Coronavirus: डेल्टा से घातक है कोरोना का लैम्बडा वैरिएंट, इसमें मिले सात म्यूटेशन

Coronavirus: कोरोना महामारी से पिछले करीब दो वर्षों से पूरा विश्व तबाह है। कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में लाखों लोगों की जान ले ली।

Newstrack :  Network
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2021-09-05 10:22 GMT

Coronavirus: कोरोना महामारी से पिछले करीब दो वर्षों से पूरा विश्व तबाह है। कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में लाखों लोगों की जान ले ली। कोरोना महामारी का अधिक असर कोरोना की दूसरी लहर में देखने को मिला। स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना वायरस में हो रहे म्यूटेशन इसे और संक्रमण घातक बनाते जा रहे हैं।

विशेषज्ञ अभी तक कोरोना के डेल्टा वैरिेएंट को सबसे अधिक संक्रमण को अधिक घातक मान रहे थे। लेकिन इस बीच कोरोना के नए वैरिएंट्स सामने आए हैं। जिन्होंने कोरोना कोरोना संक्रमण को और घातक कर दिया है। विशेषज्ञों की तमाम रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि कोरोना के नए वैरिएंट में आए म्यूटेशन देखे जा रहे हैं जो शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को आसानी से चकमा दे सकते हैं। जिसके बाद से ही पुरी दुनिया में एक बार फिर कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

वैज्ञानिकों ने हाल ही में कोरोना वायरस की नए वैरिएंट की बारे में बताया था। जिन्हें कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से भी खतरनाक बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों को डर है कि इन वैरिएंट्स में कोरोना संक्रमण की स्थिति में गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।

स्विट्जरलैंड में कोरोना का सुपर वैरिएंट कोविड-22

स्विटजरलैंड के ईटीएच ज्यूरिख विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजिस्ट के कोविड-19 संक्रमण के सुपर वैरिएंट कोविड-22 को लेकर वहां के लोगों को चेताया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस तरह इस वैरिएंट की प्रकृति देखी गई है। ऐसे में इस सक्रंमण की स्थिति में गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा हो सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वैरिएंट के वायरस से बचाव के लिए अधिक शक्तिशाली वैक्सीन की जरूरत हो सकती है। कोविड-22 से भविष्य में होने वाले संभावित खतरें को लेकर वैज्ञानिकों ने पहले से ही चेताया है।

कोरोना वायरस की प्रतीकात्मक (फोटो:सोशल मीडिया)

कोविड-19 वायरस का साउथ अफ्रीकन वैरिएंट (सी 1.2)

वैज्ञानिकों ने कोरोना के साउथ अफ्रीकान वैरिएंट सी 1.2 की गंभीरता को लेकर लोगों को पहले से ही अगाह किया है। दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंस्टीट्युट फॉर कम्यूनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) और क्वाजुलु-नेटल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेसिंग प्लेटफॉर्म (केआरआईएसपी ) के शोधकर्ताओं के मुताबिक इस वैरिएंट को सबसे पहले मई में देखा गया था। जिसके बाद अब ये वैरिएंट दक्षिण अफ्रीका के कुछ शहरों में और अन्य देशों में भी यह वैरिएंट फैल चुका है। इस वैरिएंट को लेकर वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वैरिएंट में म्यूटेशन शरीर में बनी इम्यूनिटी को आसानी से खत्म करने की क्षमता रखता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले ही म्यू वैरिएंट को लेकर आगाह किया 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ दिनों पहले ही कोरोना वायरस के म्यू वैरिएंट के बारे में बताया था। हालांकि वैज्ञानिक अभी इस वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में वर्गीकृत करके इसकी स्थिति समझने की कोशिश में लगे हैं। डब्ल्यूएचओ ने इस वैरिएंट को लेकर बताया था कि अब तक अध्ययनों के आधार पर देखने को मिला है कि यह वैरिएंट भी प्रतिरक्षा प्रणाली को मात देकर लोगों को संक्रमित कर सकता है। डब्ल्यूएचओ ने आगे कहा कि इस बारे में विस्तार से जानने के लिए अध्ययन किया जा रहा है।

कोरोना वायरस की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

सात म्यूटशन वाला कोरोना वायरस का लैम्बडा वैरिएंट

कोरोना वायरस वैरिएंट का अध्ययन कर रही वैज्ञानिकों की टीम ने कोरोना के लैम्ब्डा वैरिएंट में सात म्यूटेश को लेकर लोगों को चेताया है। इस घातक वैरिएंट का पहला मामला पैरू में मिला है। जिसके बाद इस वैरिएंच का संक्रमम अमेरिका ब्रिटेन सहित विश्व के कई देशों में फैल चुका है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस वैरिएंट को लेकर बताया है कि यह वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट से भी खतरनाक है। इस वैरिएंट को लेकर वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में कई सारे म्यूटेशन देखे गए हैं। जिससे इसकी संक्रमता की दर काफी ज्यादा बढ़ गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लैम्ब्डा वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में वर्गीकृत किया है।

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