लोगों का आरोप है, कि सच्चाई तो यह है कि पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को एक तरह से चीन के पास गिरवी रख दिया है। दरअसल पाक-चीन आॢथक गलियारा इसी रास्ते से होकर गुजरता है। पीओके के लोग इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पाक सरकार चीन को खुश करने के लिए यह सबकुछ कर रही है। गिलगित के लोगों का कहना है कि पाक सरकार के इस रवैये को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
गिलगित में सडक़ों पर उतर आए हजारों लोग
पाकिस्तान सरकार के जमीन आवंटन के फैसले के खिलाफ हजारों लोग सडक़ों पर उतर आए। उनका कहना था कि सरकार का यह फैसला स्थानीय लोगों पर जुल्म के सिवा कुछ नहीं है। गिलगित के स्थानीय निवासियों का कहना है कि गांव के आसपास की 20000 कैनल की भूमि आवंटित की गई है और यह सब चीन-पाकिस्तान आॢथक गलियारे को देखते हुए किए गया है। गिलगित-बल्टिस्तान की सीमाएं, चीन और अफगानिस्तान के अलावा जम्मू-कश्मीर से
जुड़ी हुई हैं।
पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर यहां आॢथक कॉरिडोर बना रहा है। स्थानीय लोग इस गलियारे के खिलाफ हैं। इस इलाके में पहली बार 2009 में चुनाव हुए थे। हालांकि इस चुनाव को लेकर काफी विवाद हुआ और यहां के लोग इसे छलावा करार देते हैं। स्थानीय लोग पाक सेना पर अत्याचार का आरोप लगाते हैं।
हजारों एकड़ जमीन आईएसआई व सेना को आवंटित
सरकार के जमीन आवंटन के फैसले के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा और बढ़ गया है। गिलगित के रहने वाले गुलान शाह का कहना है कि हजारों एकड़ बेशकीमती जमीन मामूली कीमतों पर आईएसआई व सेना के हवाले कर दी गयी। यह इस बात का सबूत है कि किस तरह सरकारी व गैरसरकारी जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मामला महज जमीन के आवंटन का नहीं है बल्कि इससे पाकिस्तान की दोहरी नीतियों का पर्दाफाश होता है। शाह ने कहा कि इस इलाके में राज्य सरकार के पास करीब तीन हजार कनाल जमीन है।
स्थानीय लोगों की नहीं ली गयी मंजूरी
गिलगित के पत्रकार मेराज का कहना है कि सरकार ने स्थानीय लोगों की मंजूरी लिए बगैर ही सीपीईसी के लिए जमीन आवंटित कर दी। इसे लेकर गिलगित-बालतिस्तान के लोगों में जबर्दस्त नाराजगी है। इलाके के कई राजनीतिक दलों ने भी इस बात को लेकर अपनी गहरी नाराजगी और चिंता जताई है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने हक मालिकान के नाम से आंदोलन भी शुरू किया है। पार्टी ने मांग की है कि सरकार को इस जमीन के अधिग्रहण के लिए लोगों को मुआवजे का भुगतान करना चाहिए।
रहे हैं।