Amit Shah J&K Visit: राजौरी की रैली में विपक्ष पर जमकर बरसे अमित शाह, वैष्णो देवी – मंदिर में की पूजा –अर्चना
Amit Shah J&K Visit: राजौरी की रैली में विपक्ष पर जमकर बरसे अमित, उन्होंने पहली बार माता रानी के दर्शन किए। आज जम्मू में कई अहम परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे।
Amit Shah J&K Visit: धारा 370 और 35ए की समाप्ति के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दूसरी बार जम्मू कश्मीर के दौरे पर पहुंचे हैं। केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराए जाने के अटकलों के बीच गृह मंत्री का ये दौरा काफी अहम माना जा रहा है। शाह ने आज सबसे पहले प्रसिद्ध वैष्णो माता मंदिर में पूजा – अर्चना की। बतौर गृह मंत्री उन्होंने पहली बार माता रानी के दर्शन किए। उन्होंने आज जम्मू में कई अहम परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे।
राजौरी में अमित शाह की रैली
अमित शाह में राजौरी में रैली को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर हमला बोला। मोदी – मोदी के नारे से गदगद शाह ने कहा, आपके 'मोदी मोदी' के नारे उन लोगों के जवाब हैं जो धारा 370 के खिलाफ थे और कह रहे थे कि अगर इसे खत्म किया गया तो खून-खराबा होगा।" उन्होंने आगे पूछा कि अगर अनुच्छेद 370 नहीं हटाया गया तो कोई आदिवासी आरक्षण क्यों होगा। वहीं विवादित चुनावी परिसीमन पर शाह ने कहा, पहले परिसीमन उनके परिवारों के लिए ही किया जाता था, लेकिन नए परिसीमन के बाद पहाड़ी सीटों को बढ़ा दिया गया है। दरअसल पूर्व सीएम और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती लगातार नए चुनावी परिसीमन को लेकर लगातार केंद्र पर हमलावर रही हैं।
पीडीपी और एनसी के नेता बीजेपी ज्वाइन करने के लिए तैयार लेकिन,,,
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार शाम ही जम्मू पहुंच गए थे। रात उन्होंने यहीं गुजारी। इससे पहले यहां बैठकों का दौर भी चला। अमित शाह ने डोगरा, बकरवाल, पहाड़ी समाज और सिख समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उनकी बातों को सुना। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शाह से जम्मू कश्मीर की दो बड़ी सियासी पार्टियां पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के दो बड़े नेता भी मिले। बताया जाता है कि पीडीपी के राजौरी जिलाध्यक्ष तमीम डार और नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता शफकत मीर ने शाह के सामने बीजेपी ज्वाइन करने का प्रस्ताव रखा है, इस शर्त पर कि केंद्र सरकार पहाड़ी समुदाय को अनूसुचित जनजाति का दर्जा देगी।
बता दें कि जम्मू कश्मीर के राजौरी, पुंछ, हंदवाड़ा और बारामूला में पहाड़ी लोगों की बड़ी आबादी है। इस समुदाय के लोग जम्मू कश्मीर के 5 जिलों की 10 विधानसभा सीटों पर मजबूत दखल रखते हैं। लंबे समय से इनकी मांग रही है कि इन्हें भी एसटी श्रेणी में शामिल किया जाए।