Heart Failure Ke Lakshan: बढ़ते जा रहे अचानक हार्ट फेलियर और स्ट्रोक, लाइफस्टाइल बदलें, सावधान रहें

Heart Failure Ke Lakshan: कुछ कार्डियोलॉजिस्ट इन घटनाओं की वजह बढ़ते प्रदूषण स्तर और कोरोना बीमारी को मानते हैं। एक बड़े कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अशोक सेठ का कहना है कि प्रदूषण और कोरोना के कारण भारत में अचानक कार्डियक अरेस्ट 2 से 3 गुना बढ़ गया है।

Update:2023-07-08 14:21 IST
Heart Failure Ke Lakshan (photo: social media )

Heart Failure Ke Lakshan: सुहागरात में पति पत्नी की हार्ट फेल्योर से मौत, बेटी को स्कूल छोड़ कर लौट रहे शख्स की कार में हार्ट फेलियर से मौत, जिम में वर्कआउट करते वक्त मौत, शादी में डांस करते समय मौत ..... बीते एक साल से ऐसे अचानक मौत के कितने ही वाकये होते चले आ रहे हैं। कोई भी उम्र हो, कैसा भी फिटनेस लेवल हो, अनहोनी हो रही हैं। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में ऐसा हो रहा है।

यूं तो मौत कभी भी बता कर नहीं आती और मौत व उम्र का कोई फार्मूला भी नहीं है लेकिन फिर भी हर घटना लोगों को बुरी तरह भयभीत कर रही है।

क्यों हो रहा है ऐसा

कुछ कार्डियोलॉजिस्ट इन घटनाओं की वजह बढ़ते प्रदूषण स्तर और कोरोना बीमारी को मानते हैं। एक बड़े कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अशोक सेठ का कहना है कि प्रदूषण और कोरोना के कारण भारत में अचानक कार्डियक अरेस्ट 2 से 3 गुना बढ़ गया है।

डॉक्टर का कहना है कि हार्ट की खराबी के रिस्क फैक्टर्स में पारिवारिक इतिहास, खराब पोषण, मोटापा, ठस जीवन शैली और व्यायाम की कमी रही है लेकिन इस लिस्ट में अब प्रदूषण और कोरोना को भी जोड़ा गया है। उन्होंने कहा है कि जांच के दौरान 50 प्रतिशत तक कोरोना रोगियों में हृदय में सूजन देखी गई है।

सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के चिकित्सक-वैज्ञानिक डॉ ज़ियाद अल-अली का अनुमान है कि कोरोना से संक्रमित हो चुके लगभग 4 फीसदी लोगों में हृदय की समस्या डेवलप होगी, जिसमें अनियमित दिल की धड़कन, दिल की विफलता, सूजन या दिल का दौरा शामिल हैं। डॉ ज़ियाद के अनुसार जितनी बार कोरोना का रीइंफेक्शन होगा, हृदय की खराबी की आशंका उतनी ही बढ़ती जाएगी।

अचानक कार्डियक अरेस्ट

अचानक कार्डियक अरेस्ट एक घातक स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति का हृदय काम करना बंद कर देता है और अचानक मृत्यु हो सकती है। पीड़ित लोगों को अगर गिरने के 5 मिनट के भीतर सीपीआर मिल जाए तो उन्हें बचाया जा सकता है। सीपीआर यानी मुंह से मुंह में सांस देना तथा छाती पर दोनों हथेलियों से जोर से दबाव डालना। सीपीआर कैसे करें, इसकी ट्रेनिंग होती है।

हाल ए भारत

भारत में पहले से ही सीवीडी से होने वाली मौतों का बोझ बहुत अधिक है - विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, देश में हर साल होने वाली कुल मौतों में से 27 प्रतिशत मौतें इनके कारण होती हैं और 40-69 वर्ष आयु वर्ग में 45 प्रतिशत मौतें होती हैं।

कोरोना फैक्टर

डॉ. सेठ के मुताबिक कोरोना ने कोरोनरी धमनियों में सूजन और रुकावट पैदा करके लोगों को प्रभावित किया है। लोगों के हृदय की मांसपेशियां प्रभावित हो गई हैं या हृदय गति तेज हो गई है।

- "नेचर" जर्नल में अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित बड़े अध्ययन से पता चला था कि, कोरोना संक्रमण के 30 दिनों के बाद लोगों में सेरेब्रोवास्कुलर विकारों सहित कई श्रेणियों में फैले हृदय रोगों का खतरा बढ़ गया है।सेरेब्रोवास्कुलर से मतलब वह स्थितियां हैं जिनमें मस्तिष्क में रक्त वाहिकाएं प्रभावित हो जाती हैं। अध्ययन के अनुसार, ये जोखिम और उन व्यक्तियों में भी स्पष्ट पाए गए हैं जो कोरोना संक्रमण के तीव्र चरण के दौरान अस्पताल में भर्ती नहीं हुए थे।

- अमेरिका स्थित सीडर्स सिनाई अस्पताल के स्मिड्ट हार्ट इंस्टीट्यूट के नए डेटा विश्लेषण से पता चला है कि कोरोना महामारी के दौरान दिल के दौरे से होने वाली मौतों में काफी वृद्धि हुई है। महामारी से पहले, दिल का दौरा दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण था, लेकिन इसमें लगातार गिरावट आ रही थी। जर्नल ऑफ मेडिकल वायरोलॉजी में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक महामारी के दौरान दिल के दौरे से मृत्यु दर में तेजी से बदलाव आया और सभी आयु समूहों में वृद्धि हुई। यहां तक ​​कि कम-गंभीर ओमिक्रॉन चरण के दौरान भी यही स्थिति रही है। डेटा से पता चला है कि 25-44 आयु वर्ग के व्यक्तियों में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई।

क्यों होता है ऐसा

- एक संभावित स्पष्टीकरण यहहै कि कोरोना किसी मे भी पहले से मौजूद कोरोनरी धमनी रोग की मौजूदगी को ट्रिगर या तेज कर सकता है।

- एक संभावित कारण ये भी है कि हृदय संबंधी बीमारियों में वृद्धि महामारी से जुड़ी मनोवैज्ञानिक और सामाजिक चुनौतियों से भी संबंधित हो सकती है। लोगों की नौकरियां छूट गईं, काम धंधा बन्द हो गया, आर्थिक स्थिति बिगड़ गई, सामाजिक मिलना जुलना बहुत कम हो गया। इससे उत्पन्न भारी तनाव भी हृदय रोग का कारण हो सकता है।

कोरोना वैक्सीन इफ़ेक्ट

इन हालातों के लिए कोरोना टीकों के साइड-इफेक्ट्स का भी थोड़ा जोखिम है। ये पाया गया है कि प्रति एक लाख लोगों में 17 को कोरोना टीकों के कारण दिल की बीमारियों का खतरा होगा। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यह आकलन करने के लिए शोध कर रही है कि क्या कोरोना टीकाकरण और दिल के दौरे की बढ़ती घटनाओं के बीच कोई संबंध है।

क्या करें

- एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि कोरोना संक्रमण हो चुका है तो अपना ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रखें।

- यदि हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास है तो अतिरिक्त सावधानी बरतें। हृदय की सेहत की पूर्ण जांच कराएं।

- सही और पौष्टिक आहार लें, नियमित व्यायाम करें, एमोश6 स्ट्रेस न पालें। मेडिटेशन करें।

- वजन कंट्रोल करें, शराब सिगरेट छोड़ दें।

- यदि आदत नहीं है तो अचानक मेहनत वाला काम न करें, ज्यादा बोझ न उठाएं।

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