Amit Shah Ka Bhashan: संविधान-संविधान के खेल में अब अम्बेडकर पर भाजपा-कांग्रेस आमने सामने
Amit Shah Big Speech In Parliament: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा - "अभी एक फैशन हो गया है, अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर।
Amit Shah Ka Bhashan: लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच संविधान - संविधान का खेल चल रहा है। भाजपा, इंदिरा गांधी की इमरजेंसी को संविधान से जोड़ कर कांग्रेस पर लगातार हमलावर है, कोई मौका छोड़ा नहीं जा रहा। दूसरी तरफ कांग्रेस अपने को संविधान की रक्षक बता कर भाजपा को घेरे हुए है। संविधान - संविधान के इस ब्लेम गेम में अभी तक भाजपा हावी दिख रही थी लेकिन अब अचानक एक बयान से बाजी पलट गई है।
हुआ क्या है
"भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा" पर संसद में परिचर्चा चल रही थी। इसका समापन करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा - "अभी एक फैशन हो गया है, अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर, अम्बेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्म तक स्वर्ग मिल जाता।"
अमित शाह ने साथ में यह भी कहा - "भाजपा खुश है कि कांग्रेस अंबेडकर का नाम ले रही है। लेकिन कांग्रेस को उनके प्रति अपनी सच्ची भावनाओं के बारे में भी बताना चाहिए। अमित शाह ने बताया कि कैसे अंबेडकर को अनुच्छेद 370 सहित तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार की नीतियों से असहमति जताते हुए पहले मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था।
अमित शाह के इस बयान से जो राजनीतिक हंगामा हुआ वो तो हुआ ही, सोशल मीडिया पर पर तहलका मच गया है। ये होना ही था क्योंकि अम्बेडकर करोड़ों लोगों के लिए भगवान के समान ही हैं। लोग अपने घरों में बाबा साहेब की फोटो पूजा स्थल में रखते हैं, उन्हें ईश्वर तुल्य स्थान देते हैं।
फिलहाल, कांग्रेस को एक बड़ा हथियार मिल गया है और वह राजनीतिक पिच पर फ्रंट फुट पर आ गई है। पार्टी ने लोकसभा में अमित शाह की अंबेडकर पर टिप्पणी पर चर्चा के लिए नोटिस दे दिया है। पार्टी नेता हमलावर हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि अमित शाह की टिप्पणी से पता चलता है कि भाजपा और आरएसएस नेताओं में बी आर अंबेडकर के लिए बहुत नफरत है। राहुल गांधी ने कहा है कि जो लोग मनुस्मृति में विश्वास करते हैं, वे निश्चित रूप से अंबेडकर के साथ मतभेद रखेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा - "गृह मंत्री द्वारा बाबासाहेब का अपमान ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भाजपा-आरएसएस तिरंगे के खिलाफ थे, उनके पूर्वजों ने अशोक चक्र का विरोध किया था और संघ परिवार के लोग पहले दिन से ही भारत के संविधान के बजाय मनुस्मृति को लागू करना चाहते थे।”
बहरहाल, कांग्रेस को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।वह आक्रामक रूप से इसे आगे इस्तेमाल करेगी यह तय है। लेकिन मायावती की बसपा और चंद्रशेखर की आज़ाद समाज पार्टी चुप हैं। बाकी विपक्षी दलों ने भी कोई रिएक्शन नहीं दिया है। इंडियन अलायन्स भी शांत है।सिर्फ सोशल मीडिया पर लोग रियेक्ट कर रहे हैं।
भाषण का क्या प्रभाव होगा, क्या प्रतिक्रिया होगी यह भी पता ही होगा। इसके पीछे क्या कोई रणनीति है, यह भी एक प्रश्न है। खैर, यह तो सच है कि करोड़ लोगों के लिए बाबा साहेब अंबेडकर पूज्यनीय हैं। आज़ाद देश के स्थापना स्तंभों में उनका नाम है। सन 50 में लागू होने के बाद से भले ही भारत के संविधान को 106 बार संशोधित किया जा चुका है । लेकिन इसके बावजूद जब भी संविधान की बात होगी, तब बाबा साहेब याद किये जायेंगे।
सच्चाई यह भी है कि भारत में अनुसूचित जाति समुदाय देश की आबादी का 16.6 फीसदी हिस्सा हैं। यह एक बड़ी हिस्सेदारी है। इसे हमारे चुनावी लोकतंत्र में कोई नजरअंदाज करने की सोच भी नहीं सकता। इस समुदाय के लिए डॉ अम्बेडकर का स्थान सबसे ऊंचा है।
बहरहाल, अब कांग्रेस के हाथ में एक नया मुद्दा है। भाजपा से इस मुद्दे पर पैंतरेबाजी किस तरह चलेगी, यह देखना दिलचस्प होगा। बाकी पार्टियां, खासकर इंडिया अलायन्स क्या करता है ये भी देखना रोचक होगा। कांग्रेस से टकराव की मुद्रा में रहने वाले आप और तृणमूल क्या रुख करते हैं ये भी दिलचस्प होगा।