नई दिल्ली: यूपीए सरकार के दौरान बहुचर्चित टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में आज (21 दिसंबर) फैसला आया। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी सहित अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है। मतलब इस मामले में कोर्ट ने किसी को दोषी नहीं माना है। जज ओपी सैनी ने कहा, कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन-देन हुआ है।
बता दें, कि देश के इस सबसे बड़े घोटाले की सुनवाई विशेष सीबीआई अदालत कर रही थी। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा, द्रमुक मुनेत्र कड़गम सांसद कनिमोझी सहित अन्य को सभी आरोपों से मुक्त करने पर उनके समर्थकों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी. सैनी ने यूपीए सरकार के समय हुए टू-जी घोटाले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज अलग-अलग मामलों में फैसला सुनाया।
फैसला बस एक लाइन का
बता दें, कि कोर्ट के फैसले से पहले ही परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई थी। जज सैनी ने भीड़ की वजह से आरोपियों के कोर्ट न पहुंच पाने के चलते कार्यवाही स्थगित कर दी। जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो उन्होंने अपने एक लाइन के फैसले में कहा, कि 'सरकारी वकील आरोप साबित करने में नाकाम रहे हैं।'
जानें इस पूरे मामले में कब, क्या हुआ:
-16 मई 2007: द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता ए. राजा को दूसरी बार दूरसंचार मंत्री नियुक्त किया गया।
-25 अक्तूबर 2007: केंद्र सरकार ने मोबाइल सेवाओं के लिए टू-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की संभावनाओं को खारिज किया।
-इसके बाद सितंबर-अक्टूबर 2008 में दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए।
-15 नवंबर 2008: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में खामियां पाईं। मंत्रालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की।
-21 अक्टूबर 2009 को सीबीआई ने टू-जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के संदर्भ में केस दर्ज किया।
-22 अक्तूबर 2009 को इस मामले में सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के दफ्तरों पर छापे मारे।
-17 अक्टूबर 2010 को भारत के सीएजी ने दूसरी पीढ़ी के मोबाइल फोन का लाइसेंस देने में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया।
-14 नवंबर 2010 को ए राजा ने पद से इस्तीफा दे दिया था।
-15 नवंबर 2010 को तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को ही दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
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13 दिसंबर 2010 को दूरसंचार विभाग ने हाईकोर्ट के रिटायर जज शिवराज वी पाटिल समिति को स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों और नीतियों को देखने के लिए अधिसूचित किया। इस समिति को दूरसंचार मंत्री को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया।
-24 और 25 दिसंबर 2010 को ए. राजा से सीबीआई ने पूछताछ की।
-31 जनवरी 2011 को ए. राजा से सीबीआई ने फिर पूछताछ की। एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
-2 फरवरी 2011 को टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।