Opposition Meeting: विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेगी 'आप', अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद फैसला
Opposition Meeting: विपक्षी दलों की बेंगलुरु में कल और परसों होने वाली बैठक में आम आदमी पार्टी की हिस्सेदारी को लेकर सस्पेंस अब पूरी तरह खत्म हो गया है।
Opposition Meeting: विपक्षी दलों की बेंगलुरु में कल और परसों होने वाली बैठक में आम आदमी पार्टी की हिस्सेदारी को लेकर सस्पेंस अब पूरी तरह खत्म हो गया है। 2024 की सियासी जंग में एनडीए के खिलाफ मजबूत मोर्चेबंदी के लिए होने वाली इस बैठक में आम आदमी पार्टी हिस्सा लेने का फैसला किया है। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के अन्य बड़े नेता इस बैठक में शामिल होंगे।
दिल्ली के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के समर्थन के ऐलान के बाद पार्टी ने यह बड़ा फैसला लिया है। आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के इस फैसले की जानकारी दी।
आप की बैठक में लिया गया बड़ा फैसला
विपक्षी दलों की बेंगलुरु बैठक में आम आदमी पार्टी की हिस्सेदारी को लेकर पिछले कई दिनों से ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के अन्य नेताओं ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे दिल्ली के संबंध में मोदी सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश के संबंध में कांग्रेस का रुख देखने के बाद ही बैठक में हिस्सेदारी को लेकर कोई फैसला करेंगे। कांग्रेस की ओर से इस अध्यादेश का विरोध करने के ऐलान के बाद आप ने भी अपना रुख साफ कर दिया है।
आम आदमी पार्टी के रुख पर विचार करने के लिए आज पॉलीटिकल अफेयर्स कमिटी की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में फैसला लिया गया कि आप नेता बेंगलुरु में 17 और 18 जुलाई को होने वाली विपक्षी दलों की बड़ी बैठक में हिस्सा लेंगे। आप नेता राघव चड्ढा ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और आप सांसद संजय सिंह बेंगलुरु बैठक में पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस बैठक में एनडीए के खिलाफ चुनावी रणनीति पर गंभीर मंथन किया जाएगा।
कांग्रेस की घोषणा का किया स्वागत
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि आज पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक के दौरान विपक्षी एकजुटता और अध्यादेश से जुड़े हर पहलू पर गहराई से मंथन किया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के संबंध में मोदी सरकार की ओर से लाया गया अध्यादेश पूरी तरह देश विरोधी कानून है। देश से प्यार करने वाली हर पार्टी और हर शख्स की ओर से इस कानून का निश्चित तौर पर विरोध किया जाएगा। चड्ढा ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस अध्यादेश के खिलाफ देश के सभी विपक्षी दलों से समर्थन मांगा था।
कई प्रमुख विपक्षी दलों ने पहले ही संसद में इस काले कानून का विरोध करने का ऐलान कर दिया था। जदयू, द्रमुक; राजद, टीएमसी, सपा और उद्धव ठाकरे की शिवसेना समेत कई दलों ने इस अध्यादेश का कड़ा विरोध किया है और संसद में इसका विरोध करने का ऐलान किया है।
अब कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी का साथ देने का ऐलान किया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह इस काले कानून का विरोध करेगी। आप सांसद ने कांग्रेस की ओर से की गई इस घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से अपना रुख साफ किए जाने के बाद हमने भी बेंगलुरु की बैठक में हिस्सा लेने का फैसला किया है।
पटना की बैठक में केजरीवाल ने उठाया था मुद्दा
बेंगलुरु की बैठक से पूर्व विपक्षी दलों की 23 जून को पटना में महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। इस बैठक में 15 दलों के प्रमुख विपक्षी नेता शामिल हुए थे। इस बैठक के दौरान भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग के संबंध में मोदी सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश का मुद्दा उठाया था।
उन्होंने इस मुद्दे पर सभी विपक्षी दलों से एकजुटता दिखाने की अपील की थी। कांग्रेस ने पटना बैठक के दौरान इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया था। यही कारण था कि बैठक के बाद विपक्षी नेताओं की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने हिस्सा नहीं लिया था। वे बैठक के तत्काल बाद दिल्ली रवाना हो गए थे।
कांग्रेस की घोषणा के बाद खत्म हुआ सस्पेंस
बाद में केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं ने साफ तौर पर कहा था कि यदि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपना रुख साफ नहीं किया तो बेंगलुरु बैठक में हिस्सा लेना मुश्किल होगा। यही कारण था कि बेंगलुरु बैठक में आप की हिस्सेदारी को लेकर कई दिनों से सस्पेंस बना हुआ था। आज कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से पार्टी का रुख साफ किए जाने के बाद अब आम आदमी पार्टी भी बेंगलुरु की बैठक में हिस्सा लेगी। आम आदमी पार्टी का यह फैसला सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
एनडीए की ओर से अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिशों के मद्देनजर विपक्षी दलों की इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विपक्षी दलों की बैठक के बाद 18 जुलाई को एनडीए की भी महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि बेंगलुरु में 16 और 17 जुलाई को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक के बाद एनडीए की ओर से भी जवाबी रणनीति बनाई जाएगी।