हरियाणा कांग्रेस में संकट बरकरार, नए अध्यक्ष की ताजपोशी से कई बड़े नेताओं ने किया किनारा.

Congress Crisis In Haryana: कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान की ताजपोशी के दौरान हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। इस दौरान कई दिग्गज नेता नामौजूद रहे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2022-05-05 12:21 IST

हरियाणा कांग्रेस के नए अध्यक्ष की ताजपोशी (फोटो साभार- ट्विटर)

Haryana Politics: हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष (Haryana Congress President) पद पर उदयभान (Udaybhan) की नियुक्ति के बाद भी कांग्रेस में गुटबाजी और आंतरिक कलह खत्म होती नहीं दिख रही है। बुधवार को उदयभान और तीन कार्यकारी अध्यक्षों की ताजपोशी के दौरान हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री उदय भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) तो मौजूद थे मगर हुड्डा विरोधी माने जाने वाले दूसरे खेमे के कई कद्दावर नेताओं की नामौजूदगी चर्चा का विषय बन गई।

हालांकि इस दौरान हुड्डा ने प्रदेश कांग्रेस में किसी भी प्रकार की गुटबाजी होने से इनकार किया मगर कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उदयभान की नियुक्ति के बाद भी पार्टी का संकट टलता नहीं दिख रहा है। विरोधी खेमे के नेताओं के इस रवैए से साफ हो गया है कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उदयभान का सफर आसान नहीं होगा।

कार्यक्रम में नहीं पहुंचे कई कद्दावर नेता

दरअसल, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर उदयभान की नियुक्ति के बाद से ही वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) काफी नाराज हैं और वे अपनी नाराजगी खुलकर जता भी चुके हैं। नए अध्यक्ष ने बुधवार को तीन अन्य कार्यकारी प्रदेश अध्यक्षों रामकिशन गुर्जर, सुरेश गुप्ता और जितेंद्र भारद्वाज के साथ कार्यभार संभाल लिया। इस मौके पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा, प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल और दीपेंद्र हुड्डा तो मौजूद थे मगर राज्य कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं ने इस कार्यक्रम से किनारा कर लिया।

इस ताजपोशी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा, वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला नहीं पहुंचे। इन नेताओं की नामौजूदगी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रही और इसे लेकर लोग कानाफूसी करते रहे।

हुड्डा ने किया पार्टी में एकजुटता का दावा

हालांकि मीडिया से बातचीत के दौरान हुड्डा ने राज्य कांग्रेस में किसी भी प्रकार की गुटबाजी होने से इनकार किया और कहा कि राज्य कांग्रेस में पूरी तरह एकजुटता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही पूरे राज्य में संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। नगर निकाय के चुनावों से पहले संगठन का पुनर्गठन का काम पूरा कर लिया जाएगा।

प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने भी पार्टी में एकजुटता का दावा किया और कहा कि पार्टी नगर निगम के चुनाव तो अपने निशान पर लड़ती रही है मगर जिला परिषद और पंचायत के चुनावों में पार्टी अपने सिंबल का इस्तेमाल नहीं करती। उन्होंने कहा कि अब पार्टी इन चुनावों को भी अपने सिंबल पर लड़ने पर विचार करेगी और इस बाबत शीर्ष नेतृत्व से जल्द ही मंथन किया जाएगा।

बंसल की नाराजगी की बात मानी

प्रदेश कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल ने मीडिया से बातचीत में इस बात को स्वीकार किया कि कुलदीप बिश्नोई नाराज हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बिश्नोई पार्टी के समर्पित सिपाही हैं और वे पार्टी को मजबूत बनाने की दिशा में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि कुछ नेता व्यस्तता की वजह से इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले सके मगर इसका कोई अलग मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। नए प्रदेश अध्यक्ष सभी को स्वीकार हैं और वे सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश करेंगे। उन्होंने दावा किया कि अब हरियाणा में पार्टी पूरी एकजुटता के साथ चुनावी तैयारियों में जुटेगी।

आने वाले दिनों में बढ़ेंगी कांग्रेस की मुश्किलें

दूसरी ओर कांग्रेस के कई जानकारों का मानना है कि पार्टी में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। नए प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी माना जाता है और इसी वजह से वे अध्यक्ष की कुर्सी पाने में कामयाब हुए हैं। उदयभान 2019 का विधानसभा चुनाव हार गए थे मगर दलित बिरादरी से जुड़ा होना उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ। हुड्डा से ट्यूनिंग न बिठ पाने के कारण ही कुमारी सैलजा ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उदयभान की नियुक्ति के बाद पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी कुलदीप बिश्नोई की वकालत की थी।

सुरजेवाला ने बिश्नोई का समर्थन करते हुए कहा था कि वे हरियाणा राज्य इकाई के सबसे अच्छे अध्यक्ष साबित होते। उनका यह भी कहना था कि हरियाणा कांग्रेस को बिश्नोई जैसे समर्पित नेताओं की जरूरत है। सुरजेवाला के इस बयान से पार्टी की गुटबाजी एक बार फिर उजागर हो गई थी। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने नए अध्यक्ष की ताजपोशी से किनारा करके आने वाले दिनों में कांग्रेस की राह मुश्किल होने का बड़ा संकेत दिया है।

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