Umiyadham Mandir : विश्व का सबसे ऊंचा उमियाधाम मंदिर, जहां एक भी लोहे की कील का इस्तेमाल नहीं होगा

Umiyadham Mandir :अहमदाबाद में सोला परिसर में जहां पर मंदिर का निर्माण किया जा रहा है वह ऊझा, मेहसाना के उमिया माताजी संस्थान से संबंधित है।

Written By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-12-15 08:40 GMT

उमियाधाम मंदिर गुजरात (फोटो- सोशल मीडिया)

Umiyadham Mandir : गुजरात के सोला इलाके में मां उमिया धाम का मंदिर बनने जा रहा है। यहां के मेहसाना जिले के उंझा में उमिया धाम मंदिर है जोकि कुर्मी, पटेल, कटियार पाटीदार समाज की कुलदेवी का मन्दिर है। मां का ये मन्दिर करीब 1200 साल पुराना है। लेकिन करीब सौ साल पहले इसका जीर्णोद्धार किया गया था। ऐसे में अब अहमदाबाद में सोला परिसर में जहां पर मंदिर का निर्माण किया जा रहा है वह ऊझा, मेहसाना के उमिया माताजी संस्थान से संबंधित है।

मां उमिया धाम मंदिर (Umiyadham Temple) की हाल ही में तीन दिवसीय शिलान्यास समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के शिरकत की थी। सोला परिसर में 74 हज़ार वर्ग गज जमीन पर बनने वाले इस मंदिर की लागत करीब 1500 करोड़ रुपए आने का है।

यहां पर उमिया माताजी संस्थान ऊझा में मुख्य मंदिर के निर्माण के साथ ही एक 13 मंजिला भवन भी बनेगा। उमिया माता के मंदिर से सटे हुए इस भवन में 400 कमरों का एक हॉस्टल होगा। इस हॉस्टर में पाटीदार समाज के ऐसे युवाओं को अवसर मिलेगा, जो यूपीएससी और जीपीएससी की तैयारी कर रहे हैं।

साथ ही इस भवन में 1200 लड़के-लड़कियों के रहने की क्षमता होगी। यहां पर उमैयाधाम परिसर में एक बैंक्वेट हॉल और चिकित्सा केंद्र भी खुलेगा। वहीं श्रद्धालुओं के लिए दो मंजिला पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी, जहां पर 1000 कारों को आसानी से खड़ा किया जा सकेगा।

उमिया धाम मंदिर की ये है खासियत
Umiya Dham Temple

गुजरात में बना रहा विश्व का सबसे बड़ा उमिया धाम मंदिर 255 फीट लंबा और 160 फीट चौड़ा होगा।

उमिया मंदिर की जमीन से कलश तक की ऊंचाई लगभग 132 फीट निर्धारित की गई है।

इस मंदिर में महापीठ यानी प्लेटफॉर्म की ऊंचाई लगभग 6 फीट होगी।

मंदिर में जहां पर देवता स्थापित किए जाएंगे,उस जगह की ऊंचाई 22 फीट होना निर्धारित की गई है।

इस मंदिर में कुल 92 स्तंभ होंगे। जिनको प्राचीन शास्त्र के आधार पर निर्मित किया जाएगा।

सबसे खास बात ये है कि इस विशालकाय मंदिर में एक भी लोहे की कील का उपयोग नहीं किया जाएगा।


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