Covid-19: बहुत बड़ा रहस्य है लंबे समय तक कोरोना के लक्षण बने रहना, कोई सटीक इलाज नहीं

Covid-19: कोरोना ठीक होने के बाद भी बहुत लंबे समय तक लक्षणों के बने रहना। मरीज कोरोना को तो हरा देते हैं, लेकिन हफ्तों या महीनों तक कोरोना के थका देने वाले लक्षणों से जूझते रहते हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-05-11 13:20 GMT

लंबे समय तक कोरोना के लक्षण बने रहना, कोई सटीक इलाज नहीं। (Social Media)

Covid-19: कोरोना के ढेरों रहस्य हैं और इनमें सबसे प्रमुख है लॉन्ग कोविड या कोरोना ठीक होने के बाद भी बहुत लंबे समय तक लक्षणों के बने रहना। मरीज कोरोना को तो हरा देते हैं, लेकिन हफ्तों या महीनों तक कोरोना के थका देने वाले लक्षणों से जूझते रहते हैं। इस स्थिति का आज तक कोई शर्तिया इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है। लेकिन हाल के हफ्तों में, फाइजर की नई दवा लेने के बाद मरीजों में काफी उत्साहजनक नतीजे पाए गए हैं। फाइजर की एंटीवायरल दवा पैक्सलोविड कोरोना महामारी की सबसे बड़ी पहेली में से एक के लिए आश्चर्यजनक रूप से फायदेमंद समाधान पेश कर सकती है। लेकिन इस दवा के बारे में भी कोई ठोस और विस्तृत रिसर्च नहीं है।

ढेरों लक्षण

लॉन्ग कोविड इतना विस्तृत और इतना विविध है और मानव टिश्यू पर ऐसा कहर बरपाने में सक्षम है कि कई लोगों के लिए इलाज में एक ही बार में कई अंगों को संभालने की आवश्यकता हो जाती है। हालांकि, लंबे समय तक लक्षण झेलने वालों के लिए एंटीवायरल गोलियां शरीर के हीलिंग प्रोसेस को सही गियर में ले जाने के लिए सक्षम हो सकती हैं।

लॉन्ग कोविड (Long Covid) दरअसल कैंसर जैसी स्थिति होती है जिसमें कोई एक बीमारी नहीं बल्कि संबंधित स्थितियों की एक सीरीज़ बन जाती है। जिनमें से प्रत्येक स्थिति अपने लक्षणों के सेट के साथ प्रकट हो सकती है, और इसके लिए अलग अलग उपचार की आवश्यकता होती है। लॉन्ग कोविड (Long Covid) में भी ऐसा ही है। तरह तरह के लक्षण प्रगट होते हैं और ऐसे में सबका अलग अलग इलाज करना पड़ता है।

माना जाता है कि लंबे समय तक कोरोना लक्षण से ग्रसित रहने वालों में वायरस आया और चला तो गया लेकिन अपने पीछे शारीरिक तबाही छोड़ जाता है। ये तबाही पस्त ऊतक, उग्र सूजन, आत्म-हमला करने वाले एंटीबॉडी, विघटित तंत्रिकाएं, रक्त के थक्कों का बनना आदि हो सकता है।

टिश्यू में धर कर जाते हैं वायरस

  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन मामलों में फाइजर (pfizer) की दवा कोई रामबाण नहीं है लेकिन शायद दवा कुछ लोगों की मदद कर सकती है, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें वायरस के कठिन पहुंच वाले स्थानों में बैठ जाते हैं और नियमित रूप से शरीर को तकलीफ देते रहते हैं।
  • किसी ने अभी तक शरीर में छिपे हुए वायरल भंडार होने का पक्का सबूत नहीं दिया है। लेकिन कई वैज्ञानिक तर्क देते हैं कि इस बात के मजबूत संकेत हैं कि कोरोना निश्चित रूप से महीनों तक कुछ लोगों के शरीर में रह सकता है और वायुमार्ग से बाहर निकल कर अन्य ऊतकों में बैठ सकता है। इनमें ऐसे ऊतक भी हो सकते हैं जिनमें कुछ प्रतिरक्षा एजेंट आसानी से नहीं पहुंच पाएं।
  • शोधकर्ताओं ने संक्रमण शुरू होने के कुछ महीनों बाद, मरीजों के विभिन्न अंगों में वायरस की आनुवंशिक सामग्री और प्रोटीन के निशान देखे हैं। लेकिन ये जहां टुकड़े सक्रिय वायरस का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, वहीं वे माइक्रोबियल कचरे के टुकड़े भी हो सकते हैं। अभी इस बारे में कोई ठोस रिसर्च नहीं है।

बहरहाल, फाइजर की दवा लॉन्ग कोविड लक्षणों को शांत कैसे कर सकती है, यह अपने आप में हस्यमय है। दावा किया जाता है कि ये दवा तब सबसे असरदार है जब शुरुआत में ही दिया जाए। लेकिन समस्या ये है कि लंबे समय तक कोरोना को प्रकट होने में हफ्तों या महीनों का समय लग सकता है, और यह साबित नहीं हुआ है कि इसका कारण वायरल स्रोत है। विशेषज्ञ अभी भी यह नहीं जानते हैं कि गोली के बाद की राहत कितनी सामान्य या स्थायी हो सकती है। वे विश्वास के साथ यह नहीं कह सकते हैं कि दवा के अन्य प्रभाव क्या हो सकते हैं।

अमेरिका में लाखों लोगों ने लंबे समय तक कोरोना के लक्षणों को झेला

अकेले अमेरिका में लाखों लोगों ने महामारी की शुरुआत के बाद से लंबे समय तक कोरोना के लक्षणों को झेला है। कोरोना की हर अतिरिक्त लहर के साथ उनकी संख्या बढ़ती जाती है। माउंट सिनाई में एक न्यूरोसाइंटिस्ट और पुनर्वास विशेषज्ञ डेविड पुट्रीनो कहते हैं कि आज तक, कोई भी अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया अध्ययन नहीं है, जो एक लॉन्ग कोविड दवा के रूप में पैक्सलोविड की क्षमता की जांच कर रहा है, और कोई भी सार्वजनिक रूप से शुरू होने के लिए तैयार नहीं है।

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