सरकार ने नहीं दिया आदेश, फिर भी यहां खोल दिए स्कूल, अब होगी कड़ी कार्रवाई
मनपा ने इन शिक्षण संस्थाओं को चेतावनी दी है। मनपा ने कहा है कि निःशुल्क पुस्तक वितरण और स्कूल पोषण आहार के अलावा अगर विद्यालयों में छात्रों को बुलाया गया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
भिवंडी: महाराष्ट्र के भिवंडी में कोविड-19 को लेकर प्रदेश सरकार के आदेशों का स्कूलों ने उल्लंघन किया है। नियमों का उल्लंघन करते हुए शहर के अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई शुरू कर दी गई। इन स्कूलों में न को कोराना वायरस के नियमों का पालन हो रहा है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का। अब महानगरपालिका (मनपा) ने इन स्कूल और कॉलेजों के खिलाफ सख्त रूख अपना लिया है।
मनपा ने इन शिक्षण संस्थाओं को चेतावनी दी है। मनपा ने कहा है कि निःशुल्क पुस्तक वितरण और स्कूल पोषण आहार के अलावा अगर विद्यालयों में छात्रों को बुलाया गया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण मार्च में केंद्र सरकार ने देश में लॉकडाउन लगा दिया था इसके बाद से सभी स्कूल, कॉलेज बंद कर दिए गए थे। इसके कारण निजी विद्यालयों में ज्यादातर फीस बकाया रह गई थी।
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जून में नया सत्र शुरू होने के बाद बकाया फीस भी करीब-करीब जमा हो जाती है, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों को खोलने का निर्णय नहीं लिया गया है। स्कूल अगर ऐसे बंद रहे तो छात्रों द्वारा फीस जमा नहीं की जाएगी। अब फीस वसूलने के लिए शहर के कई स्कूलों ने नौंवी और दसवीं के छात्रों को पिछले दो हफ्ते से बुलाकर पढ़ाई शुरू कर दी है।
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जो स्कूल छात्रों को बुला रहे हैं उनमें कोविड 19 के नियमों का भी पालन नहीं हो रहा है। ज्यादातर छात्र मास्क लगाकर भी स्कूल नहीं आ रहे हैं, वहीं कक्षा में सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं हो रहा है। इन स्कूलों में छात्रों के लिए सैनेटाइज की भी व्यवस्था नहीं है। एक रिपोर्ट में स्कूल के शिक्षक के हवाले से कहा गया है कि उनकी कक्षा में 50 से 60 बच्चों को बैठाकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
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उपायुक्त मुख्यालय डॉ. दीपक सावंत ने सभी मुख्याध्यापकों को पत्र भेजा है। उन्होंने भेजे गए पत्र में कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूल, कॉलेजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्याध्यापकों को सोशल मीडिया के माध्यम से भेजे गए पत्र में उपायुक्त डॉ. सावंत ने कहा कि निःशुल्क पुस्तक वितरण एवं स्कूल पोषण वितरण के अलावा किसी भी परिस्थिति में छात्रों को स्कूलों में नहीं बुलाया जाए।
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