R-Com दिवालिया होने की कगार पर, जानिए कैसे 792 से 6 रु तक आया शेयर का भाव

आरकॉम के मुताबिक कर्जदाताओं को अपनी परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजनाओं कोई पैसा नहीं मिला है। इसके बाद आरकॉम के निदेशक मंडल ने एनसीएलटी के जरिए ऋण समाधान योजना लागू करने का फैसला किया।

Update:2019-02-05 12:36 IST

लखनऊ : एक तरफ मुकेश अंबानी साल दर साल सफलता के नए शिखर पर नजर आते जा रहे हैं। वहीं उनके भाई अनिल अंबानी के साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। अनिल के स्वामित्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस जिसे हम आरकॉम के नाम से भी जानते हैं, करीब 45,000 करोड़ के कर्ज को चुकाने के लिए अपनी संपत्तियों को बेचने में असफल रही है। इसलिए कंपनी ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, मुंबई में दिवालिया याचिका दायर करने का फैसला किया है। इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के अंतर्गत कंपनी के बोर्ड ने दिवालिया होने की अपील की है।

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आरकॉम के मुताबिक कर्जदाताओं को अपनी परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजनाओं कोई पैसा नहीं मिला है। इसके बाद आरकॉम के निदेशक मंडल ने एनसीएलटी के जरिए ऋण समाधान योजना लागू करने का फैसला किया। आरकॉम ने रिलायंस जियो को अपने स्पेक्ट्रम बेचने की भी कोशिश की लेकिन ऐसा हो नहीं सका। कंपनी ने एनसीएलटी की शरण में जाने के फैसले के पीछे का तर्क बताते हुए कहा कि कंपनी को उधार देने वाले 40 देशी और विदेशी संस्था में मतभेद है इसलिए हम ऐसा कर रहे हैं।

कंपनी ने बयान में कहा कि आरकॉम और इसकी दो सब्सिडरी कंपनियां रिलायंस टेलिकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के निर्णय को लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।

आरकॉम ने अपने बयान में कहा, हाईकोर्ट, दूरसंचार विवाद एवं अपील अधिकरण (टीडीसैट) और सुप्रीम कोर्ट में कई मामले लंबित हैं।

आरकॉम ने कहा कि पिछले 12 महीनों में 45 से कर्जदाताओं के साथ सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई बैठकों में सहमति नहीं बनने की वजह से यह फैसला करना पड़ा।

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आपको बता दें, जनवरी 2008 में आरकॉम का मार्केट कैप 1.66 लाख करोड़ के लगभग था, जो 4 फरवरी 2019 को घटकर एक समय तो 1668 करोड़ पर आ गया. 11 जनवरी 2008 को एक शेयर का भाव 792 रु॰ था, जो 4 फरवरी 2019 को 6 रु॰ के स्तर पर आ गया।

वहीं स्वीडन की दूरसंचार कंपनी एरिक्सन आरकॉम को दिवालिया घोषित करने के लिए एनसीएलटी के समक्ष याचिका दायर कर चुकी है।

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