गुजरात के जंगलों में बढ़ रही शेरों की संख्या, 700 पार पहुंचा आंकड़ा
गुजरात के जंगलों में शेरों की आबादी बढ़ी है। यहां शेरों की संख्या में करीब 29 प्रतिशत की वृद्धि के साथ इनकी संख्या 700 पार कर गई है।
देश में घटती शेरों की संख्या के बीच गुजरात से अच्छी खबर आई है, गुजरात के जंगलों में शेरों की आबादी बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार यहां शेरों की संख्या करीब 6 से 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। गुजरात के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार इस वक्त यहां के जंगलों में शेरों की संख्या 700 पार कर गई है। ऐसे में देश में शेरों की मौत के खबरों के बीच यह एक अच्छी खबर है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक गुजरात वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इसकी जानकारी दी है। अधिकारी ने बताया है कि पूनम अवलोकन (पूर्णिमा के दौरान शेरों का अवलोकन) अभियान के दौरान गुजरात में शेरों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। वन विभाग के अधिकारी के मुताबिक इस वक्त गुजरात में शेरों की संख्या 710 से 730 के बीच है।
शेरों की संख्या में करीब 29 प्रतिशत की वृद्धि
शेरों की 2020 की जनगणना के अनुसार गुजरात में शेरों की संख्या 674 दर्ज की गई थी। 2019 की तुलना में इस संख्या में रिकॉर्ड 28.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इससे पहले 2015 में भी गुजरात में शेरों की संख्या में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। गुजरात में 2015 में कुल 523 शेर थे जो अब बढ़कर 710 तक हो गए।
गुजरात में शेरों के मौत का आंकड़ा ज्यादा
पिछले दिनों गुजरात विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में 1 जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2020 के बीच अलग-अलग कारणों से 313 शेरों की मौत हुई। इनमें 152 शावक हैं, 2018 में गिर अभयारण्य में कैनाइन डिस्टेंपर जैसे घातक वायरस की चपेट में आने से 23 शेरों की मौत हुई थी। वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में 154 और वर्ष 2020 में 159 शेरों की मौत हुई थी। इनमें 71 शेर, 90 शेरनियां और 152 शावक शामिल थे।
इस जंगल में शेरों से ज्यादा शेरनियां
गुजरात में जूनागढ़ स्थित साकारबाग प्राणी उद्यान, जिसे सक्करबाग चिड़ियाघर या जूनागढ़ चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता है, एक 84 हेक्टेयर (210 एकड़) का चिड़ियाघर है, जो 1863 में खोला गया था। अब यह शेरों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा ब्रीडिंग सेंटर माना जाता है। यहां हफ्तेभर में शेर के जन्म की खबर आ जाती है। देश के इस जंगल में शेरों से ज्यादा शेरनियां वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 30 साल में शेरों की संख्या ढाई तक गुना बढ़ गई है। मगर, इससे भी ज्यादा खुशी की खबर यह है कि, शेरों के मुकाबले शेरनियां ज्यादा पैदा हुईं। अब कुल 674 सिंहों में 161 नर हैं, जबकि मादा 260 हैं। अल्प व्यस्क शेरों की संख्या 94 है, जिनमें 45 नर और 49 मादा हैं। वहीं, शावकों की संख्या 137 है और अचिन्हित लिंग वाले 22 शेर हैं।
शेरों का सबसे बड़ा इलाका
गुजरात में शेरों का इलाका शेरों के लिए गुजरात में वनविभाग ने गिर अभ्यारण्य संरक्षित क्षेत्र का ख्याल रखा है। जिसके चलते यह अब महज 1,400 वर्ग किलोमीटर तक ही सीमित नहीं रह गया, बल्कि यहां शेर अब 21,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में घूमते देख जा सकते हैं। वन विभाग की एक रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया कि, गिर के वन एवं उसके आसपास शेरों के विचरण वाले क्षेत्र में 36 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 9 जिलों में यह बढ़कर 30,000 वर्ग किमी हो गया है। इससे पहले 2015 में शेरों के पदचिह्न पाए जाने का कुल क्षेत्र पांच जिलों में 22000 वर्ग किमी ही था।
कितने तरह के होते हैं शेर?
दुनिया में खासकर दो तरह के शेर देखे जा सकते हैं- एक एशियाटिक और दूसरे अफ्रीकन। इनके अलावा कुछ मटमैले या सफेद रंग के शेर भी मिलते हैं। मगर, ज्यादातर शेर की दो प्रजाति होती हैं- एशियाई और अफ्रीकन।
एशियाई शेर
एशियाई शेर जिन्हें शारतीय शेर भी कहा जाता है। अफ्रीकी शेरों के मुकाबला ये ज्यादा बड़े होते हैं। इनका वजह औसतन 120 से 226 किलोग्राम के बीच होता है। भारतीय शेरों की पूंछ की लंबाई 60 से 90 सेंटीमीटर तक होती है। एशियाई शेर का रंग मटमैला और बाल घने-लंबे होते हैं। गुजरात में शेर की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घण्टा तक मानी गई है।
अफ्रीकी शेर
अफ्रीकी शेर मध्य और दक्षिणी अफ्रीका में पाए जाते हैं। हालांकि शेरों की यह दोनों प्रजातियां बिलकुल समान दिखती हैं लेकिन आकार, निवास, आहार आदि मामलों में यह एक दूसरे अलग हैं। अफ्रीकी शेर अपने सिर से लेकर पूंछ तक साढ़े 4 से साढ़े 6 फुट तक लंबे होते हैं। इनकी पूंछ की लंबाई 67 से 100 सेंटीमीटर तक होती है। अफ्रीकी शेरों का वजह 120 से 191 किलोग्राम तक होता है।