Haryana: कांग्रेस को आंख दिखाने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने क्यों नतमस्तक हुआ गांधी परिवार
Haryana Politics: कांग्रेस ने कद्दावर नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को खुश करते हुए प्रदेश अध्यक्ष के पद पर उनके चहेते को बैठा दिया है।
Haryana Politics: लगातार चुनावों में शिकस्त झेलने के बाद कांग्रेस अब उन राज्यों में अपने संगठन की सर्जरी करने में जुट गई है, जहां उसके लिए अब भी मौके हैं और बीजेपी (BJP) को सत्ता से बाहर कर सकती है। दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा (Haryana) भी इसी सूची में शुमार है। जहां कांग्रेस (Congress) बीजेपी से ज्यादा कमजोर नहीं है। 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम इसकी बानगी है। ऐसे में कांग्रेस ने कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) को खुश करते हुए प्रदेश अध्यक्ष के पद पर उनके चहेते को बैठा दिया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान (Congress High Command) ने पंजाब में हुई बुरी गत को देखते हुए ये फैसला लिया।
लेकिन पार्टी के इस फैसले से एक अन्य कद्दावर नेता कुलदीर बिश्नोई नाराज हो गए। कांग्रेस आलाकमान ने उदयभान (Udaybhan) को हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है। उदयभान हरियाणा के दिग्गज दलित कांग्रेस नेता हैं। उन्हें हुड्डा कैंप का माना जाता है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा से गहरे मतभेद होने के कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनकी रवानगी चाहते थे औऱ इस पर किसी अपने को बैठाना चाहते थे। बताया जाता है कि कुमारी शैलजा औऱ वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी किसी भी हाल में हुड्डा कैंप के किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनने देना चाहते थे। लेकिन हुड्डा आलाकमान को अपने हक में करने में सफल रहे।
हुड्डा कांग्रेस की जरूरत या मजबूरी
हरियाणा के कद्दावर नेता औक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा दरअसल कांग्रेस के उन बचे खुचे क्षत्रपों में से हैं, जिनके पास अपना व्यापक जनाधार है। दिग्गज जाट नेता हुड्डा दस सालों तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और सत्ता से लंबे समय तक बाहर होने के बावजूद भी उनकी पकड़ कमजोर नहीं हुई है। हुड्डा जी 23 के उन गिने चुने नेताओं में शामिल हैं, जिनपर गांधी परिवार चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता, वजह है उनका जनाधार। वर्तमान में कांग्रेस के पास हुड्डा के बराबर का कोई नेता नहीं है जिसकी अपील पूरे हरियाणा में हो। प्रभावशाली जाट बिरादरी से आने वाले कांग्रेस नेता ने इसे 2019 के विधानसभा चुनाव में साबित भी किया है।
दरअसल 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस शुरूआत में काफी पस्त नजर आ रही थी। कुछ माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को देश के साथ – साथ राज्य में भी करारी हार का मुंह देखना पड़ा था, पार्टी हरियाणा में लोकसभा की सभी 10 सीटें हार गई थीं। लेकिन जब विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने सबकों चौंका दिया। 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस को 30 सीटें मिली, जो बीजेपी से केवल 10 सीटें ही कम थी। बीजेपी को 40 सीटें मिली थी। उस दौरान हुड्डा ने कहा था कि अगर चुनाव में उनके अनुसार टिकट बांटे गए होते तो आज परिणाम कुछ और होते। विधानसभा चुनाव से ऐन पहले धड़ों में बंटी कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेकर हुड्डा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बीजेपी को पुर्ण बहुमत पाने से रोक दिया। कांग्रेस की इस सफलता के पीछे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ही जिम्मेदार बताया गया है।
सबसे बड़ा जाट लीडर
हरियाणा की राजनीति जाटों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। चौटाला परिवार के कमजोर हो जाने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने आप को राज्य का बड़ा जाट नेता के तौर पर स्थापित कर लिया है। हरियाणा में जाटों की आबादी तकरीबन 27 फीसदी है, जबकि दलितों की आबाजी 20 फीसदी है। ये दोनों समुदाय कांग्रेस को वोट करते रहे हैं। वहीं सत्ताधारी बीजेपी की जाटों से दूरी जगजाहिर है। यही वजह है कि बीजेपी वहां एक गैर – जाट को मुख्यमंत्री बनाने गैर जाट जातियों को साधने में जुटी हुई है। कांग्रेस नेतृत्व ने जाट दलित (27 + 20) के एक दुर्जेय गठजोड़ को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। जबकि उसके पास पहले से ही एक बड़ा जाट चेहरा हुड्डा के तौर पर मौजूद है।
वहीं इसका दूसरा कारण यह भी है कि राज्य में उपमुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला के जाटों में बढ़ते कद को रोकने के लिए भी कांग्रेस हुड्डा को खुली छूट दे रही है। कांग्रेस में जाट लीडरशिप कमजोर होने का फायदा दुष्यंत उठाएंगे, जिससे अंतिम फायदा बीजेपी को पहुंचेगा। यही वजह है कि कश्मीर में धारा 370 समेत अन्य मुद्दों पर पार्टी लाइन के खिलाफ बोलने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर कांग्रेस आलाकमान कोई एक्शन नहीं ले पाती है।
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