Haryana में AAP की अलग एंट्री का क्या होगा असर, भाजपा और कांग्रेस में किसे होगा फायदा, जानिए सियासी समीकरण

AAP in Haryana: भगवत सिंह मान, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और आप नेता डॉक्टर संदीप पाठक ने गुरुवार को हरियाणा के विधानसभा चुनाव में पूरी मजबूती के साथ उतरने का ऐलान किया।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-07-19 09:04 GMT

AAP entry in Haryana   (photo: social media )

AAP in Haryana: हरियाणा में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। वैसे लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य का सियासी समीकरण बदला हुआ नजर आएगा। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने वाली आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का ऐलान कर दिया है।

आप का यह फैसला राज्य के सियासी समीकरण पर बड़ा असर डालने वाला साबित हो सकता है। लोकसभा चुनाव के नतीजे को देखा जाए तो आप-कांग्रेस के बीच गठबंधन के कारण लोकसभा चुनाव में भाजपा को सियासी नुकसान उठाना पड़ा था मगर दोनों दलों के बीच गठबंधन टूटने से भाजपा को सियासी फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

आम आदमी पार्टी अपने दम पर लड़ेगी चुनाव

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत सिंह मान, राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और आप नेता डॉक्टर संदीप पाठक ने गुरुवार को हरियाणा के विधानसभा चुनाव में पूरी मजबूती के साथ उतरने का ऐलान किया। मान ने कहा कि हरियाणा के विधानसभा चुनाव में हम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के मॉडल के आधार पर मैदान में उतरेंगे। आप नेताओं ने कहा कि दिल्ली मॉडल के आधार पर ही हरियाणा के मतदाताओं से समर्थन मांगा जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि हरियाणा में हम दूसरे राजनीतिक दलों को मजबूत चुनौती देने में सक्षम होंगे।

आम आदमी पार्टी से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी के अकेले हरियाणा में चुनाव लड़ने का संकेत दिया था। उनका कहना था कि हम अपने दम पर राज्य की 90 विधानसभा सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने में सक्षम हैं।

लोकसभा चुनाव में था कांग्रेस के साथ गठबंधन

हरियाणा में 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपनी ताकत दिखाते हुए राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को इनमें से पांच सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और आप ने गठबंधन किया था और इस गठबंधन में कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ी थी जबकि आप ने कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में अपना प्रत्याशी उतारा था।

कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में आप ने सुशील गुप्ता को टिकट दिया था और उन्होंने भाजपा प्रत्याशी नवीन जिंदल को कड़ी चुनौती दी थी। नवीन जिंदल यह चुनाव 29,000 वोटों से जीतने में कामयाब हुए थे।

कांग्रेस ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिनमें पार्टी ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। दूसरी ओर भाजपा ने राज्य की सभी 10 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ा था मगर इस बार पार्टी सिर्फ पांच सीटें ही जीत सकी थी।

गठबंधन टूटने से भाजपा को होगा फायदा

अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सियासी राहें अलग होने के बाद भाजपा को सियासी फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। विशेष रूप से शहरी और युवा वोटर आम आदमी पार्टी की ओर आकर्षित हो सकते हैं।

ऐसे में भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के अलग-अलग चुनाव लड़ने से राज्य में नया समीकरण बनेगा और यह समीकरण भाजपा को फायदा पहुंचाने वाला साबित हो सकता है।

लोकसभा चुनाव में बढ़ा आप और कांग्रेस का वोट प्रतिशत

लोकसभा चुनाव के दौरान मिले वोटों के प्रतिशत के आधार पर भी इसे समझा जा सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 58.20 फीसदी वोटों के साथ राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी मगर 2024 में पार्टी का वोट प्रतिशत घट गया। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा 46.30 फ़ीसदी वोट के साथ पांच सीटें ही जीत सकी है।

दूसरी ओर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हरियाणा में 28.50 फ़ीसदी वोट मिले थे जो इस बार बढ़कर 43.80 फीसदी हो गया है। आम आदमी पार्टी के वोट प्रतिशत में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आम आदमी पार्टी ने अपना वोट शेयर 0.36 फीसदी से बढ़ाकर 3.94 फीसदी कर लिया है।

इस तरह कांग्रेस और आप दोनों को गठबंधन का फायदा मिला है मगर अब दोनों दलों की सियासी राहें अलग होने के बाद दोनों दलों के वोट प्रतिशत में कमी दर्ज की जा सकती है जिसका फायदा भाजपा को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

इस बार भाजपा का गैर जाटों पर फोकस

हरियाणा में इस बार भाजपा बदली हुई रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुटी हुई है। लोकसभा चुनाव के नतीजे की समीक्षा में पार्टी ने पाया कि जाट बिरादरी ने इस बार भाजपा को वोट नहीं दिया है। इसलिए भाजपा विधानसभा चुनाव के दौरान नई रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में जुटी हुई है।

हरियाणा में गैर जाट मतदाताओं की संख्या करीब 75 फीसदी है और विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा इसी वोट बैंक पर फोकस करेगी। हरियाणा की सियासत जाट और गैर जाट के बीच ही घूमती रही है।

जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे देखने के बाद भाजपा अपनी सोशल इंजीनियरिंग पर वापस लौटने को मजबूर हुई है। विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है और इस बार पार्टी 75 फ़ीसदी गैर जाटों को केंद्र में रखते हुए रणनीति बना रही है।

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