राष्ट्रपति उम्मीदवार पर गतिविधियां तेज, विपक्ष को सरकार के पत्ते खुलने का इंतजार
देश के अगले राष्ट्रपति पद के लिए आम सहमति कायम करने के लिए बीजेपी की तीन सदस्यीय कमेटी गठित होने के बाद विपक्ष की गतिविधियां तेज हो गई हैं।
नई दिल्ली: देश के अगले राष्ट्रपति पद के लिए आम सहमति कायम करने के लिए बीजेपी की तीन सदस्यीय कमेटी गठित होने के बाद विपक्ष की गतिविधियां तेज हो गई हैं। विपक्ष की ओर से प्रमुख समन्वय का काम संभाल रहे मराठा छत्रप शरद पवार के साथ बातचीत अब मोदी सरकार और बीजेपी के तीनों नव नियुक्त प्रतिनिधियों को करनी है। विपक्ष शांत बैठा है। एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि सरकार की ओर से नाम का खुलासा होने के बाद ही अपने अहम पत्ते खोलेंगे।
इधर राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्ष की रणनीति से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि सरकार को आम सहमति के लिए पहले अपने नामों का खुलासा करना होगा। उसके बाद ही विपक्ष उन नामों पर आपस में चर्चा के बाद सत्ता पक्ष को अपनी प्रतिकिया देगा।
मोदी सरकार के लिए राजनीतिक व्यक्तियों के नामों पर आम सहमति कायम करना मुश्किल काम है इसलिए बीजेपी के रणनीतिकारों की पूरी कोशिश इस बात पर केंद्रित है कि किसी गैर राजनैतिक और विवादों से दूर रहे व्यक्ति को देश के अगले राष्ट्रपति के पद पर बिठाया दिया जाए।
इससे दो मकसद हल होंगे। एक तो विपक्ष की रणनीति धरी की धरी रह जाएगी और दूसरा 2019 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए जो बीजेपी विरोधी ध्रुवीकरण तैयार करने की कोशिश हो रही है उसकी हवा निकाली जाए।
गैर राजनीतिक व्यक्तियों को लेकर बीजेपी कैंप में जिन नामों पर चर्चा है उनमें जस्टिस गिरधर मालवीय भी हैं। जो महामना मदन मोहन मालवीय के पौत्र हैं। वे वाराणसी में नरेंद्र मोदी के चुनावी नामांकन के वक्त मौजूद रहे।
उसके बाद दूसरा सशक्त नाम गायत्री मुर्मु का है। जो आदिवासी महिला हैं और इन दिनों झारखंड की राज्यपाल हैं। हालांकि पंजाब के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी जैसे नाम भी चर्चा में आ रहे हैं।
विपक्ष के पास ले देकर दो सशक्त उम्मीदवार हैं। एक खुद शरद पवार हैं जो कि विपक्ष की ओर से उम्मीदवार बनने से पहले ही इनकार कर चुके हैं लेकिन सूत्रों का कहना है कि बीजेपी विपक्ष की एकता तोड़ने की खातिर पवार के नाम पर विचार कर सकती है। इससे महाराष्ट्र में शिव सेना के साथ चल रही खटपट का फौरी इलाज हो सकता है।
लेकिन संघ का पवार के नाम पर राजी होने का कोई सवाल इसलिए नहीं उठता क्योंकि वे मूलतः संघ की विचाराधारा के खिलाफ हैं। विपक्ष के पास गैर राजनीतिक और विवादों से परे जो सशक्त नाम है वह पूर्व राजनयिक और महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी का है। गोपाल गांधी चूंकि गुजराती हैं इसलिए उनके नाम पर कोई गंभीर आपत्ति जताना बीजेपी वालों के लिए मुश्किल जरूर होगा।
ऐसे भी संकेत हैं कि बीजेपी इस बार राष्ट्रपति के साथ उप राष्ट्रपति के नाम पर भी अंदरखाने खंगालने में जुटी है। हालांकि, अभी इस बाबत संभावित नामों को तभी चर्चा में लाया जाएगा जब राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर अंतिम तौर पर मुहर लग जाए।