गोवा सरकार ने इन दो गंदे शब्दों को लेकर इंटेलेक्चुअल को दिखाया बाहर का रास्ता
यह उनकी 43 कविताओं में सातवें नंबर की कविता गैगरेप में आए थे। इस किताब पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। गत वर्ष इसी कविताको निर्णायक मंडल ने पीस ऑफ आर्ट बताया था। लेकिन राज्य की अकादमी को ये आपत्तिजनक और गंदे शब्द लगे।
गोवा सरकार की गोवा कोकणी अकादमी ने कोकणी कवि को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जबकि यह शख्सियत 2019 में साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित हो चुकी है। कोकणी भाषा के चंद प्रतिष्ठित कवियों में इनकी गिनती होती है।
कोकणई भाषा के कवि नीलाभ खांडेकर की द वर्ड्स शीर्षक की कविताओं की किताब खरीदने और वितरित करने का आदेश कोकणी अकादमी ने रद कर दिया है। अकादमी की तीन सदस्यों की समिति ने अगस्त 2018 में जिन 64 किताबों को खरीदे और वितरित किये जाने का अनुमोदन किया था उनमें अन्य लेखकों और कवियों के साथ नीलाभ खांडेकर की किताब भी शामिल थी। 19 जनवरी 2019 को खांडेकर की किताब की 90 प्रतियां खरीदने का आदेश भी जारी हुआ था लेकिन गोवा सरकार की कोकणी अकादमी की एग्जीक्यूटिव कमेटी ने इस आदेश को रद कर दिया।
इसे भी पढ़ें
योगी की ये बहन: 27 साल से कर रही अपने भैया का इंतजार
दो गंदे शब्द
नीलाभ खांडेकर को इस संबंध में यह बताया गया कि तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष ने आपत्तिजनक और खराब कंटेंट के कारण आदेश रद किया है। जो दो शब्द आपत्तिजनक बताए गए उनमें एक था योनी और दूसरा थन। यह उनकी 43 कविताओं में सातवें नंबर की कविता गैगरेप में आए थे। इस किताब पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। गत वर्ष इसी कविताको निर्णायक मंडल ने पीस ऑफ आर्ट बताया था। लेकिन गोवा सरकार की अकादमी को ये आपत्तिजनक और गंदे शब्द लगे।
खांडेकर जारी रखेंगे लड़ाई
खांडेकर, भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त क्लर्क हैं। वह इन दिनों मारगांव और पंजिम के बीच यात्राएं कर रहे हैं। वह जानना चाहते हैं कि ये दो शब्द कैसे आपत्ति जनक हैं। वह जानना चाहते हैं कि कैसे उनकी कविता आक्रामक है। कहीं से कोई सही जवाब न मिलने पर अब वह आरटीआई दायर करने का मन बना रहे हैं ताकि उनके सवालों का उन्हें जवाब मिल सके। उनका कहना है कि नौकरशाही का यह सेंसर सिर्फ कविता या भाषा पर नहीं है यह आम बोलचाल में शामिल तमाम शब्दों पर सवाल खड़ा कर रहा है।