Hardoi News: पिता की अच्छी सेहत के लिए बेटे ने उगाया काला गेहूं, कई बीमारियों में है कारगर

Hardoi News: किसान नीरज वर्मा के पिता जोकि मधुमेह व अन्य बीमारियों से ग्रसित थे, वह अपने बेहतर उपचार के लिए लखनऊ डॉक्टर को दिखाने के लिए गए थे जहां डॉक्टर ने उनको काला गेहूं के आटे का सेवन करने के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद नीरज कई दिनों तक काले गेंहू का आटा पहले इधर उधर से मंगाया।

Update:2023-05-05 22:31 IST
काले गेहूं में प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा मात्रा में होता है।

Hardoi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों को लगातार ऑर्गेनिक खेती को लेकर प्रेरित किया जा रहा है। समय-समय पर प्रधानमंत्री किसानों से मन की बात के द्वारा खेती को लेकर जागरूक करने का कार्य करते रहते हैं। कोरोना काल के बाद लोग अपनी सेहत को लेकर काफी जागरूक हो रहे हैं। देश में एक बार फिर लोग स्वास्थ्य को लेकर चिंतित दिख रहे हैं। इसका असर यह है कि लोगों द्वारा पूर्व की भांति मोटा अनाज का सेवन शुरू कर दिया है। लोग फास्ट फूड की दुनिया से दूर हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला हरदोई जनपद के बहंदर ब्लॉक से सामने आया है जहां डॉक्टरों की सलाह पर एक बेटे ने अपने पिता के लिए पहले काले गेहूं के आटे को बाजार से मंगाया जिसके बाद उसने स्वयं से अपने क्षेत्र में काले गेहूं की पैदावार को शुरू कर लोगों को काले गेहूं से जुड़े लाभ के बारे में जागरूक करने का कार्य भी किया। आज बेहंदर के किसान नीरज वर्मा अपने 2 बीघा खेत में काले गेहूं की पैदावार कर अच्छा मुनाफा तो कमा ही रहे हैं। इसके साथ ही लोगों को काले गेहूं से होने वाले फायदे को भी बता रहे हैं। नीरज वर्मा से प्रेरित होकर इस वर्ष कई किसान काले गेहूं की पैदावार करने की बात कह रहे हैं।

किसान नीरज वर्मा के पिता जोकि मधुमेह व अन्य बीमारियों से ग्रसित थे, वह अपने बेहतर उपचार के लिए लखनऊ डॉक्टर को दिखाने के लिए गए थे जहां डॉक्टर ने उनको काला गेहूं के आटे का सेवन करने के लिए प्रेरित किया था। इसके बाद नीरज कई दिनों तक काले गेंहू का आटा पहले इधर उधर से मंगाया। इसके बाद इस वर्ष अपने 2 बीघा के खेत में काले गेहूं की फसल को बोकर लोगो को जागरूक किया। एमटेक डिग्री हासिल करने वाले किसान नीरज वर्मा ने 2 बीघा भूमि में काले गेहूं की फसल को बोया। इसके अलावा कासिमपुर गांव के रहने वाले नितिन सिंह में भी 2 बीघा खेत में काले गेहूं की पैदावार की है। आमजनों की तरह जैविक विधि से काली गेहूं की पैदावार की गई है। नीरज वर्मा के मुताबिक 10 क्विंटल प्रति बीघा के हिसाब से काला गेहूं की पैदावार होती है। इसका बीज ₹40 प्रति किलो राजकीय कृषि बीज भंडार से खरीदा था।गेहूं बिक्री के लिए ₹8000 प्रति क्विंटल लखनऊ के व्यापारी अभी से मांग रहे हैं।

इन बीमारियों में है कारगर

राजकीय कृषि भंडार के प्रभारी रामविलास ने बताया कि काले गेहूं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की प्रचुर मात्रा में क्षमता होती है। काले गेहूं में प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट ज्यादा मात्रा में होता है। इसमें एंथ्रोसाइनन की मात्रा साधारण गेहूं से बहुत अधिक होती है। एंथ्रोसाइनिन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है जो हार्टअटैक,कैंसर,मधुमेह, मानसिक तनाव,मोटापा,घुटनों का दर्द,एनीमिया, ब्लड प्रेशर जैसे रोगों में काफी कारगर है। इस काले गेंहू का स्वाद हालांकि सामान्य गेहूं के स्वाद से थोड़ा अलग जरूर होता है, लेकिन यह बेहद ही पौष्टिक आहार है। यह गेहूं जल्दी पाचन होता है।आंतों के इन्फेक्शन में भी काला गेहूं कारगर साबित है। किसानों ने काला गेहूं की पैदावार कर अच्छा कार्य किया है ।इससे किसान अच्छा मुनाफा भी कमाएंगे।

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