से आग उगलनी शुरू हो गई जिससे उनके अवतार देवी मोढेश्वरी को जन्म दिया गया। मंदिर में देवी की मूर्ति में 18 भुजाएँ हैं, जिनमें से प्रत्येक में एक हथियार है।

राम से भी जुड़ा है ये गांव

गाँव के पास का क्षेत्र पहले धर्मरण्य के नाम से जाना जाता था। गाँव की लोककथाओं में कहा गया है कि भगवान राम, ब्रह्महत्या से खुद को शुद्ध करने के लिए ऋषि वशिष्ठ की सलाह पर धर्मरायण आए थे। भगवान राम ने धर्मरायण के मोढेरक नामक गाँव में रुके गए और वहाँ एक यज्ञ किया और बाद में इसका नाम सीतापुर रखा। ये गांव कालांतर में अपने वर्तमान नाम मोढेरा के नाम से जाना जाने लगा।

सूर्य मंदिर का इतिहास

सोलंकी को सूर्यवंशी, या सूर्य देव के वंशज माना जाता था और इसलिए ये मंदिर उनके वंश के कुलदेवता को समर्पित है। मोढेरा का सूर्य मंदिर दक्षिण भारत में स्थित चोल मंदिरों और उत्तर भारत के चंदेला मंदिरों के समकालीन है। यह ऐसे समय में बनाया गया था जब भारत में मंदिर की वास्तुकला अपने चरम पर थी और सही मायने में मोढेरा सूर्य मंदिर मध्यकालीन भारत के मंदिर वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। सूर्य मंदिर मोढेरा का उल्लेख स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण के प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है।

मंदिर की पिछली दीवार पर एक उल्टा शिलालेख है जिस पर लिखा है "विक्रम संवत 1083"। यह मोटे तौर पर 1026-27 की अवधि को दर्शाता है।

सोने की थी प्रतिमा

मुख्य गर्भगृह के अंदर, वह स्थान एकदम खाली है जहाँ सूर्य देवता हुआ करते थे। ऐसा माना जाता है कि सूर्य देवता की मुख्य मूर्ति शुद्ध सोने से बनी थी। उन्हें 7 घोड़ों के साथ अपने रथ पर बैठे और रथ को चला रहे उनके सारथी को चित्रित किया गया था। मूर्ति गर्भगृह या मुख्य गर्भगृह के अंदर एक जगह स्थापित थी।कहा जाता है कि मूर्ति हीरे से जड़ित थी जो पूरे मंदिर को रोशन कर सकती थी। मूर्ति के नीचे एक कक्ष था जो सोने और अन्य कीमती रत्नों से भरा हुआ था।

सिर्फ गड्ढा ही बचा

अब गर्भगृह के अंदर सिर्फ एक गड्ढा है। यह मंदिर से लूट की कहानी को दर्शाता है। मंदिर पर सबसे पहले महमूद गजनी ने हमला किया था। राजा भीमदेव इस हमले को रोकने में असफल रहे थे। इस आक्रमण और लूट के बाद मंदिर को फिर से बनाया गया था। बाद में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा सूर्य मंदिर पर हमला किया गया और लूट लिया गया। स्थानीय किंवदंती कहती है कि कुछ ब्राह्मण परिवारों ने हमलों के समय मूर्तियों को अपने साथ छुपाया था, जिससे मूर्ति को बचाया गया था। लेकिन अब मूर्ति का ठिकाना कोई नहीं जानता। ऐसी भी मान्यता है कि मंदिर से एक भूमिगत रास्ता सोलंकी की राजधानी पाटन तक जाता है।

शानदार वास्तुकला

मुख्य सूर्य मंदिर ऐसे बेस पर बनाया गया है जो एक उल्टे कमल की तरह दिखता है। कमल की पंखुड़ियों के ऊपर हाथियों से बना एक पैनल है। इसे गज-पेटिका के नाम से जाना जाता है। गज-पेटिका के ऊपर, संपूर्ण मानव जीवन चक्र को उसके गर्भ धारण करने से लेकर उसकी मृत्यु के समय तक उकेरा गया है।

मोढेरा की खास बातें

- मोढेरा सूर्य मंदिर कर्क रेखा के पास 23.5835 डिग्री उत्तर, 72.1330 डिग्री पूर्व के अक्षांश पर पूर्व की ओर स्थित है। कर्क रेखा के निर्देशांक 23.4999 डिग्री उत्तर, 85.4866 डिग्री पूर्व है।

- प्रत्येक वर्ष केवल दो मौके ऐसे होते हैं जब कोई ध्रुव सूर्य की ओर नहीं होता है और सूर्य पृथ्वी के भूमध्य रेखा से सीधे ऊपर होता है। इसे इक्विनॉक्स या विषुव कहते हैं इसमें दिन और रात बराबर होते हैं। सौर विषुवों के दौरान, सूर्य की पहली किरण सीधे मंदिर पर पड़ती है, जो उसके भीतर सूर्य देव की मूर्ति को रोशन करती है। हालांकि मूर्ति अब मौजूद नहीं है।

- ग्रीष्म संक्रांति के दौरान सूर्य बिना किसी छाया के मंदिर के शीर्ष पर चमकता है।

- ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के जोड़ों के लिए किसी भी तरह के प्लास्टर या चूना पत्थर का इस्तेमाल नहीं किया गया था। मंदिर को सीधा रखने के लिए वे सभी संरचनात्मक रूप से संतुलित थे।

- माना जाता है कि रावण का वध करके राम और सीता इस स्थान पर आए थे। इसलिए सूर्य कुंड को राम कुंड के नाम से भी जाना जाता है।

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