Bharat Me Motapa: आखिर क्यों पीएम मोदी ने मोटापे के खिलाफ छेड़ी जंग, यहां समझें कैसे मोटापा बन गया वैश्विक समस्या

Bharat Me Motapa: मोटापा आज के समय में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने संबोधनों में स्वास्थ्य और फिटनेस पर जोर दिया है, जिसमें उन्होंने मोटापे को कम करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है।;

Written By :  Akshita Pidiha
Update:2025-02-04 14:06 IST

Bharat Mein Motape Ki Sankhya

Bharat Mein Motape Ki Sankhya: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश में तेजी से बढ़ते मोटापे को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बीते दिनों में देहरादून में राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह के दौरान 'फिट इंडिया' अभियान के तहत अपने संबोधन में फिटनेस के महत्व को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं से अपील की कि वे मोटापे पर नियंत्रण रखें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मोटापा केवल बाहरी रूप-रंग को प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि भारत को 'विश्वगुरु' बनाना है, तो हमें मोटापे के खिलाफ एक सशक्त और संगठित लड़ाई लड़नी होगी। फिट और स्वस्थ नागरिक ही एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकते हैं।

मोटापा आज के समय में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने संबोधनों में स्वास्थ्य और फिटनेस पर जोर दिया है, जिसमें उन्होंने मोटापे को कम करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है। उनका कहना है कि स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए नागरिकों का स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है। मोटापा न केवल शारीरिक बनावट को प्रभावित करता है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है।

मोटापा क्या है (Motapa Kya Hai)?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मोटापा एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है, जिससे व्यक्ति का वजन उसकी ऊंचाई के अनुपात में अधिक हो जाता है। इसे आमतौर पर बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के माध्यम से मापा जाता है। यदि किसी व्यक्ति का BMI 25 से 29.9 के बीच है, तो वह अधिक वजन वाला माना जाता है, और यदि यह 30 से अधिक है, तो वह मोटापे की श्रेणी में आता है।

मोटापे का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य (Historical Perspective Of Obesity)

मोटापा प्राचीन काल से ही मानव जीवन का हिस्सा रहा है, लेकिन औद्योगीकरण और आधुनिक जीवनशैली के कारण यह एक महामारी का रूप ले चुका है। पहले मोटापा सम्पन्नता और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता था, लेकिन अब यह गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है।

मोटापे के कारण (Motapa Ke Karan)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मोटापे के प्रमुख कारणों में असंतुलित आहार, शारीरिक निष्क्रियता, आनुवंशिकी, तनाव, हार्मोनल असंतुलन और जीवनशैली से जुड़ी आदतें शामिल हैं। फास्ट फूड, मीठे पेय पदार्थ, और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की बढ़ती खपत ने मोटापे की समस्या को और भी बढ़ा दिया है।

मोटापा कम क्यों होना चाहिए (Motapa Kam Kyun Hona Chahiye)

मोटापा न केवल व्यक्ति की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है। मोटापे के कारण होने वाली कुछ प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं:

हृदय रोग: अधिक वजन से उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।

मधुमेह (डायबिटीज़ टाइप-2): मोटापा शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज़ होने की संभावना बढ़ जाती है।

सांस की समस्याएं: अधिक वजन से फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है, जिससे अस्थमा और नींद से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।

जोड़ों की समस्याएं: अधिक वजन के कारण जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे गठिया और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

मनोवैज्ञानिक प्रभाव: मोटापे से व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है और डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियां हो सकती हैं।

स्वास्थ्य संगठन मोटापे पर क्या कहते हैं?

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO), सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) और भारतीय स्वास्थ्य संगठन (ICMR) जैसे प्रमुख स्वास्थ्य संगठन मोटापे को वैश्विक महामारी मानते हैं। WHO के अनुसार, 1975 के बाद से मोटापा तीन गुना बढ़ चुका है, और 2016 में लगभग 1.9 बिलियन वयस्क अधिक वजन के थे, जिनमें से 650 मिलियन मोटापे से ग्रस्त थे।

भारत में मोटापा (Obesity In India)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

लैंसेट ने जारी किये कि वर्ष 2022 में भारत में 5-19 वर्ष की आयु के 12.5 मिलियन बच्चों (7.3 मिलियन लड़के और 5.2 मिलियन लड़कियाँ) को अत्यधिक अधिक वज़न वाले के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जो वर्ष 1990 में 0.4 मिलियन की महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्शाता है। लड़कियों और लड़कों में मोटापे की श्रेणी के प्रसार के मामले में भारत वर्ष 2022 में दुनिया में 174वें स्थान पर था।

वयस्क महिलाओं में मोटापे की दर वर्ष 1990 में 1.2% से बढ़कर वर्ष 2022 में 9.8% हो गई और इसी अवधि में पुरुषों में 0.5% से 5.4% हो गई।भारत में करीब 135 मिलियन (13.5 करोड़) लोग मोटापे से ग्रस्त हैं।भारत का मोटापा रैंक 5वें स्थान पर आता है, खासकर शहरी क्षेत्रों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है।तमिलनाडु, पंजाब और केरल में मोटापा दर सबसे अधिक है। बच्चों में मोटापा 14% तक बढ़ चुका है, जो चिंताजनक स्थिति है।

प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण और 'फिट इंडिया मूवमेंट'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में 'फिट इंडिया मूवमेंट' (Fit India Movement) की शुरुआत की थी। इस पहल का उद्देश्य लोगों को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और संतुलित आहार अपनाने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने योग, व्यायाम और स्वस्थ भोजन को अपनी दिनचर्या में शामिल करने पर विशेष जोर दिया है। उनके अनुसार, यदि नागरिक स्वस्थ रहेंगे, तो देश भी सशक्त बनेगा।

मोटापा रोकने के उपाय (How To Prevent Obesity Tips In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

संतुलित आहार: अधिक फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन का सेवन करें।

नियमित व्यायाम: प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक शारीरिक गतिविधि करें।

तनाव प्रबंधन: ध्यान और योग से मानसिक शांति प्राप्त करें।

पर्याप्त नींद: रोज़ाना 7-8 घंटे की नींद लें।

चीनी और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें।

मोटापा नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम

भारत में मोटापा और अन्य गैर-संचारी रोगों (NCDs) से निपटने के लिए कई सरकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं:

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM): इस योजना के तहत गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए विशेष जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।

राष्ट्रीय पोषण मिशन (POSHAN Abhiyaan): इस मिशन का उद्देश्य कुपोषण को खत्म करना है, जिसमें मोटापा भी शामिल है।

फिट इंडिया मूवमेंट: 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया यह अभियान लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

स्कूल हेल्थ प्रोग्राम: सरकार स्कूलों में स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए नियम बना रही है ताकि बचपन के मोटापे को रोका जा सके।

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के नियम: पैक्ड फूड में ट्रांस फैट और उच्च चीनी/नमक वाले उत्पादों पर नियंत्रण लगाने के लिए नए दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं।

भारत में मोटापे से संबंधित कानूनी उपाय

फूड लेबलिंग नियम (Food Labeling Rules): एफएसएसएआई (FSSAI) ने अनिवार्य किया है कि पैकेज्ड फूड उत्पादों पर पोषण संबंधी जानकारी दी जाए ताकि उपभोक्ता स्वस्थ विकल्प चुन सकें।

ट्रांस फैट प्रतिबंध: भारत ने 2022 से ट्रांस फैट को 2% तक सीमित कर दिया है, जो हृदय रोग और मोटापे का एक बड़ा कारण है।

चीनी पर टैक्स (Sugar Tax): कुछ राज्यों में शीतल पेय और उच्च शर्करा वाले खाद्य पदार्थों पर कर लगाने का प्रस्ताव दिया गया है।

आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार (Ayurvedic & Herbal Medicines for Obesity)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

भारत में मोटापा कम करने के लिए कई आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार भी उपलब्ध हैं:

त्रिफला चूर्ण: पाचन सुधारता है और वसा कम करने में मदद करता है।

गुग्गुलु (Guggul): शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में सहायक होता है।

एलोवेरा और आंवला जूस: शरीर को डिटॉक्स करता है और फैट बर्निंग को बढ़ाता है।

गर्म पानी और नींबू शहद: वसा जलाने में मदद करता है।

होम्योपैथिक उपचार (Homeopathic Medicines for Obesity)

कुछ होम्योपैथिक दवाएं भी मोटापा कम करने में सहायक मानी जाती हैं:

Calcarea Carbonica: अधिक भूख लगने पर उपयोगी।

Natrum Mur: शरीर में अधिक पानी जमा होने से रोकता है।

Lycopodium: पेट की चर्बी कम करने में सहायक।

वैश्विक स्तर पर मोटापा (Global Obesity)

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अमेरिका, कुवैत और दी अरब जैसे देशों में मोटापे की दर सबसे अधिक है। विश्व मोटापा सूचकांक (Obesity Index) के अनुसार, अमेरिका में 40% से अधिक वयस्क मोटापे से ग्रस्त हैं। मोटापे में वृद्धि के कारण अधिकांश देशों में कम वज़न और मोटापे का संयुक्त भार बढ़ गया है, जबकि दक्षिण एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में कम वज़न और पतलापन प्रचलित है। वर्ष 2022 में, कैरेबियन पोलिनेशिया और माइक्रोनेशिया के द्वीप देशों तथा मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका के देशों में कम वज़न व मोटापे का संयुक्त प्रसार सबसे अधिक था।

मोटापा केवल एक शारीरिक समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक समस्या भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। यदि हम सभी स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, तो न केवल स्वयं को बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी स्वस्थ रख सकते हैं।

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