Bihar Caste Survey Impact: जातिगत आंकड़े जारी होने के बाद गरमाने लगी सियासत,आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी की मांग हुई तेज

Bihar Caste Survey Impact: देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अब ओबीसी की राजनीति केंद्रीय भूमिका में आ गई है। अब इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की तैयारी भी शुरू हो गई है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2023-10-02 18:37 IST

Bihar caste census (Photo-Social Media)

Bihar Caste Survey Impact: बिहार में नीतीश सरकार ने जातिगत गणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। बिहार सरकार की ओर से आंकड़े जारी किए जाने के बाद देश की सियासत गरमाने लगी है। बिहार सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फ़ीसदी है जबकि पिछड़ा वर्ग की आबादी 27 फ़ीसदी है। इस तरह दोनों को मिलाकर ओबीसी वर्ग की संख्या करीब 63 फ़ीसदी मानी जा रही है। ऐसे में अब लगभग सभी राजनीतिक दलों की ओर से ओबीसी को सबसे ज्यादा महत्व दिए जाने का दावा किया जाने लगा है।

देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अब ओबीसी की राजनीति केंद्रीय भूमिका में आ गई है। अब इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की तैयारी भी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साफ तौर पर कहना है कि जातिगत आंकड़े जारी होने के बाद अब इसी के आधार पर विभिन्न वर्गों के विकास और उत्थान की योजनाएं बनाई जाएंगी। दूसरी ओर राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव का कहना है कि राज्य सरकार को अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या हो, उसकी उतनी हिस्सेदारी होनी चाहिए।

अब ओबीसी का फैक्टर हुआ और प्रभावी

बिहार सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक ओबीसी में शामिल जातियों से जुड़े लोगों की आबादी करीब 63 फ़ीसदी बताई गई है। वैसे तो बिहार की सियासत में जातीय समीकरण लंबे समय से प्रभावी भूमिका निभाता रहा है। राज्य की सियासत में ओबीसी फैक्टर काफी असर कारक साबित होता रहा है मगर अब सरकारी लिखा-पढ़ी में इस बात की पुष्टि हो गई है कि ओबीसी वर्ग कितना ताकतवर है। यही कारण है कि अब राज्य सरकार की योजनाओं में ओबीसी को उनकी संख्या के आधार पर महत्व देने की मांग तेज होने लगी है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि जातिगत जनगणना के जरिए न केवल विभिन्न जातियों की संख्या की जानकारी हुई है बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति के बारे में भी हमें पता चला है। अब आगे की योजनाएं बनाने में इस बात का विशेष तौर पर ख्याल रखा जाएगा और उसी हिसाब से विभिन्न वर्गों के विकास और उत्थान की रूपरेखा तय की जाएगी।

जिसकी जितनी संख्या भारी,उसकी उतनी हिस्सेदारी

दूसरी और पूर्व मुख्यमंत्री और राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव का कहना है कि तमाम साजिशों और कानूनी अड़चनों के जरिए बिहार में जातिगत जनगणना को रोकने का प्रयास किया गया मगर इसके बावजूद राज्य सरकार ने आज जाति की गणना के सारे आंकड़े जारी कर दिए। उन्होंने कहा कि इसके जरिए हमें विभिन्न वर्गों के उपेक्षितों,वंचितों और गरीबों के समग्र विकास की योजना बनाने में मदद मिलेगी। इन आंकड़ों की मदद से हम हाशिए पर रहने वाले समूहों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के सामने नजीर पेश करेंगे।

उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या भारी हो, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। उन्होंने कहा कि हमारा शुरू से ही यह मानना रहा है कि राज्य के सभी संसाधनों पर न्यायसंगत तरीके से सभी वर्गों का अधिकार होना चाहिए। राजद मुखिया ने कहा कि 2024 के चुनाव में हम केंद्र में सरकार बनाने में कामयाब होंगे और उसके बाद पूरे देश में जातिगत गणना कराई जाएगी।

अब सरकार की नीतियों में दिखेगा असर

बिहार के डिप्टी सीएम और तेजस्वी यादव भी लंबे समय से जातिगत जनगणना की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने भी साफ तौर पर कहा है कि अब सरकार की नीतियों और नीयत दोनों ही जाति आधारित सर्वे के इन आंकड़ों का सम्मान करेंगे।

दूसरी ओर भाजपा अभी सरकार की ओर से जारी आंकड़ों का अध्ययन करने में जुटी हुई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी का कहना है कि कि हम आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद ही इस बाबत कोई टिप्पणी करेंगे। हालांकि उन्होंने आर्थिक और सामाजिक स्थिति का सर्वे में उल्लेख न किए जाने पर निराशा भी जताई।

कर्पूरी और वीपी के बाद नीतीश सबसे लोकप्रिय

इस बीच जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर और वीपी सिंह के बाद आज नीतीश कुमार सही मायने में पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के लोगों के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं उन्होंने 100 वर्षों की गुलामी की जंजीरों को तोड़ते हुए जातिगत जनगणना कराई जिससे साबित हो गया है कि ओबीसी 63 फ़ीसदी है।

उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर के फार्मूले के तहत नीतीश कुमार का फार्मूला भी अत्यंत पिछड़े वर्ग को उनकी संख्या के अनुसार आरक्षण उपलब्ध कराएगा। यह काम पिछले 75 वर्षों के दौरान किसी भी सरकार ने नहीं किया है। आगामी चुनावों के दौरान नीतीश कुमार देशभर में घूम-घूम कर जातीय जनगणना की वकालत करेंगे। वे लोगों को यह समझाएंगे कि शोषितों और वंचितों को अपनी संख्या जानने का अधिकार है और उन्हें इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। 

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