अपना भारत/न्यूज़ट्रैक Exclusive: पीओके में विरोध के स्वर तेज

Update:2017-08-25 15:58 IST

नई दिल्ली। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं। हाल के दिनों में पाक सरकार ने गिलगित में खुफिया एजेंसी आईएसआई व फोर्स कमांड नार्थ एरिया को हजारों एकड़ जमीन आवंटित की है। स्थानीय लोग सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।

लोगों का आरोप है, कि सच्चाई तो यह है कि पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को एक तरह से चीन के पास गिरवी रख दिया है। दरअसल पाक-चीन आॢथक गलियारा इसी रास्ते से होकर गुजरता है। पीओके के लोग इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पाक सरकार चीन को खुश करने के लिए यह सबकुछ कर रही है। गिलगित के लोगों का कहना है कि पाक सरकार के इस रवैये को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

गिलगित में सडक़ों पर उतर आए हजारों लोग

पाकिस्तान सरकार के जमीन आवंटन के फैसले के खिलाफ हजारों लोग सडक़ों पर उतर आए। उनका कहना था कि सरकार का यह फैसला स्थानीय लोगों पर जुल्म के सिवा कुछ नहीं है। गिलगित के स्थानीय निवासियों का कहना है कि गांव के आसपास की 20000 कैनल की भूमि आवंटित की गई है और यह सब चीन-पाकिस्तान आॢथक गलियारे को देखते हुए किए गया है। गिलगित-बल्टिस्तान की सीमाएं, चीन और अफगानिस्तान के अलावा जम्मू-कश्मीर से

जुड़ी हुई हैं।

पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर यहां आॢथक कॉरिडोर बना रहा है। स्थानीय लोग इस गलियारे के खिलाफ हैं। इस इलाके में पहली बार 2009 में चुनाव हुए थे। हालांकि इस चुनाव को लेकर काफी विवाद हुआ और यहां के लोग इसे छलावा करार देते हैं। स्थानीय लोग पाक सेना पर अत्याचार का आरोप लगाते हैं।

हजारों एकड़ जमीन आईएसआई व सेना को आवंटित

सरकार के जमीन आवंटन के फैसले के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा और बढ़ गया है। गिलगित के रहने वाले गुलान शाह का कहना है कि हजारों एकड़ बेशकीमती जमीन मामूली कीमतों पर आईएसआई व सेना के हवाले कर दी गयी। यह इस बात का सबूत है कि किस तरह सरकारी व गैरसरकारी जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मामला महज जमीन के आवंटन का नहीं है बल्कि इससे पाकिस्तान की दोहरी नीतियों का पर्दाफाश होता है। शाह ने कहा कि इस इलाके में राज्य सरकार के पास करीब तीन हजार कनाल जमीन है।

शाह ने कहा कि मैंने यह खबर भी सुनी है कि पास के गांव बीस हजार कनाल जमीन का अधिग्रहण किया गया है। यह सबकुछ सीपीईसी के बहाने किया जा रहा है। ऐसी ही स्थिति एक और गांव मिनौर में भी पैदा हुई है। शाह का कहना है कि हमारे गांव में 800-900 कनाल जमीन पहले ही दी जा चुकी है। उसके बाद भी तीन सौ कनाल जमीन फायरिंग रेंज के लिए दी गयी है। इस जमीन पर कब्जा गुंडागर्दी के जरिये किया गया है।

शाह का कहना है कि जब चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की पहली बार घोषणा की गयी थी तो मुख्यमंत्री हाफिज-उर-रहमान ने कहा था कि इकोनॉमिक जोन बनने से इलाके में रोजगार के अवसर पैदा होंगे मगर सेना के रवैये से लोगों के सपने चकनाचूर हो गए हैं।

स्थानीय लोगों की नहीं ली गयी मंजूरी

गिलगित के पत्रकार मेराज का कहना है कि सरकार ने स्थानीय लोगों की मंजूरी लिए बगैर ही सीपीईसी के लिए जमीन आवंटित कर दी। इसे लेकर गिलगित-बालतिस्तान के लोगों में जबर्दस्त नाराजगी है। इलाके के कई राजनीतिक दलों ने भी इस बात को लेकर अपनी गहरी नाराजगी और चिंता जताई है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने हक मालिकान के नाम से आंदोलन भी शुरू किया है। पार्टी ने मांग की है कि सरकार को इस जमीन के अधिग्रहण के लिए लोगों को मुआवजे का भुगतान करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सीपीईसी के लिए चीन की हरसंभव मदद कर रहा है। चीन को खुश करने और उनके ड्रीम प्रोजेक्ट सीपीईसी को पूरा करने के लिए यहां के लोगों को धमकियां दी गयीं। उन्हें पीटने के अलावा पाक सरकार व प्रशासन से समझौते के लिए बाध्य किया गया। उन्होंने पाकिस्तान सरकार पर नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक गिलगित-बालतिस्तान से बाहर का कोई भी आदमी इस इलाके में जमीन की खरीद या बिक्री नहीं कर सकता। इस तरह पाकिस्तान सरकार ने सीपीईसी परियोजना के लिए जमीन का आवंटन खुद कानून को तोड़ा है। उन्होंने कहा कि पाक सेना और आईएसआई लगातार इस इलाके की जनसांख्यिकी स्थिति बदलने की साजिश कर

रहे हैं।

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