Chabahar Port: भारत को मिला चाबहार बंदरगाह
Chabahar Port: ईरान और भारत के बीच चाबहार बंदरगाह के विकास और प्रबंधन को लेकर समझौता हो गया है। भारत इस बंदरगाह को डेवलप करेगा और 10 साल तक इसका प्रबंधन करेगा।
Chabahar Port: ईरान और भारत के बीच चाबहार बंदरगाह के विकास और प्रबंधन को लेकर समझौता हो गया है जिसके तहत भारत को चाबहार बंदरगाह के 10 साल तक इस्तेमाल के अधिकार मिल गए हैं। भारत इस बंदरगाह को डेवलप करेगा और 10 साल तक इसका प्रबंधन करेगा। पाकिस्तान से लगती ईरान की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर स्थित चाबहार बंदरगाह को समुद्री व्यापार के लिए एक अहम और रणनीतिक जगह माना जाता है।
ईरान के शहरी विकास मंत्रालय ने बताया कि समझौते के तहत भारत की इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) कंपनी चाबहार में 37 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी और बंदरगाह का ढांचागत विकास करने के लिए रणनीतिक उपकरण उपलब्ध कराएगी।
भारत पर हमें पूरा भरोसा- ईरान
भारत के जहाजरानी मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और ईरान के शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश ने 13 मई को समझौते पर दस्तखत किए। बजरपाश ने इस मौके पर कहा कि इलाके में परिहवन के विकास में चाबहार एक अहम केंद्र बन सकता है। हम इस समझौते से बेहद खुश हैं और भारत पर हमें पूरा भरोसा है। सोनोवाल ने कहा कि भारत और ईरान क्षेत्रीय बाजारों तक पहुंच के दोनों देशों के हितों को देखते हुए चाबहार बंदरगाह के हरसंभव विकास को लेकर बहुत उत्साहित हैं।
21 साल से कोशिशें
इस समझौते पर भारत और ईरान के बीच लगभग 20 साल से बातचीत चल रही थी। 2003 में भारत ने ईरान से चाबहार बंदरगाह के विकास में हिस्सेदारी पर बातचीत शुरू की थी। अगस्त 2012 में इस समझौते को लेकर भारत, ईरान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच बैठक हुई जिसके बाद जनवरी 2013 में भारत ने चाबहार में 10 करोड़ डॉलर के निवेश पर सहमति दी थी। 2016 में भारत ने चाबहार बंदरगाह के लिए 50 करोड़ डॉलर उपलब्ध कराने पर सहमति दी थी।
तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी की मौजूदगी में सहमति पत्र पर दस्तखत भी हो गए थे। लेकिन यह समझौता सिरे नहीं चढ़ पाया क्योंकि ईरान और अमेरिका के बीच 2015 में हुआ ऐतिहासिक परमाणु समझौता 2018 में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद टूट गया और अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिए।
अमेरिका नाखुश
अमेरिका इस समझौते को लेकर बहुत खुश नहीं रहा है और उसने चेतावनी दी कि भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चाबहार में काम करने वाली कंपनियों को अमेरिकी प्रतिबंधों से किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, चूंकि यह अमेरिका से जुड़ा मामला है, इसलिए ईरान पर लगे प्रतिबंध जारी रहेंगे।
क्यों अहम है चाबहार?
चाबहार एकमात्र ईरानी बंदरगाह है जिसकी समुद्र तक सीधी पहुंच है। यह मध्य और पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत, ईरान और अफगानिस्तान के व्यापार का अहम मार्ग बन सकता है।चाबहार बंदरगाह असल में दो अलग बंदरगाहों से मिलकर बना है। इन्हें शाहिद कलंतरी और शाहिद बेहेस्ती कहा जाता है। भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह का विकास करेगी।
इसके जरिए भारत का अफगानिस्तान से सीधा रास्ता खुल जाएगा और उसे पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रहना होगा। अभी भारत को यदि अफगानिस्तान सामान भेजना हो तो उसके ट्रकों को पाकिस्तान होकर जाना पड़ता है। चाबहार बंदरगाह का फायदा अफगानिस्तान को भी होगा और उसकी पाकिस्तान पर निर्भरता कम होगी। इससे चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से सिर्फ 72 किलोमीटर दूर स्थित है। ग्वादर पाकिस्तान का वह बंदरगाह है जिसे चीन विकसित कर रहा है।