मौत का रिश्ता: एयर पोल्यूशन और कोरोना का साथ खतरनाक, ऐसे जा रही जान

शोधकर्ता थॉमस मुन्जेल ने कहा है कि वायु प्रदूषण में लम्बे समय तक का एक्सपोज़र और कोरोना वायरस का संक्रमण, ये दोनों जब मिल जाते हैं तो सेहत पर खतरनाक असर पड़ता है। ख़ास तौर पर ह्रदय और खून का प्रवाह बनाये रखने वाली नसों में असर होता है

Update: 2020-10-27 09:29 GMT
मौत का रिश्ता: एयर पोल्यूशन और कोरोना का साथ खतरनाक, ऐसे जा रही जान

नील मणि लाल

लखनऊ: कोरोना से दुनिया भर जितनी मौतें हुईं है उनमें से 15 फीसदी का सम्बन्ध वायु प्रदूषण से है। अमेरिका में ये आंकड़ा 18 फीसदी मौतों का है। कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने चेताया है कि वायु प्रदूषण में लम्बे समय तक एक्सपोज़र से कोरोना वायरस से मौत का रिस्क बहुत बढ़ जाता है।

हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है

इस अध्ययन के एक शोधकर्ता थॉमस मुन्जेल ने कहा है कि वायु प्रदूषण में लम्बे समय तक का एक्सपोज़र और कोरोना वायरस का संक्रमण, ये दोनों जब मिल जाते हैं तो सेहत पर खतरनाक असर पड़ता है। ख़ास तौर पर ह्रदय और खून का प्रवाह बनाये रखने वाली नसों में ऐसा असर होता है कि उनकी कोरोना के खिलाफ संघर्ष करने की ताकत घट जाती है। अगर किसी व्यक्ति को ह्रदय की बीमारी है और वह ख़राब क्वालिटी वाली हवा में रहता है तो अगर उसे कोरोना संक्रमण हो गया तो इसका नतीजा हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक के रूप में सामने आ सकता है। थॉमस मुन्जेल जर्मनी के एक प्रमुख चिकित्सक हैं।

अति सूक्ष्म कण स्वास्थ्य पर सबसे गहरा असर डालते हैं

इस रिसर्च में वायु प्रदूषण के आंकड़े, कोरोना के केस और मौतों की संख्या का विश्लेषण किया गया। रिसर्च में सैटेलाईट की फोटो का भी अध्ययन किया गया जिससे ये पता चला कि किन जगहों पर अति सूक्ष्म पार्टिकुलेट मैटर की क्या स्थिति थी। शोधकर्ताओं ने 2.5 माइक्रोन के आकार वाले पार्टिकुलेट मैटर पर फोकस किया। ये अति सूक्ष्म कण स्वास्थ्य पर सबसे गहरा असर डालते हैं।

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ठंड बढ़ते ही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लगा

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च में भी यही बात सामने आयी है और कोरोना काल में वायु प्रदूषण के गंभीर खतरे के प्रति चेतावनी दी गयी है। इस स्टडी के सामने आने के बाद भारत में कोरोना को लेकर चिंताजनक स्थिति पैदा हो सकती है। मौसम में ठंड बढ़ते ही देश के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ने लगा है।

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इसमें सबसे बुरे हालात देश की राजधानी दिल्ली के हैं। दिल्ली को आसपास के राज्यों में जलने वाली पराली के धुएं की समस्या से भी जूझना पड़ता है। हालांकि दिल्ली सरकार इस बार प्रदूषण से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर इंतजाम कर रही है। दिल्ली और दूसरे शहरों में दूषित हवा आने वाले समय में भारत में कोरोना के खतरे को बढ़ा सकती है।

किस देश में क्या स्थिति

रिसर्च से पता चला है कि वायु प्रदूषण से कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों की संख्या अकाफी ज्यादा रही है। चेक रिपब्लिक में 29 फीसदी, चीन में 27 फीसदी, जर्मनी में 26 फीसदी, फ़्रांस में 18 फीसदी, स्वेदन में 16 फीसदी, इटली में 15 फीसदी, ब्रिटेन में 14 फीसदी, ब्राज़ील में 12 फीसदी, आयरलैंड में 8 फीसदी, इजरायल में 6 फीसदी, आस्ट्रेलिया में 3 फीसदी और न्यूज़ीलैण्ड में 1 फीसदी का आंकड़ा रहा।

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