वड़ोदरा की युवती ने दिल्ली के युवक की ऐसे बचाई जान, जानिए कैसे हुआ ये कमाल

उन्होंने बताया कि दिल्ली निवासी युवक को जन्म से ही दिल की बीमारी थी। कुछ समय पहले साल 2019 में उसके वाल्व बदले गए थे लेकिन अब दिल को प्रत्यारोपित करना पड़ा।

Update: 2020-12-25 06:49 GMT
वड़ोदरा की युवती ने दिल्ली के युवक की ऐसे बचाई जान, जानिए कैसे हुआ ये कमाल (PC: social media)

लखनऊ: ऐसा आपने सिर्फ सुना होगा कि एक इंसान के सीने में किसी और का दिल धड़का है। लेकिन ऐसा दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने कर दिखाया है। गुजरात के वड़ोदरा शहर में एक 17 वर्षीय युवती का ब्रेन डेड हो गया। जिसके बाद उसके परिवार वालों ने उसके अंगदान का फैसला लिया। उसके बाद ही दिल्ली एम्स की टीम ने एक 20 वर्षीय युवक की बॉडी में दिल प्रत्यारोपित किया है। 24 दिसंबर बृहस्पतिवार को दोपहर करीब दो बजकर 30 मिनट पर एम्स की टीम दिल लेकर वड़ोदरा से नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची।

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एम्स पहुंचने के बाद ही डॉक्टरों की टीम ने दिल प्रत्यारोपित कर दिया

उसके बाद दिल्ली पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया। करीब 18 किलोमीटर लंबा ये कॉरिडोर पूरा करने में टीम को 12 मिनट का समय लगा। नॉर्मली ये दूरी 35 से 40 मिनट में पूरी हो पाती है। एम्स पहुंचने के बाद ही डॉक्टरों की टीम ने दिल प्रत्यारोपित कर दिया और ये बताया भी कि प्रत्यारोपण सफल रहा है। अब अगले कुछ दिन तक डॉक्टरों की देख-रेख के बाद युवक को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।

इस पर दिल्ली एम्स के विभागाध्यक्ष डॉ. शिव चौधरी ने बताया कि गुजरात के वड़ोदरा निवासी 17 वर्षीय युवती के अंगदान होने की सूचना मिली थी। कोरोना काल में अब तक दिल प्रत्यारोपित नहीं किया गया था। पहली बार टीम ने कोरोना महामारी के बीच प्रत्यारोपण किया है।

दिल्ली निवासी युवक को जन्म से ही दिल की बीमारी थी

उन्होंने बताया कि दिल्ली निवासी युवक को जन्म से ही दिल की बीमारी थी। कुछ समय पहले साल 2019 में उसके वाल्व बदले गए थे लेकिन अब दिल को प्रत्यारोपित करना पड़ा। जानकारी के मुताबिक प्रत्यारोपण की टीम में डॉ. शिव चौधरी के अलावा, प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. मिलिंद होते, डॉ. सुखजीत, एनेस्थीसिया से डॉ. संदीप चौहान व डॉ. मिनाती चौधरी शामिल थीं।

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दिल आने से पहले ही शुरू हुआ ऑपरेशन

सभी डॉक्टरों का कहना है कि वड़ोदरा पहुंची टीम जैसे ही वहां से विमान में सवार हुई तभी दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने युवक का ऑपरेशन शुरू कर दिया था। क्योंकि अंग को प्रत्यारोपित होने में काफी कम समय चाहिए होता है। जिस वजह से डॉ ने पहले ही तैयारी कर ली थी। लास्ट समय में बस दिल को बदलना ही रह गया था। वो भी काम सफल तरीके से हो गया था।

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