संसद सत्र के बाद विपक्षी लड़ेंगे EVM की लड़ाई, सभी चुनाव बैलेट पेपर से चाहतें है
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (इवीएम) में हैकिंग के आरोपों और हाल में पैदा शंकाओं के बीच विपक्षी पार्टियां इस बात पर गंभीर विचार विमर्श कर रही हैं कि इस साल देश के कई राज्यों में होने वा
नईदिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (इवीएम) में हैकिंग के आरोपों और हाल में पैदा शंकाओं के बीच विपक्षी पार्टियां इस बात पर गंभीर विचार विमर्श कर रही हैं कि इस साल देश के कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में मशीनों की जगह बैलेट पेपर से मतदान के मामले पर ठोस रणनीति अपनाई जाये। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा है कि कांग्रेस इस बात पर विपक्षी पार्टियों में एकजुटता कायम करने कर कोशिश कर रही है कि भविष्य में सभी चुनाव केवल बैलेट पेपर के माध्यम से हो।
विपक्षी पार्टियां गुजरात में हाल में हुए चुनावों में वहां सत्ताधारी भाजपा को मिले वोट और वहां वोटिंग मशीनों में गड़गड़ी के उजागर मामलों को टेस्ट केस मानकर उनका विशेषज्ञों के जरिए अध्ययन करवा रही है ताकि स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को लेकर ईवीएम पर चुनाव आयोग के दावों को चुनौती दी जा सके।
कांग्रेस ने प्रत्येक चुनाव क्षेत्र में वोटिंग पैटर्न की गहराई से छानबीन की प्रकिया पहले ही शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार पूरा ब्लूप्रिंट मिलने के बाद ही विपक्षी पार्टियां जिसमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी व पूर्वोत्तर के बाकी छोटे क्षेत्रीय दल भी शामिल हैं, को आगे की रणनीति के लिए साथ रखा जा सके। ज्ञात रहे कि त्रिपुरा में माकपा की सरकार है तथा वह भी इस बात पर सैद्धांतिक तौर पर तैयार है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी करके भाजपा इस बार वहां सरकार से हटाने को कोई कसर नहीं छोड़ेगी। भाजपा पहले ही तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल कर चुकी है। मानिक सरकार के नेतृत्व में माकपा सरकार वहां पिछले दो दशक से सत्ता में है।
विपक्षी पार्टियां इस बात पर आम सहमति बनाने की कोशिश में हैं कि समस्त चुनाव क्षेत्रों में इवीएम मशीनों के साथ सामानांतर तौर पर पर्ची की भी व्यवस्था सुनिश्चित हो। यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश हो रही है कि मतगणना की प्रक्रिया में पर्चियों को अलग से गिना जाए।
कांग्रेस का एक वर्ग इस पहल में भी जुटा है कि अगर चुनाव आयोग ईवीएम मशीनों के प्रयोग पर अड़ा रहा और मतदान पर्चियों की गिनती करने की मांग से इनकार करे तो उस पर दबाव बनाने के लिए विपक्षी दलों को मिलकर विधानसभाओं के चुनाव का बायकाट करना चाहिए। माकपा अभी बायकाट की रणनीति पर कुछ नहीं बोल रही है क्योंकि त्रिपुरा में उसकी सरकार है। मेघालय में कांग्रेस सत्ता में है तथा इस बार कांग्रेस के पांच विधायकों समेत कुल छह लोगों को चुनाव के पहले भाजपा में शामिल कर मेघालय असम की तर्ज पर अपनी सरकार बनाने का तानाबाना बुन रही है।